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CPM के दिग्गज नेता सीताराम येचुरी का निधन, जानें कैसा था सीताराम का राजनीतिक सफर

नई दिल्ली। सीपीआई एम के महासचिव और पूर्व राज्यसभा सांसद सीताराम येचुरी का गुरुवार को 72 साल की आयु में निधन हो गया। वे लंबे समय से बीमार थे। उनका दिल्ली के एम्स में इलाज चल रहा था। येचुरी ने 2015 में प्रकाश करात की जगह सीपीएम महासचिव का पद संभाला था। वहीं एम्स ने अपने बयान में कहा है कि सीपीआई(एम) महासचिव सीताराम येचुरी का आज दोपहर 3:05 बजे 72 वर्ष की आयु में निधन हो गया। परिवार ने उनके पार्थिव शरीर को शिक्षण और शोध उद्देश्यों के लिए एम्स नई दिल्ली को दान कर दिया है।

सीताराम येचुरी का जन्म 1952 में मद्रास (चेन्नई) में एक तेलुगु ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता सर्वेश्वर सोमयाजुला येचुरी आंध्र प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में इंजीनियर थे। मां कल्पकम येचुरी सरकारी अधिकारी थीं। उन्होंने सेंट स्टीफन कॉलेज, दिल्ली से अर्थशास्त्र में बीए और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से एमए की डिग्री हासिल की। येचुरी की पत्नी का नाम सीमा है। उनके बेटे आशीष का 2021 में निधन हो गया था। बेटी अखिला एडिनबर्ग और सेंट एंड्रयूज यूनिवर्सिटी में पढ़ाती हैं।

तीन बार जेएनयू छात्र संघ के रहे अध्यक्ष…

1975 में सीताराम येचुरी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य बने थे। साल 1975 में जब येचुरी JNU में पढ़ाई कर रहे थे, उसी दौरान इमरजेंसी के समय उन्हें गिरफ्तार किया गया था। कॉलेज के समय से ही वो राजनीति में आ गए। वो तीन बार जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। येचुरी तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आवास के बाहर पर्चा पढ़ने के चलते सुर्खियों में आए थे। सीताराम येचुरी को पूर्व महासचिव हरकिशन सिंह सुरजीत की गठबंधन-निर्माण विरासत को जारी रखने के लिए जाना जाता है। साल 1996 में उन्होंने संयुक्त मोर्चा सरकार के लिए कॉमन मिनिमम प्रोग्राम का मसौदा तैयार करने के लिए पी. चिदंबरम का सहयोग किया था। साल 2004 में यूपीए सरकार के गठन के दौरान गठबंधन भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी।

सीताराम येचुरी से जुड़ी अहम बातें…

● 1974 में स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया में शामिल हुए।

● 1975 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के सदस्य बने।

● उन्होंने जेएनयू में वामपंथी विचारधारा को बढ़ावा दिया।

● 1977 से 1978 तक जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष रहे।

● छात्र संघ के अध्यक्ष रहते हुए पार्टी में कई पदों पर काम किया।

● 1978 में स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के संयुक्त-संपादक बने।

● 1984 में CPIM की केंद्रीय समिति में शामिल हुए।

● 19 अप्रैल 2015 को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव बने।

● 2016 में राज्यसभा में सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार मिला।

● येचुरी 12 साल तक राज्यसभा के सदस्य रहे।

● वो 2005 में संसद के उच्च सदन के लिए चुने गए और 2017 तक सांसद रहे।

● पार्टी में युवाओं को आगे बढ़ाने में उनका काफी योगदान रहा।

राहुल गांधी और ममता बनर्जी ने जताया दुख…

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सीताराम येचुरी के निधन पर शोक जताते हुए एक्स पर पोस्ट किया कि सीताराम येचुरी जी मेरे मित्र थे। भारत के विचार के रक्षक और हमारे देश की गहरी समझ रखने वाले थे। मुझे हमारी लंबी चर्चाएं याद आएंगी। दुख की इस घड़ी में उनके परिवार, मित्रों और अनुयायियों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना।

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