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‘गणेश’ जी के गले में फिर फंसा ‘शक्तिमान’!

  • हाईकोर्ट ने 4 दिन में धामी सरकार से मांगा जवाब, बताये सरकार ने इस मामले में पूर्व में अपील क्यों की थी दाखिल?

नैनीताल। आज मंगलवार को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने शक्तिमान घोड़े की मौत के आरोपियों को सजा दिलाए जाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की। मामले को सुनने के बाद न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी की एकलपीठ ने सरकार से 16 दिसंबर तक यह बताने को कहा है कि सरकार ने इस मामले में पूर्व में अपील दाखिल क्यों की थी? मामले की अगली सुनवाई के लिए 16 दिसंबर की तिथि नियत की है।
मामले के मुताबिक होशियार सिंह बिष्ट ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर जिला अदालत के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें निचली अदालत ने गणेश जोशी को दोष मुक्त कर दिया था। कहा गया था कि याचिकाकर्ता होशियार सिंह बिष्ट न तो शिकायतकर्ता हैं और न ही गवाह। याचिका में कहा गया है कि 2016 में विधानसभा घेराव के दौरान पुलिस की लाठी से गणेश जोशी ने शक्तिमान घोड़े की टांग पर हमला किया और बाद में घोड़े की मौत हो गई। इस मामले में 23 अप्रैल 2016 को पुलिस ने गणेश जोशी को आरोपी बनाया और नेहरू कॉलोनी थाने में मुकदमा भी दर्ज किया।
इसके बाद 16 मई 2016 को चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की. इसी बीच सरकार बदली तो नई सरकार ने सीजेएम कोर्ट से केस वापस लेने के लिए प्रार्थना पत्र दाखिल कर दिया। 23 सितंबर 2021 को निचली अदालत ने गणेश जोशी को बरी कर दिया और अपीलीय कोर्ट ने याचिका को सुनवाई योग्य नहीं माना।
याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय में निचली अदालत के निर्णय को निरस्त करने के साथ गणेश जोशी व अन्य को सजा दिलाए जाने की मांग की है। गौरतलब है कि 14 मार्च 2016 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार की कथित नाकामियों के विरोध में बीजेपी के सदस्यों ने बजट सत्र के दौरान विधानसभा का घेराव किया था। विधानसभा के पास विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिसकर्मियों व भाजपा समर्थकों के बीच झड़प भी हुई थी। आरोप था कि इस दौरान भाजपा विधायक गणेश जोशी ने पुलिस की लाठी छीनकर उन्हीं पर बरसाना शुरू कर दिया था। विधायक गणेश जोशी के लाठी से हमला करने और दूसरी तरफ से भाजपा नेता प्रमोद वोहरा की ओर से लगाम खींचने से घोड़े का सारा भार उसके पीछे के हिस्से पर आ गया और घोड़ा गिर गया था। जिससे उसकी पिछली टांग की हड्डी टूट गई थी।
इस घटना के बाद घोड़े शक्तिमान का देहरादून पुलिस लाइन में कई दिनों तक उपचार चलता रहा। हालांकि शक्तिमान की जान बचाने के लिए डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर उसकी टूटी टांग काट दी और उसकी जगह कृत्रिम (आर्टिफिशियल) पैर लगा दिया था, लेकिन उसकी जान नहीं बचा सकी। यह शक्तिमान घोड़ा मौत मामला देश-विदेश में खूब चर्चित हुआ था। पुलिस के प्रशिक्षित घोड़े शक्तिमान पर लाठी से हमला कर उसे घायल करने के आरोप में गणेश जोशी पर पशु क्रूरता अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। कांग्रेस ने इस मामले को जोर-शोर से उठाया था। इससे पहले पुलिस घुड़सवार ने शक्तिमान की मौत पर एफआईआर दर्ज की थी। गणेश जोशी को पुलिस ने आरोपी बनाया था।
उधर गणेश जोशी पर शक्तिमान प्रकरण में मुकदमा दर्ज कर साल 2016 से कोर्ट की कानूनी प्रक्रिया जारी थी। आखिरकार लंबी कोर्ट प्रक्रिया के बाद बीती 23 सितंबर 2021 को देहरादून की सीजेएम कोर्ट ने मामले में फैसला सुनाया था। मामले में सीजेएम कोर्ट ने आरोपी कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी समेत पांचों आरोपियों को बरी कर दिया था। गणेश जोशी के साथ बीजेपी नेता योगेंद्र रावत, जोगिंदर सिंह पुंडीर, राहुल रावत और प्रमोद वोहरा भी आरोपी थे।

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