देहरादून। धामी कैबिनेट की अहम बैठक खत्म हो गई है। बैठक में 11 प्रस्ताव आए हैं। इसके साथ ही यूसीसी (समान नागरिक संहिता) नियमावली पर धामी कैबिनेट ने मुहर लगा दी है। ऐसे में अब उत्तराखंड राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू किए जाने का रास्ता पूरी तरह से साफ हो गया है। लिहाजा, संभावना जताई जा रही है कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर उत्तराखंड राज्य में यूसीसी लागू कर दिया जाएगा।
दरअसल, नियमावली में आंशिक संशोधन किए जाने को लेकर शासन स्तर से गठित विशेषज्ञ समिति ने नियमावली को परीक्षण के लिए विधि विभाग को भेज था। ऐसे में विधाई विभाग के परीक्षण के बाद 20 जनवरी यानी आज मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक आहूत की गई और यूसीसी नियमावली को मंजूरी दे दी गई है। वर्तमान समय में नगर निकाय चुनाव को लेकर आदर्श आचार संहिता लागू है। इसके चलते उत्तराखंड शासन ने राज्य निर्वाचन आयोग को पत्र भेजकर मंत्रिमंडल की बैठक करने की अनुमति मांगी थी।
धर्म और जाति के भेदभाव को खत्म करेगा UCC
यूसीसी का उद्देश्य राज्य में सभी नागरिकों के लिए समान कानून लागू करना है, जिससे धर्म, जाति, समुदाय या लिंग के आधार पर भेदभाव को समाप्त किया जा सके। धामी सरकार का ये निर्णय राज्य के नागरिकों के बीच समानता सुनिश्चित करने के दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
UCC के प्रमुख प्रावधान और बदलाव:-
शादी का अनिवार्य पंजीकरण:-
विवाह का अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
ग्राम सभा स्तर पर भी पंजीकरण की सुविधा दी जाएगी।
तलाक के समान नियम:-
सभी धर्मों के लोगों के लिए तलाक का एक समान कानून होगा।
वर्तमान में हर धर्म के लोग अपने पर्सनल लॉ के अनुसार तलाक लेते हैं, लेकिन UCC के तहत एक समान प्रक्रिया अपनानी होगी।
बहुविवाह (पॉलीगैमी) पर प्रतिबंध:-
सभी धर्मों में बहुविवाह को अवैध करार दिया जाएगा।
महिलाओं की विवाह योग्य न्यूनतम आयु 18 वर्ष और पुरुषों की 21 वर्ष होगी।
गोद लेने के नियम:-
सभी धर्मों को बच्चों को गोद लेने का अधिकार होगा।
लेकिन कोई व्यक्ति दूसरे धर्म के बच्चे को गोद नहीं ले सकेगा।
हलाला और इद्दत की समाप्ति:-
मुस्लिम समुदाय में प्रचलित हलाला और इद्दत जैसी प्रथाओं को समाप्त किया जाएगा।
उत्तराधिकार में समानता:-
महिलाओं को संपत्ति में समान अधिकार मिलेगा।
उत्तराधिकार कानून में लड़कियों को भी लड़कों के बराबर हिस्सा दिया जाएगा।
लिव-इन रिलेशनशिप पंजीकरण:-
लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों के लिए आधार कार्ड अनिवार्य होगा।
18 से 21 साल के जोड़ों को माता-पिता की सहमति पत्र देना होगा।