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चमोली : दो गांवों के बीच गदेरे में बनी झील, 1992 जैसे कहर की आशंका से डरे ग्रामीण!

चमोली। जिले में नारायणबगड़ के गड़कोट और अंगोठ गांवों के नीचे भूस्खलन होने से गडनी गदेरे (बरसाती नाले) में 25 मीटर लंबी और 10 मीटर चौड़ी झील बन गई है। हालांकि गदेरे से काफी कम मात्रा में पानी की निकासी हो रही है, लेकिन ग्रामीण खतरे की आहट से खौफजदा हैं। ग्रामीणों का कहना है कि झील से भविष्य में बड़ा हादसा होने की आशंका पैदा हो गई है। ग्रामीणों ने प्रशासन को इसकी सूचना दे दी है। गौरतलब है कि वर्ष 1992 में भी इसी गदेरे में पानी बढ़ने से बाढ़ आई थी और गढीनी का भरा-पूरा बाजार रातोंरात उजड़ गया था और 14 लोगों की मौत हो गई थी।
गड़कोट की ग्राम प्रधान बीना देवी ने कहा कि गड़कोट और अंगोठ गांव आमने-सामने हैं और इन दोनों गांवों की तलहटी से गडनी गदेरा बहता है। हाल ही में हुई बारिश से दोनों गांवों के नीचे भारी भूस्खलन हुआ और मिट्टी व पत्थर गदेरे के किनारे गिरे। इससे दोनों तरफ से गदेरे का रास्ता बंद हो गया और तीन दिन पहले गदेरे में झील बन गई। दोनों गांवों के नीचे अभी भी जलस्तर बढ़ रहा है। इससे गड़कोट गांव में लोगों के मकानों में दरारें आ गई हैं और अंगोठ गांव की खेती की जमीन को नुकसान हुआ है।
झील को तत्काल प्रभाव से खोलने की जरूरत
भूस्खलन से ग्रामीण भयभीत हैं और रात को डर के कारण सो नहीं पा रहे हैं। ग्रामीण धीरेंद्र सिंह ने कहा कि इसी सूचना प्रशासन को दे दी गई है। बताया कि गड़कोट और अंगोठ गांवों के नीचे वर्षों पुराना भूस्खलन क्षेत्र अब ग्रामीणों के लिए मुश्किलों का सबब बनने वाला है। यहां पर बन रही झील को तत्काल प्रभाव से खोलने की जरूरत है। पहले भी भूस्खलन राकेने के लिए लोगों ने शासन प्रशासन से गुहार लगाई परंतु उनकी फरियाद अनसुनी कर दी गई। प्रशासन ने संज्ञान नहीं लिया तो घटगाड़ गांव और मींगगदेरा आदि बाजारों को भी बाढ़ जैसे हालात से गुजरना पड़ सकता है। हर बरसात में यह गदेरा विकराल रूप ले लेता है। तहसीलदार सुरेंद्र सिंह देव ने कहा कि ग्रामीणों ने दोनों गांवों के नीचे भूस्खलन होने के बाद झील बनने की सूचना दी है। गदेरे से पानी का रिसाव जारी है। आज शनिवार को मौके पर झील का जायजा लेने के लिए टीम भेज दी गई है। उसके बाद जो भी स्थिति बनेगी उस हिसाब से त्वरित कार्रवाई की जाएगी।

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