देहरादून। उत्तराखंड में भर्तियों को लेकर धामी सरकार की किरकिरी होने से बीजेपी आलाकमान अपनी साख बचाने के लिए सरकार के मंत्रियों को हटाने की तैयारी में है। त्रिवेंद्र का कद बढ़ने की खबरें आ रही हैं। इससे भाजपा में हड़कंप मचा हुआ है। सियासी जानकार भी मान रहे हैं कि धामी सरकार ने बड़ा फेरबदल होने जा रहा है। पार्टी कुछ मंत्रियों को हटा सकती है और कुछ विधायकों को कैबिनेट में जगह दे सकती है।
पेपर लीक मामले से लेकर विधानसभा भर्ती मामले में जिस तरह से नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं। उसके बाद ना केवल युवाओं की भीड़ सड़कों पर है, बल्कि विपक्ष भी आक्रमण की मुद्रा में है। कहा जा रहा है कि बीजेपी आलाकमान जल्द ही कोई बड़ा फैसला ले सकता है। अगर सीधे तौर पर किसी मंत्री को बीजेपी हटाती है तो यह संदेश पार्टी के लिए सही नहीं जाएगा। ऐसे में हो सकता है कि कैबिनेट में मंत्रियों को इधर से उधर किया जा सकता है। विधानसभा नियुक्ति मामले में जिस तरह से मामला बाहर आने के बाद प्रेमचंद अग्रवाल ने अपने तेवर दिखाए थे, उससे पार्टी को तो नुकसान हुआ ही है, साथ ही पार्टी के बड़े नेताओं में भी प्रेमचंद को लेकर अच्छा मैसेज नहीं गया है।
प्रेमचंद के समय पर हुई भर्तियों में जिस तरह से भाई भतीजावाद बीजेपी नेताओं के लिए देखा गया, उससे दिल्ली में बैठे पार्टी के नेता बेहद नाराज हैं। लपहले पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह ने प्रेमचंद के उस बयान की निंदा करते हुए कहा था कि अगर आप संवैधानिक पदों पर बैठे हैं, तो आपको इन सब बातों का ध्यान रखना होता है। किसी भी परिस्थितियों में इस तरह के कार्य नहीं होने चाहिए, जो बीते दिनों हुए हैं। इससे न केवल पार्टी को नुकसान हो रहा है, बल्कि जनता में भी नेताओं को लेकर अच्छा संदेश नहीं जाता है। त्रिवेंद्र सिंह रावत ने तो यह तक कह दिया था कि इस मामले में जो भी दोषी हो उसे कड़ी सजा दी जा ये। त्रिवेंद्र के बयान के बाद प्रेमचंद पर पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत का भी गुस्सा फूटा था।
तीरथ सिंह रावत ने भी सीधे तौर पर यह कह दिया था कि जो कांग्रेस ने किया है, अगर बीजेपी के नेता भी वही काम करेंगे, तो फिर कांग्रेस और बीजेपी में क्या अंतर रह जाएगा ? ऐसे में अगर कोई भी मंत्री इसमें दोषी है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। इन बयानों से पहले ही पार्टी ने प्रेमचंद के ऊपर यह कहकर अंकुश लगा दिया कि वह फिलहाल मीडिया कर्मियों से बात नहीं करेंगे। अग्रवाल की दो बार दिल्ली दरबार में हुई पेशी भी इस बात की तस्दीक कर रही है कि अगर विधानसभा नियुक्ति मामले में कोई भी पक्ष प्रेमचंद के खिलाफ जाता है तो उनकी कुर्सी पर संकट सौ फीसदी तय है। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भी अपने बयान में साफ कह चुकी हैं कि इस मामले में किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा। पार्टी की हुई किरकिरी और जनता में गया संदेश इन सभी को शांत करने का प्रयास में बीजेपी प्रेमचंद की छुट्टी करके कर सकती है। बताया जा रहा है कि अगर किसी मंत्री को इधर से उधर किया जाता है, तो उनमें सबसे पहला नाम प्रेमचंद का हो सकता है।
दूसरा नाम है चंदन रामदास का। बताया जा रहा है कि चंदन रामदास की तबीयत को देखते हुए पार्टी उनके मंत्रालय और मंत्री पद को लेकर भी कोई फैसला ले सकती है। चंदन इस समय उत्तराखंड परिवहन मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाल रहे हैं। चंदन मौजूदा सरकार में पहली बार मंत्री बने हैं। वह चार बार के विधायक हैं। बीते दिनों से उनकी तबीयत बेहद खराब चल रही है। ऐसे में पार्टी उन्हें आराम दे सकती है।
चर्चाएं रेखा आर्य को लेकर भी हैं। अगर बीजेपी अपनी कैबिनेट में बदलाव करती है तो रेखा आर्य का भी नाम बताया जा रहा है। हालांकि धामी कैबिनेट में रेखा आर्य एकमात्र महिला चेहरा हैं। बीते दिनों जिस तरह से उनके द्वारा पत्र जारी किए गए हैं वो भी विपक्ष के निशाने पर हैं। आईएएस लॉबी से उनका मनमुटाव इसकी एक बड़ी वजह माना जा रहा है। जानकारों का कहना है कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के पास रेखा आर्य को लेकर भी फीडबैक पहुंचा है, जिसके बाद रेखा पर संकट के बादल छा गए हैं। रेखा आर्य कई बार अजीब-ओ-गरीब आदेश जारी कर चुकी हैं। वह लगातार अपने आदेशों को लेकर चर्चा में रहती हैं। ऐसे में पार्टी इन सभी बिंदुओं पर भी जनता से मंथन कर रही है। त्रिवेंद्र सरकार में भी वह महिला एवं बाल विकास मंत्री थीं।
बीजेपी को पता है कि अभी अगर जरा भी चूक हुई तो आने वाले समय में इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। प्रदेश से लेकर दिल्ली में बैठे नेताओं को ही भी मालूम है कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा जैसे ही हिंदी बेल्ट में पहुंचेगी। वैसे ही उत्तराखंड को लेकर राहुल जनता के बीच बात करेंगे। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता भी इस मुद्दे को आने वाले समय में खूब भुनाने का काम करेंगे। अगर ऐसा होता है तो पार्टी को गुजरात और हिमाचल सहित अन्य राज्यों में जवाब देना मुश्किल होगा। मोदी पहले ही परिवारवाद के खिलाफ रहे हैं। ऐसे में बीजेपी कुछ मंत्रियों को जोर का झटका धीरे से दे सकती है। अगर किसी मंत्री को हटाया जाता है तो मदन कौशिक एक बार फिर से कैबिनेट में हो सकते हैं। हांलाकि उन्हें अध्यक्ष पद से अचानक क्यों हटाया ? ये बात आज भी अबूझ पहेली बनी हुई है। कहा जा रहा है कि कुछ समय से पार्टी उन्हें संगठन में कहीं फिट करने की सोच रही थी, लेकिन ये समीकरण उन्हें मंत्री पद दिला सकते हैं।
सरकार में तमाम घपले और मंत्रालयों से उठ रही अनियमिताओं की आवाज के बाद आलाकमान ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से भी अपनी तरफ से एक रिपोर्ट मांगी थी, जिसके बाद उन्होंने भी अपनी रिपोर्ट दिल्ली भेजी है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में क्या लिखा है ? ये तो नहीं मालूम लेकिन कहा ये भी जा रहा है कि धामी भी मौजूदा समय में चल रहे घटनाक्रम को अपने लिए भी सही नहीं मान रहे हैं।