कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि देशभर में यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) खत्म होने जा रहा है, जबकि सरकार बार-बार कई मंचों पर स्पष्ट कर चुकी है कि एमएसपी जारी रहेगा और सरकारी खरीद होती रहेगी। अब तो सरकार ने दलहन व तिलहन को एमएसपी में शामिल करने के साथ ही उनकी उपज की खरीद भी शुरू कर दी है।
नई दिल्ली-राष्ट्रीय सहकारी प्रबंधन संस्थान में आयोजित ग्रामीण स्वयंसेवी संस्थाओं के सोमवार को हुए राष्ट्रीय सम्मेलन में कृषिमंत्री नरेन्द्र तोमर ने जानकारी दी कि आंदोलनकारी किसान संगठनों के साथ सरकार की 10वें दौर की प्रस्तावित बैठक अब बुधवार 20 जनवरी को होगी। पहले यह वार्ता 19 जनवरी को होने वाली थी। कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने तीनों नए कृषि कानूनों की जमकर तारीफ करते हुए कहा, ’इन कानूनों से देश के किसानों की दशा व दिशा बदलने वाली है। कानूनी बंधनों से मुक्त करने वाले, उपज के वाजिब मूल्य दिलाने वाले, महंगी फसलों की खेती को प्रोत्साहित करने वाले और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग से जोड़ने वाले हैं।’ कृषि सुधार किसानों के लिए मददगार साबित होंगे।
समारोह के बाद पत्रकारों से बातचीत में तोमर ने कहा, ’मंगलवार की वार्ता में किसान यूनियनें विकल्पों पर चर्चा करेंगी तो समाधान जरूर निकलेगा। सम्मेलन में तोमर ने कहा कि जब भी कोई अच्छी चीज होती है तो उसमें बाधाएं आती ही हैं। उन्होंने कहा कि देशभर में यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) खत्म होने जा रहा है, जबकि सरकार बार-बार कई मंचों पर स्पष्ट कर चुकी है कि एमएसपी जारी रहेगा और सरकारी खरीद होती रहेगी। अब तो सरकार ने दलहन व तिलहन को एमएसपी में शामिल करने के साथ ही उनकी उपज की खरीद भी शुरू कर दी है। कृषिमंत्री नरेन्द्र तोमर ने खाद्यान्न उत्पादन में सरप्लस देश होने का दावा करते हुए कृषि क्षेत्र में असंतुलन पर गहरी चिंता भी जाहिर की। उन्होंने कहा कि बड़े और छोटे किसानों की परिस्थितियां भिन्न हैं। इसी के मद्देनजर सरकार ने छोटे किसानों के लिए सब्सिडी, एमएसपी में उनकी भागीदारी बढ़ाने, टेक्नोलाजी व मार्केट लिंक जैसे लाभ देने के लिए कई उपाय किए हैं। तोमर ने कहा कि लंबे समय से कृषि विशेषज्ञ कृषि सुधारों के लिए कृषि वैज्ञानिकों, किसान संगठनों व इस क्षेत्र में काम करने वाले अन्य विद्वानों से चर्चा करते रहे हैं। स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिश में सुधारों पर जोर दिया गया था। कृषि में कानूनी सुधारों की जरूरत के मद्देनजर यह बदलाव लाया गया है। इन कानूनों की जरूरत तो बहुत पहले से महसूस की जा रही थी, लेकिन तत्कालीन सरकारें ’दबाव और प्रभाव’ के आगे असहाय थीं। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के हितों के मद्देनजर दो नए कानून और एक कानून में संशोधन का प्रस्ताव संसद से पारित कराया।