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….तो कोई नया गुल खिलाएगी त्रिवेंद्र की नड्डा से मुलाकात!

कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है

  • पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नई दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत कई नेताओं से मुलाकात के दौरान की ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा  
  • ‘घोटाला प्रदेश‘ के रूप में चर्चा में आये उत्तराखंड की धूमिल होती जा रही छवि और तमाम भर्तियों में हुए घोटालों को लेकर सरकार कठघरे में
  • भर्तियों में घोटालों के खिलाफ सड़कों पर उतरे बेरोजगार युवाओं के पैरोकार के रूप में उतरे त्रिवेंद्र की इन मुलाकातों से चर्चाओं का बाजार गरम

देहरादून। आज बुधवार को पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दिल्ली में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भेंट की. इस दौरान प्रदेश के समसामयिक और ज्वलंत विषयों पर चर्चा हुई। नड्डा से मिलने के बाद त्रिवेंद्र भाजपा के राष्ट्रीय कार्यालय पहुंचे। जहां उन्होंने पार्टी और संगठन के दूसरे नेताओं से मुलाकात की। वह उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी से भी मिले और दोनों नेताओं के बीच डेढ़ घंटे से ज्यादा बातचीत हुई। ‘घोटाला प्रदेश‘ के रूप में चर्चा में आये उत्तराखंड की धूमिल होती जा रही छवि और प्रदेश भर में तमाम भर्तियों में हुए घोटालों को लेकर सड़कों पर उतरे बेरोजगार युवाओं के पैरोकार के रूप में मजबूती से उतरे त्रिवेंद्र सिंह रावत की इन मुलाकातों से सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गरम हो गया है। हालांकि प्रदेश में भाजपा नेता इस बारे में खुलकर नहीं बोल पा रहे हैं।
अचानक से त्रिवेंद्र सिंह रावत की जेपी नड्डा से मुलाकात और राज्य के तमाम मुद्दों को लेकर हुई चर्चा के बाद राज्य में यह चर्चा भी तेज हो गई है कि आखिरकार त्रिवेंद्र कौन से खास मुद्दों को लेकर नड्डा से मिले है। मौजूदा समय में जिस तरह से तमाम भर्ती घोटाले और तमाम विभागों में जो विवाद उत्पन्न हुए हैं, उन पर एकमात्र त्रिवेंद्र सिंह रावत ही हैं जो खुलकर साफ और सीधी बात कर रहे हैं। इस समय उत्तराखंड में यूकेएसएसएससी पेपर लीक और विधानसभा बैक डोर भर्ती घोटाला सुर्खियों में हैं। साथ ही नियुक्तियों में धांधली और भाई भतीजावाद की वजह से धामी सरकार भी सवालों के घेरे में है। इन सबसे अलग कतार में खड़े त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लगातार बयान देकर अपनी ही पार्टी को कठघरे में खड़ा करने से गुरेज नहीं किया।

इन सब मामलों की वजह से धामी सरकार विपक्ष के निशाने पर है। सबसे ज्यादा सुर्खियों में विधानसभा में बैक डोर भर्ती घोटाला है। प्रेमचंद अग्रवाल के विधानसभा अध्यक्ष रहने के दौरान जो भर्तियां हुईं, उनमें भी खूब  भाई-भतीजावाद हुआ और प्रेमचंद ने उसको सही ठहराने के तर्क देकर सरकार को संदेह के घेरे में ला दिया। हालांकि सीएम धामी के आग्रह पर अब विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने भी इस पूरे मामले पर जांच बैठा दी है। दिलचस्प बात यह है कि जब उत्तराखंड में भर्ती घोटाला उजागर हुआ तो भाजपा के तमाम बड़े नेता और प्रवक्ता इस मामले में कुछ भी कहने से बचते रहे या यूं कहें कि उनके पास कहने के लिए कुछ था ही नहीं, लेकिन पार्टी के कद्दावर नेता त्रिवेंद्र सिंह रावत लगातार अपने बयानों से धामी सरकार को असहज करने का काम करते रहे। हालांकि तमाम सियासदां दबे सुरों में यह मानते हैं कि त्रिवेंद्र वही बोल रहे हैं जो हकीकत है। प्रदेश में एक के बाद एक सामने आये घोटालों ने सरकार को कठघरे में खड़ा किया है
हाकम सिंह रावत से लेकर विधानसभा भर्ती मामले में जिस तरह से त्रिवेंद्र का रुख देखने को मिल रहा है, उससे यह बात स्पष्ट हो रही है कि बीजेपी के तमाम नेता भले ही इस मामले से कन्नी काट रहे हों, पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत हकीकत ही बता रहे हैं। हालांकि यह पहला मामला नहीं है, जब त्रिवेंद्र सिंह रावत किसी मुद्दे पर खुलकर बोले हों। इससे पहले भी उनके कुछ कामों पर भले ही सवाल उठे हों, लेकिन वो मजबूती से उस पर अंत कायम रहे। त्रिवेंद्र भले ही मौजूदा समय में सरकार में न हों, लेकिन उनके साफगोई से भरे बयानों का सिलसिला तब शुरू हुआ जब उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) पेपर लीक मामले का खुलासा हुआ और हाकम सिंह की गिरफ्तारी हुई।
हाकम सिंह रावत चूंकि भाजपा का कार्यकर्ता था तो विपक्ष ने इस पेपर लीक मामले में भाजपा के बड़े नेताओं से जोड़ दिया। इसी बीच हाकम की अन्य नेताओं और अफसरों के साथ फोटो वायरल होने लगी और इस लिस्ट में त्रिवेंद्र सिंह रावत भी थे। उस समय पार्टी के तमाम प्रवक्ता भी हाकम के नाम से बच रहे थे, लेकिन तभी त्रिवेंद्र ने एक बयान देकर प्रवक्ता समेत सरकार को धीरे से झटका दिया। उन्होंने कहा कि इसमें कोई छुपाने वाली बात नहीं है। हाकम हमारा कार्यकर्ता है और जरूरी नहीं कि हर कार्यकर्ता सही हो। कुछ ऐसे भी निकल जाते हैं, इसलिए हमे ये बात बताने से गुरेज नहीं करना चाहिए। उन्होंने ये भी कहा… ‘मुझे भी ये स्वीकार करने में कोई गुरेज नहीं है।‘
त्रिवेंद्र रावत के ये बयान अगले दिन अखबार की सुर्खियों में रहे तो असहज हुई पार्टी को भी इस पर बयान देना पड़ा। हालांकि कई लोगों ने उन्हें भी सोशल मीडिया पर खूब बुरा भला कहा। अभी ये मामला ठंडा भी नहीं हुआ था कि अचानक विधानसभा भर्ती घोटाला सामने आ गया। जब त्रिवेंद्र से इस मामले में पूछा गया तो उन्होंने सीधे बोल दिया कि उन्हें इन भर्तियों को आयोग के माध्यम से कराने को कहा था, लेकिन उनके सीएम पद से हटते ही बैकडोर से ये भर्तियां कर दी गई। उनके इस बयान ने सीधे तौर पर तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल को कठघरे में खड़ा कर दिया। त्रिवेंद्र ने कहा कि जिस वक्त वो सीएम थे तो उन्होंने बकायदा इस बात पर फोकस रखते हुए कहा था कि विधानसभा में जो अब तक होता आया है, वो अब न हो और कोई भी भर्ती नियमानुसार और आयोग के माध्यम से हो।
इसके बाद प्रेमचंद्र ने भी अपना बचाव करते हुए बयान दिया था कि जो भी काम हुआ है, वो नियम अनुसार ही हुआ है। हालांकि इस बात को भी प्रेमचंद्र को स्वीकार करना पड़ा कि उनके भी कुछ लोग विधानसभा में नौकरी पर रखे गए हैं। जिसके लिये उन्होंने नियमावली का हवाला भी दिया। मामला यहीं तक रहता तो शायद कोई बात नहीं थी। अगले ही दिन हरिद्वार पहुंचे त्रिवेंद्र रावत ने एक बार फिर विपक्ष की उस मांग को जायज बता दिया, जिसमें विपक्ष इस मामले की सीबीआई जांच करने की मांग कर रहा था।
त्रिवेंद्र ने कहा कि वैसे तो इस मामले में एसटीएफ जांच कर रही है, लेकिन अगर सीबीआई जांच भी होती है तो कुछ और भी निकल कर आ सकता है। इसके साथ ही उन्होंने अपने सीएम के कार्यकाल के विधानसभा अध्यक्ष और सरकार को ये कह कर असहज कर दिया कि जब नेताओं के ही लोग ऐसे भर्ती होंगे तो उत्तराखंड के बच्चे कहां जाएंगे। त्रिवेंद्र ने तमाम नेताओं को खरी खरी सुनाते हुए कहा था कि जो पूर्व की सरकारों में हुआ है, अगर वही हम करेंगे तो फिर अंतर क्या रह जाएगा? इस तरह बेरोजगार युवाओं के प्रबल पैरोकार के रूप में उभरे त्रिवेंद्र सिंह रावत की साफगोई के सामने सरकार बौनी दिखने लगी है। अब ताजा घटनाक्रम में नड्डा, बलूनी और अन्य नेताओं से उनकी मुलाकात के निहितार्थ तलाशे जा रहे हैं।  

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