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टोक्यो ओलंपिक : इन बड़े दिल वालों ने गोल्ड मेडल ही बांट लिया… जीते तो कई, इन्होंने जीता दुनिया का दिल!

  • तमाम परेशानियों के बावजूद सब पर भारी पड़ी खेल भावना, टोक्‍यो खेल महाकुंभ से आईं तस्‍वीरें बनीं इसकी गवाह


टोक्यो। ‘जिस खिलाड़ी से दुश्मनों की तरह जंग लड़ी और कुछ मिनट पहले हारे, बाद में उसी के लिए मदद का हाथ बढ़ाना…. स्‍कोर बराबर रहा तो दो खिलाड़ियों ने तय किया कि टाईब्रेकर के बजाय गोल्‍ड मेडल बांट लेते हैं… दो खिलाड़ी ट्रैक पर दौड़ते हुए टकरा गए, कोई कड़वाहट नहीं, दोनों ने फिनिश लाइन तक पहुंचने में एक-दूसरे की मदद की…।’ ये खेल भावना के कुछ ऐसे उदाहरण हैं जो इस साल ओलंपिक खेलों से निकले हैं। दुनिया के सबसे बड़े खेल महाकुंभ में, जहां  मेडल  के लिए गलाकाट प्रतिस्‍पर्धा होती हो, ऐसी तस्‍वीरें सुकून देती हैं।

मुकाबला टाई हुआ तो इन दोनों ने बांट लिया गोल्‍ड मेडल : ओलंपिक स्‍टेडियम में इटली के जियानमार्को तम्‍बेरी और कतर के मुताज बरशीम के बीच हाई जंप में कड़ा मुकाबला था। फिर कुछ ऐसा हुआ जो दोनों ने कभी सोचा नहीं था। मुकाबला टाई हो गया। जब बार को बढ़ाकर ओलंपिक रेकॉर्ड हाइट 2.39 मीटर कर दिया गया तो दोनों ही तीन-तीन बार मिस कर गए। चाहते तो इसके बाद जंप-ऑफ के लिए जा सकते थे मगर दोनों ने तय किया कि गोल्ड मेडल बांट लेंगे। बरशीम ने मैच के बाद कहा, ‘मैं जानता कि जैसा प्रदर्शन मैंने किया है, मैं गोल्‍ड का हकदार था। उसने (तम्‍बेरी) भी वही किया तो वह भी सोने का हकदार था। यह खेल से परे है। यह वह संदेश है जो हम युवा पीढ़ी को देना चाहते हैं।” जब मेडल बांटने का फैसला हुआ तो तम्‍बेरी ने बरशीम के हाथों पर चिकोटी काटी और फिर उन्‍हें गले से लगा लिया।

गुस्‍से नहीं, प्‍यार से चलती है दुनिया : यह बड़ी खूबसूरत तस्‍वीर है। अमेरिका के इसाया जेवेट और बोट्सवाला के नाइजेल अमोस 800 मीटर रेस के सेमीफाइल्‍स में दौड़ रहै थे। दोनों आपस में टकरा गए मगर नाराज होने के बजाय दोनों ने एक-दूसरे को खड़ा होने में मदद की, एक-दूसरे की बाहों में बाहें डालीं और साथ में रेस फिनिश की।

हार-जीत तो लगी रहती है दोस्‍त : फील्‍ड हॉकी के ग्रुप मैच में अर्जेंटीना ने जर्मनी को हरा दिया था। मैच के ठीक बाद अर्जेंटीना की गोलकीपर मारिया बेलेन सुक्‍की जर्मनी की शार्लोट स्‍टेपनहॉर्स्‍ट के पास गईं और उन्‍हें ढांढस बंधाया।

‘कोई बात नहीं, इट्स ऑल गुड’ : महिलाओं के ट्रायलॉथन के मुकाबले काफी थकाऊ रहे। बेल्जियम की क्‍लेयर माइकल भी इस इवेंट का हिस्‍सा थीं। वह विनर से 15 मिनट पीछे, सबसे आखिर में रेस फिनिश करने वाली एथलीट थीं। फिनिश लाइन पार करने के बाद क्‍लेयर वहीं पर बैठ गईं और रोने लगीं। उन्‍हें देखकर नॉर्वे की लॉटे मिलर उनके पास गईं। मिलर ने क्‍लेयर के कंधे पर हाथ रखकर उन्‍हें ढांढस बंधाया।

जिससे हारे, उसी के ट्रांसलेटर बन गए कनोआ : ओलंपिक में पहली बार सर्फिंग को शामिल किया गया है। जापान के कनोआ इगाराशी इस खेल में ब्राजील के इटालो फरेरा से हार गए। इंटरनेट पर कनोआ को ब्राजीलियन ट्रोल्‍स का भी सामना करना पड़ा। वह चाहते तो चुप रह जाते मगर उन्‍होंने कुछ अलग किया। दुनियाभर के सामने जब परेरा से सवाल पूछे जा रहे थे, तब उन्‍होंने पुर्तगाली भाषा के अपने ज्ञान का प्रदर्शन किया। फरेरा के लिए कनोआ ट्रांसलेशन करते नजर आए। ये इस बार के ओलंपिक की ऐसी मानवीय और संवेदनशील घटनायें हैं जो गोल्ड मेडल से परे उस भावना को दर्शाती हैं कि इंसानियत अभी जिंदा है और सदा मुस्कुराती रहेगी।  

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