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कोविड से अनाथ हुए 2347 बच्चों के ‘मामा’ बने धामी और रेखा ‘बुआ’!

सराहनीय पहल

  • ऐसे नौनिहालों के लिये पुष्कर सिंह धामी ने किया मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना योजना का शुभारंभ
  • कोरोना काल में बेसहारा हुए बच्चों को मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना से मिलेगा सहारा
  • पहले चरण में 1062 बच्चे लाभान्वित, ऐसे बच्चों को मिलेंगे 3 हजार रुपये प्रतिमाह  

देहरादून। आज सोमवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कोरोना काल में बेसहारा हुए बच्चों के लिए मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना का शुभारम्भ किया। मुख्यमंत्री आवास स्थित जनता दर्शन हॉल में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने डीबीटी द्वारा योजना में चिन्हित बच्चों के बैंक खातों में 3-3 हजार रुपए की सहायता राशि भी ट्रांसफर की।
धामी ने कहा कि कोरोना काल में बच्चों के माता-पिता व संरक्षक के चले जाने की भरपाई करना मुमकिन नहीं है। परंतु राज्य सरकार एक अभिभावक की तरह इनका हमेशा ध्यान रखेगी। डीएम इनके सह अभिभावक के रूप में काम करेंगे। वात्सल्य, माता-पिता में अपने बच्चों के लिए होने वाला नैसर्गिक प्रेम होता है। वह इन बच्चों के मामा की तरह ध्यान रखेंगे। कोरोना काल में जिन बच्चों की आंखों में आंसू आए हैं, उनके चेहरों पर मुस्कान लाने का प्रयास कर रहे हैं।  

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पहली योजना होगी जिसमें हम चाहते हैं कि योजना में आच्छादित बच्चों की संख्या इतनी ही बनी रहे और किसी बच्चे को इसकी जरूरत न हो। फिर भी हम इनकी पूरी देखभाल करेंगे। अभावों में संघर्ष करने वाले अपनी संकल्प शक्ति से आसमान को छूते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना में आच्छादित बच्चों को प्रतिमाह 3-3 हजार रुपए की सहायता राशि दी जा रही है। इसके साथ ही इनके लिये निशुल्क राशन और शिक्षा की व्यवस्था भी की जा रही है। जिलों के डीएम इन बच्चों की सम्पत्ति का संरक्षण भी करेंगे। अनाथ बच्चों के लिए नौकरियों में पांच प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य है। सरकार इन बच्चों के कौशल विकास पर भी ध्यान देगी।  

कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि कोरोना ने हमसे बहुत कुछ छीना है। हर किसी ने अपने किसी को खोया है। हमें इस दर्द से संघर्ष करके आगे बढ़ना है। कोरोना काल में अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों की पीड़ा को मुख्यमंत्री और राज्य सरकार ने समझा है।  यह योजना बच्चों को सामाजिक, आर्थिक और मानसिक तौर पर सशक्त करेगी। सरकार इनके अभिभावक की भूमिका का निर्वाह कर रही है।
रेखा ने बताया कि 1 मार्च, 2020 से 31 मार्च, 2022 तक कोविड-19 महामारी एवं अन्य बीमारियों से पिता/माता/संरक्षक की मौत अथवा माता-पिता में से कमाऊ सदस्य की मौत के कारण 21 वर्ष तक के प्रभावित बच्चों की देखभाल, पुनर्वास, चल अचल सम्पत्ति, उत्तराधिकारों एवं विधिक अधिकारों के संरक्षण के लिए मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना लागू की गयी है। इस योजना में आच्छादित बच्चों को 3 हजार रुपए प्रतिमाह की आर्थिक सहायता बीती 1 जुलाई 2021 से 21 वर्ष की आयु तक अनुमन्य की गयी है।

धामी सरकार द्वारा प्रभावित बच्चों के भरण-पोषण, सुरक्षा एवं सर्वांगीण विकास का दायित्व स्वयं लेते हुए ऐसे बच्चों का निरंतर अनुश्रवण किया जा रहा है। बच्चों की सुरक्षा एवं संरक्षण हेतु सभी जिलाधिकारियों को प्रभावित बच्चों की देखभाल, पुनर्वास, चल-अचल सम्पत्ति, उत्तराधिकारों एवं विधिक अधिकारों की रक्षा हेतु संरक्षक अधिकारी नामित किया गया है।
एक अगस्त 2021 तक 21 वर्ष तक की आयु के 2347 बालक/बालिका चिन्हित किये गये हैं। मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना के शुभारंभ के अवसर पर प्रथम चरण में 1062 बच्चों को लाभान्वित किया जा गया है। मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना के संचालन हेतु एमआईएस पोर्टल बनाया जा रहा है, जिसमें समस्त बच्चों का विवरण जनपदों द्वारा ऑनलाइन भरा जायेगा। मुख्यमंत्री वात्सल्य योजनान्तर्गत प्रतिमाह 3 हजार रुपए बीती जुलाई से प्रारम्भ करते हुए निदेशालय द्वारा पीएफएमएस के माध्यम से डीबीटी सीधे चिन्हित बच्चों के बैंक खातों में धनराशि भेजी जायेगी।

कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि राज्य सरकार कोरोना महामारी से अनाथ हुए बच्चों की हर संभव मदद कर रही है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने इंटर में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने वाली बालिका निकेतन की कुमारी तारा एवं कुमारी स्मृति को सम्मानित भी किया। बालिका निकेतन की बालिकाओं ने मुख्यमंत्री एवं अतिथियों को स्वनिर्मित पेंटिंग भेंट की। इस अवसर पर कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, रेखा आर्या, विधायक धन सिंह नेगी, सचिव हरि चंद्र सेमवाल और वर्चुअल माध्यम से विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चन्द अग्रवाल, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, विधायक मुन्ना सिंह चौहान, सहदेव पुण्डीर, रामसिंह कैड़ा, दीवान सिंह बिष्ट आदि उपस्थित थे।

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