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जागेश्वर धाम में श्रद्धालुओं के दर्शन का समय तय, ASI ने चस्पा किया नोटिस…जानिए क्यों

अल्मोड़ा। विश्व प्रसिद्ध जागेश्वर धाम में हुए हुड़दंग के बाद अब ASI ने सख्त रुख अपनाया है। धाम में सूर्यास्त से पहले और सूर्यास्त के बाद कोई भी श्रद्धालु मंदिर परिसर में प्रवेश नहीं कर पाएगा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) विभाग ने इस पर रोक लगा दी है। बीते दिनों हुए हुड़दंग के बाद एएसआई हरकत में आई और नियमों में सख्ती कर दी है।

जानकारी के अनुसार बीते 1 सितंबर को जागेश्वर धाम में पीलीभीत से आए लोगों ने मंदिर का द्वार बंद होने के बाद रात में द्वार खोलने को लेकर हंगामा किया था। मंदिर का मुख्य द्वार बंद होने के बाद भी वो मंदिर के अंदर द्वार फांदकर अपने पालतू कुत्तों के साथ घुस गए थे।

एएसआई के सुरक्षा गार्ड के साथ भी बदसलूकी के साथ हाथापाई करने का आरोप लगा। इस घटना के बाद एएसआई ने मंदिर के मुख्य प्रवेश द्वार पर एक नोटिस भी चस्पा कर दिया है। नोटिस में स्पष्ट किया गया है कि श्रद्धालु सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले मंदिर परिसर में प्रवेश नहीं कर पाएंगे।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से जो नोटिस चस्पा किया गया है, उसमें लिखा है कि प्राचीन संस्मारक, पुरातत्वीय स्थल एवं अवशेष नियम 1959 अध्याय 2 नियम 5 (1) के अनुसार यह राष्ट्रीय संरक्षित स्मारक, जागेश्वर मंदिर समूह, जागेश्वर प्रतिदिन यात्रियों, दर्शनार्थियों के सूर्योदय से सूर्यास्त तक खुला रहेगा। इस नियम का उल्लंघन करने पर नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। जागेश्वर धाम भगवान शिव के ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है।

बता दें अल्मोड़ा जनपद से लगभग 35 किलोमीटर दूर स्थित जागेश्वर धाम में लगभग ढाई सौ छोटे-बड़े मंदिरों का समूह है। इनमें से एक ही स्थान पर छोटे-बड़े 224 मंदिर हैं। 125 छोटे-बड़े मंदिरों के समूह में 108 शिवलिंग और 17 अन्य देवी देवताओं के मंदिर स्थित है। यह मंदिर लगभग ढाई हजार वर्ष पुराना है। मान्यता है कि यह प्रथम मंदिर है। जहां लिंग के रूप में शिव पूजन की परंपरा सबसे पहले शुरू हुई थी। इस स्थल को भगवान शिव की तपस्थली भी कहा जाता है। इस मंदिर में भगवान शिव के साथ विष्णु, देवी शक्ति और सूर्य देवता की पूजा की जाती है। जागेश्वर धाम को पुराणों में हाटकेश्वर के नाम से जाना जाता है। पुराणों के अनुसार भगवान भोलेनाथ और सप्त ऋषियों ने यहां पर तपस्या की थी।

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