नई दिल्ली। महिला पहलवानों के यौन शौषण मामले पर सुप्रीम कोर्ट अब सुनवाई नहीं करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने महिला पहलवानों की याचिका पर सुनवाई बंद करते हुए कहा कि मामले में FIR दर्ज हो चुकी है। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्शा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि दायर याचिका में प्राथमिकी दर्ज कराने के संबंध में शिकायत की गई थी। जिसे दर्ज कर लिया गया है। इसे दर्ज करने के साथ ही उद्देश्य पूरा हो गया है।
पीठ ने याचिकाकर्ताओं को किसी भी अन्य शिकायत के लिए न्यायिक मजिस्ट्रेट या धारा 482 सीआरपीसी के तहत दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष अपील करने की स्वतंत्रता दी है। याचिकाकर्ताओं के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता नरेंद्र हुड्डा ने सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप तक कार्रवाई करने से इनकार करने में दिल्ली पुलिस के आचरण को ध्यान में रखते हुए पीठ से जांच की निगरानी करने का अनुरोध किया। हालांकि, पीठ ने इस याचिका को खारिज कर दिया और कहा कि आप न्यायिक मजिस्ट्रेट या धारा 482 सीआरपीसी के तहत दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष अपील कर सकते हैं।
उधर प्रदर्शनकारी पहलवानों ने अब अपने मेडल्स लौटाने की भी घोषणा कर दी है। बजरंग पूनिया ने कहा कि अगर पहलवानों के साथ ऐसा ही व्यवहार होता रहा तो फिर हमे इन मेडल्स का क्या करेंगे? उन्होंने कहा कि इससे अच्छा है कि हम इन मेडल्स को लौटा कर एक सामान्य ज़िन्दगी जिएँ। उन्होंने सारे मेडल्स और अवॉर्ड्स भारत सरकार को लौटाने की घोषणा कर डाली। पहलवानों ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी या केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से उन्हें बुलाने की माँग की और कहा कि ये राजनीतिक मुद्दा नहीं है। उन्होंने IT सेल पर उन्हें बदनाम करने का आरोप लगाया।