तगड़े मंथन और जद्दोजहद के बाद कांग्रेस ने उत्तराखंड के 63 उम्मीदवारों की जो सूची जारी की है, उसमें बेशक बड़े चेहरे नहीं हैं, लेकिन चुनावी चौसर पर उतारे गए मोहरों से मुकाबला कांटे का हो जाने के आसार जरूर जताए जा रहे हैं। इसमें नए और बाहरी चेहरों से ताकत जुटाने की कोशिश दिखाई दे रही है। पार्टी ने एक भी नेता के रिश्तेदार को टिकट न देकर परिवारवाद पर घिरी भाजपा से खुद को अलग दिखाने की कोशिश की है.
सीएम हरीश रावत पार्टी का घोषित चुनावी चेहरा हैं। उन्हें दो सीटों हरिद्वार ग्रामीण और किच्छा से उम्मीदवार बनाया गया है ताकि पार्टी हरिद्वार और यूएस नगर में दूसरी सीटों पर उनके प्रभामंडल का फायदा ले सकें। सियासी जानकार इसे गढ़वाल और कुमाऊं में संतुलन बिठाने की कवायद के तौर पर भी देख रहे हैं।
साथ ही दूरदर्शी इसे अपने मनपसंद के एक और व्यक्ति को भविष्य में विधानसभा में पहुंचाने की रावत की रणनीति के तौर पर देख रहे हैं। रावत के दो सीटों पर लड़ने को लेकर उनके कुछ विरोधी जरूर उन्हें डरा हुआ करार दे रहे हैं, मगर रावत को जानने वाले कहते हैं कि जब रावत को उनके करीबी ही नहीं समझ पाए तो विरोधी क्या समझेंगे ? खैर, यह तो 11 मार्च को ही पता चलेगा कि किसका प्लान हिट रहा और किसका फ्लाप?