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चमोली आपदा : ऋषि गंगा में फिर बाढ़ आने का खतरा मंंडराया!

  • भूगर्भ विज्ञानी नरेश राणा का दावा, नीती घाटी में ऋषि गंगा के मुहाने पर बनी झील

देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि राज्य सरकार को झील की जानकारी है। प्राथमिक रूप से जानकारी मिली है कि 400 मीटर एरिया में झील बनी है। इसकी जांच के लिये टीम मौके पर गई है। मुख्यमंत्री ने बताया कि हमें रैणी गांव के पास एक झील बनने के बारे में जानकारी है। हमें सतर्क रहने की जरूरत है, लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है। वैज्ञानिक इस पर काम कर रहे हैं। हम समीक्षा के लिए विशेषज्ञों को एयरड्रॉप करने की योजना बना रहे हैं।गढ़वाल केंद्रीय विवि के भूगर्भ विज्ञानी डा. नरेश राणा ने दावा किया है कि आपदा प्रभावित चमोली जिले में ऋषि गंगा के मुहाने पर झील बन गई है। जिस स्थान पर झील बनी हुई है, उसी स्थान पर जाकर डा. राणा ने जानकारी जुटाई है। उन्होंने इसकी रिपोर्ट विवि प्रशासन को भी सौंप दी है।
डा. राणा ने बताया कि मलबे से बनी झील के कारण ऋषि गंगा अवरुद्ध हो गई है। जिससे भविष्य में फिर ऋषि गंगा में बाढ़ के हालात बन सकते हैं। उन्होंने इसका वीडियो भी जारी किया है। शासन ने इस वीडियो को लेकर टीएचडीसी, एनटीपीसी और आईआईआरएस को जांच करने का आदेश दिए हैं।
इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी दो दिन पहले यह आशंका जाहिर की थी। रैणी गांव के लोगों के हवाले से रावत ने कहा था कि झील को लेकर गांव के लोग डरे हुए हैं। इनका कहना है कि झील टूटी तो फिर से तबाही होगी। रावत ने सरकार से आग्रह किया था कि इस मामले की जांच कराए। इस मामले में गुरुवार को शासन भी सक्रिय हुआ। आपदा प्रबंधन सचिव एसए मुरुगेशन ने इसके लिए एजेंसियों को पत्र लिखकर जांच के लिए कहा है। सचिव की ओर से जारी किए गए पत्र में कहा गया कि इस मामले की तहकीकात कर शासन को रिपोर्ट दी जाए। चमोली में ग्लेशियर फटने के बाद मलबा जमा होने के कारण ऋषिगंगा नदी की ऊपरी धारा में बहाव रुक गया है। बहाव थमने के चलते नदी के पानी ने झील की शक्ल ले ली है। लगातार पानी के बढ़ते दबाव के कारण अगर झील टूटी तो पहाड़ों से पानी काफी रफ्तार से नीचे आएगा, जो निचले इलाकों में बाढ़ जैसे हालात पैदा कर सकता है। अगर ऐसा हुआ तो राहत कार्य भी प्रभावित होगा। त्रासदी के बाद आई सैटेलाइट इमेज और ग्राउंड जीरो से आ रही एक्सपर्ट की रिपोर्ट्स में ऐसी आशंका जताई गई है।
गौरतलब है कि ग्लेशियर जिस जगह पर टूटा है, वह हिमालय का काफी ऊपरी हिस्सा है। उसे रौंटी पीक के नाम से जाना जाता है। रौंटी पीक से ग्लेशियर टूटने के बाद वह सीधे ऋषिगंगा नदी में नहीं गिरा। बल्कि, ग्लेशियर भारी मलबे के साथ, जिस धारा में बहा उसे रौंटी स्ट्रीम कहते हैं। रौंटी स्ट्रीम थोड़ा नीचे आकर दूसरी तरफ से आ रही ऋषिगंगा में मिल जाती है। रौंटी स्ट्रीम से आए तेज बहाव और मलबे के कारण ऋषिगंगा में भी बाढ़ आ गई। यह बाढ़ इतनी भयानक थी कि ऋषिगंगा पर बने दो पावर प्रोजेक्ट तबाह हो गए।
जलस्तर कम होने के बाद तस्वीरों में साफ नजर आ रहा है कि ग्लेशियर टूटने के बाद रौंटी स्ट्रीम और ऋषिगंगा के संगम पर भारी मलबा और गाद जमा है। जिससे वहां, एक अस्थायी बांध जैसा बन गया है और ऋषिगंगा का बहाव लगभग ठप हो गया है। नीचे पहाड़ पर जो पानी आता दिख रहा है, वह रौंटी स्ट्रीम से आ रहा है।
वाडिया इंस्टिट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, देहरादून के निदेशक कलाचंद सैन इस बारे में कहते हैं, ‘मौके पर पहुंची टीम और एरियल फोटोग्राफ से लग रहा है कि ऋषिगंगा और रौंटी स्ट्रीम के मिलने की जगह पर एक झील जैसी संरचना बन गई है। वहां जमा पानी का रंग नीला नजर आ रहा है, जिसका मतलब है कि पानी कई दिनों से जमा हो रहा है। ‘अगर यह झील पानी के बढ़ते दबाव के कारण टूटी तो क्या फिर सैलाब जैसे हालात बन सकते हैं? कलाचंद सैन का कहना है कि जमा पानी का रंग नीला दिखाई दे रहा है। इसलिए हो सकता है कि यह पानी काफी पुराना हो और ऋषिगंगा की ऊपरी धारा में इस तरह की पहले से कोई झील हो। अगर ऐसा है तो यह बहुत चिंता की बात नहीं है।
उधर मौके पर पहुंचे वैज्ञानिकों की रिपोर्ट के मुताबिक, मलबा और गाद जमा होने के कारण ऋषिगंगा का फ्लो रुका हुआ है। इसका मतलब है कि नदी का पानी कहीं न कहीं इकट्‌ठा हो रहा है। ऐसे में यह जानना सबसे जरूरी है कि ऋषिगंगा के पास जो झील दिख रही है, वह कितनी बड़ी है और उसमें कितना पानी जमा है। अगर झील बड़ी हुई तो उसके टूटने से पहाड़ के निचले हिस्सों में बाढ़ जैसी स्थिति बन सकती है। अगर झील बड़ी हुई तो वहां से पानी को कंट्रोल्ड तरीके से निकालने के उपाय करने होंगे।
गुरुवार को ऋषिगंगा का जलस्तर बढ़ जाने के कारण तपोवन में चल रहा राहत कार्य रोकना पड़ा था। चमोली के स्थानीय प्रशासन का कहना है कि ऋषिगंगा नदी के बहाव रुकने की उन्हें जानकारी है, आईटीबीपी भी इस बारे में सूचित किया गया है। ऋषिगंगा के बहाव रुकने और वहां पर झील बनने की रिपोर्ट के बाद वहां पर एनडीआरएफ की एक टीम भेज दी गई है।

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