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उत्तराखंड की मशरूम गर्ल दिव्या रावत और उसका भाई पुणे में गिरफ्तार, जानिए मामला…

देहरादून। उत्तराखंड में मशरूम गर्ल नाम से अपनी पहचान बनाने वाली दिव्या रावत और उसके भाई राजपाल रावत को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। दोनों को पुणे पुलिस ने गिरफ्तार किया है। दोनों पर धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप में पुणे पुलिस ने ये कार्रवाई की है।बताया जा रहा है कि दिव्या रावत ने देहरादून में भाखड़ा के खिलाफ दर्ज मुकदमे में बचाव के लिए उनसे रुपयों की मांग की थी।

पुलिस के अनुसार जितेंद्र नंद किशोर भाखाड़ा निवासी मानसलेक भुकुम (पुणे) ने शिकायत दर्ज कराई थी की उनकी कंसलटेंसी फर्म है। जिसे वह घर से ही ऑनलाइन और फोन के माध्यम से चलाते हैं। साल 2019 में वह उद्योग शुरू करना चाहते थे। इसी दौरान फेसबुक के माध्यम से उनका परिचय दिव्या रावत की बहन शकुंतला राय से हुआ, जिसने देहरादून में मशरूम उत्पादन के बारे में जानकारी दी। शकुंतला ने जनवरी 2019 में उन्हें देहरादून के मोथरोवाला में प्रशिक्षण के लिए बुलाया, जहां उनकी मुलाकात दिव्या से हुई। उसके बाद प्रशिक्षण के बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई, जिस कारण वह पुणे आ गए।

दिसंबर 2019 में पीड़ित के पास दिव्या का फोन आया कि वह उसकी सौम्या फूड्स प्राइवेट लिमिटेड से जुड़ सकते हैं। इसके बाद दिव्या ने उन्हें देहरादून बुलाया और रिवर्स माइग्रेशन-2020 प्रोजेक्ट के तहत मशरूम उत्पादन में पार्टनरशिप का प्रस्ताव दिया। प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले वह प्रशिक्षण के लिए टीम के साथ गुजरात गए। वहां उन्होंने कुछ मशीनें भी खरीदी। इस दौरान टीम में शामिल सदस्यों के वेतन, रहने-खाने और मशीनों को खरीदने का खर्च उन्होंने ही किया, पूरे प्रोजेक्ट पर करीब 1.20 करोड़ का खर्च आया। इसमें से कुछ रुपए दिव्या ने उन्हें दिए, जो बाद में बहाने से वापस भी ले लिए।

जब उन्होंने दिव्या से रुपये वापस मांगे तो साल 2022 में देहरादून के नेहरू कॉलोनी थाना में पीड़ित के खिलाफ 77 लाख रुपए की धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करवाया गया। उसके बाद दिव्या की शिकायत के बाद नेहरू कॉलोनी थाना पुलिस ने उन्हें देहरादून बुलाकर गिरफ्तार कर लिया। तीन महीने जेल में रहने के बाद उच्च न्यायालय से उन्हें जमानत मिली। जेल से बाहर आने के बाद पीड़ित ने पुलिस विभाग से सूचना का अधिकार के तहत अपनी गिरफ्तारी को लेकर जानकारी मांगी तो पता चला कि दिव्या ने मेरठ से बनवाए एक शपथ पत्र (एफिडेविट) के आधार पर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। जांच करने पर शपथ पत्र जांच में फर्जी पाया गया। इसकी शिकायत उन्होंने पुणे के पौंड थाने में की। इसके बाद से दिव्या उनसे समझौते के लिए 32.5 लाख रुपये मांग रही थी। पीड़ित ने दिव्या को 10 लाख रुपये का चेक लेने के लिए पुणे बुलाया। इसके साथ ही पुलिस को भी सूचना दे दी। पुणे में दिव्या और उसके भाई को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।

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