देहरादून। उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू किए जाने की तैयारी चल रही है। इस बीच सीएम पुष्कर सिंह धामी का एक बयान खासी चर्चा में आ गया है। दिल्ली में चुनावी प्रचार प्रसार करने के बाद शनिवार को देहरादून पहुंचे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यूसीसी लागू करने की दिशा में संकेत दिये। सीएम धामी ने कहा अगले एक से दो दिन में यूसीसी लागू करने की तिथि का ऐलान कर दिया जाएगा।
बता दें उत्तराखंड में यूसीसी लागू किए जाने संबंधित तैयारियां अब अंतिम दौर में हैं। यूनिफॉर्म सिविल कोड का पोर्टल तैयार हो चुका है। इसके अलावा यूसीसी को लागू करने से संबंधित अधिकारियों की ट्रेनिंग भी कराई जा चुकी है। कुल मिलाकर यूनिफॉर्म सिविल कोड कि अब सारी प्रक्रियाएं लगभग पूरी हो चुकी हैं। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि 27 जनवरी को करीब 12.30 बजे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की घोषणा कर सकते हैं। जिसके चलते शासन स्तर पर तैयारियां तेज हो गई हैं।
सीएम धामी ने नशे के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई की सराहना की। उन्होंने कहा कि नशा युवा पीढ़ी के लिए खतरनाक है। सीएम ने कहा कि उत्तराखंड को नशामुक्त प्रदेश बनाने में पुलिस की अहम भूमिका रहेगी। उन्होंने कहा कि इनोवेशन में उत्तराखंड देश में उदाहरण बन रहा है। नकल कानून का जिक्र करते हुए सीएम धामी ने कहा कि इस कानून के लागू होने के बाद 19,000 भर्तियां हुई हैं, एक भी मामला कोर्ट में नहीं गया।
उत्तराखंड यूसीसी नियमावली के मुख्य बिंदु
- पॉलीगैमी या बहुविवाह पर लगेगी रोक।
- बहुविवाह पूर्ण तरीक़े से बैन केवल एक शादी होगी मान्य।
- लिव इन रिलेशनशिप के लिए डिक्लेरेशन होगा जरूरी।
- लिव इन रिलेशनशिप में रहने वाले लोगों की पूरी जानकारी देनी होगी।
- लिव इन रिलेशनशिप में रहने के लिए पुलिस के पास रजिस्ट्रेशन करना होगा।
- उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर मिलेगा हिस्सा।
- एडॉप्शन सभी के लिए होगा मान्य।
- मुस्लिम महिलाओं को मिलेगा गोद लेने का अधिकार।
- गोद लेने की प्रक्रिया का होगा सरलीकरण।
- मुस्लिम समुदाय में होने वाले हलाला और इद्दत पर रोक लगेगी।
- शादी के बाद रजिस्ट्रेशन होगा अनिवार्य।
- हर शादी का गांव में ही रजिस्ट्रेशन होगा।
- बिना रजिस्ट्रेशन की शादी अमान्य मानी जाएगी।
- शादी का रजिस्ट्रेशन नहीं होने पर किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा।
- पति और पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार उपलब्ध होंगे।
- तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा।
- नौकरीशुदा बेटे की मौत पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी।
- अगर पत्नी पुनर्विवाह करती है, तो पति की मौत पर मिलने वाले कंपेंनशेसन में माता पिता का भी हिस्सा होगा।
- पत्नी की मौत हो जाती है और उसके माता पिता का कोई सहारा न हो, तो उनके भरण पोषण की जिम्मेदारी पति की होगी।
- गार्जियनशिप, बच्चे के अनाथ होने की सूरत में गार्जियनशिप की प्रक्रिया को आसान किया जाएगा।
- पति-पत्नी के झगड़े की सूरत में बच्चों की कस्टडी उनके ग्रैंड पैरेंट्स को दी जा सकती है।
- यूसीसी में जनसंख्या नियंत्रण का भी हो सकता है प्रावधान।
- जनसंख्या नियंत्रण के लिए बच्चों की सीमा तय की जा सकती है।