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यूपी : मेनिफेस्टो में इन ज्वलंत मुद्दों पर भाजपा मौन!

  • गंगा सफाई, किसानों के लिये डीएपी-यूरिया और छुट्टा घूमते पशुओं पर कोई घोषणा नहीं, ऐसे ही 5 बड़े मुद्दे भाजपा घोषणा पत्र से गायब

लखनऊ। भाजपा ने यूपी में 16 पेज का ‘लोक कल्याण संकल्प पत्र 2022’ जारी किया है। इसमें 5वें पेज से 12वें तक घोषणाएं हैं। इन 7 पन्नों में भाजपा ने कुल 10 मुद्दों पर 130 ऐलान किए हैं। पेज नंबर 13 को खाली छोड़ा है और इसमें डॉट्स लगाए हैं, जैसे जानबूझ कर छोड़ा गया हो। साथ ही ये 5 जरूरी मुद्दे घोषणा पत्र से गायब हैं…
मुद्दा 1: गंगा सफाई शब्द का जिक्र तक नहीं : मेनिफेस्टो में भाजपा ने 2025 के महाकुंभ को विश्वस्तरीय बनाने का वादा किया है। नदियों के किनारे लाइफ गार्ड की नियुक्ति का भी संकल्प है, लेकिन गंगा सफाई का जिक्र नहीं किया गया। यहां तक कि बनारस की असी नदी में शहर भर का कचरा गिरता है। ये गंदगी अक्सर ओवरफ्लो होकर गंगा में गिरती रहती है।
हकीकत : दिसंबर 2021 में नमामि गंगे की प्रोजेक्ट रिपोर्ट आई थी। इसमें बताया गया कि यूपी में गंगा सफाई के लिए कुल 53 परियोजनाएं शुरू की गईं, लेकिन सिर्फ 28 प्रोजेक्ट ही पूरे हो सके। अब 21 प्रोजेक्ट लटके हुए हैं। बाकी 4 के टेंडर भी नहीं आ सके हैं।
मुद्दा 2 : लावारिस पशुओं के बारे में कोई जिक्र नहीं : बुंदेलखंड समेत यूपी के 3 जिलों सीतापुर, हरदोई और कौशांबी से लगातार छुट्टा पशुओं पर खबरें छप रही हैं। मार्च 2021 सीतापुर में सरकारी स्कूल में बंद किए गए सैकड़ों पशुओं की खबर वायरल हुई थी। जनवरी में एक यूट्यूब चैनल पर कौशांबी के मूरतगंज के संतोष पटेल ने कहा था, ‘जो छुट्टा पशुओं से छुटकारा दिलाए, हम उसी को वोट दे देंगे।’ लेकिन इस पर कोई घोषणा नहीं है।
हकीकत : अखिल भारतीय रिपोर्ट पशुधन जनगणना -2019 में यूपी के छुट्टा पशुओं पर चौंकाने वाला दावा करती है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, 2012 से 2019 के बीच देश में छुट्टा जानवरों में 3.2% की कमी आई, लेकिन UP में उनकी आबादी 17.34% बढ़ गई। अब यहां 11.8 लाख से ज्यादा आवारा मवेशी हैं।
मुद्दा 3: डीएपी-यूरिया पर बोलना ही नहीं चाहती सरकार : भाजपा ने घोषणापत्र में किसानों को सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली की बात कही है, लेकिन सहकारी समितियों पर मिलने वाली खाद डीएपी-यूरिया के वितरण पर कोई वादा नहीं किया है।
हकीकत : यूपी कृषि विभाग के आंकड़े बताते हैं कि साल 2021 में रबी सीजन के लिए 65.80 लाख टन खाद का लक्ष्य रखा गया था। इसमें नवंबर तक सिर्फ 30.86 लाख टन खाद ही किसानों को आवंटित की गई। यानी आधे से भी कम, जबकि उसी समय में खाद के लिए लाइन में लगे किसानों की 100 से ज्यादा तस्वीरें वायरल हुईं। डीएपी-यूरिया को लेकर सबसे ज्यादा हाहाकार बुंदेलखंड में हुआ। यहां खाद के लिए लाइन में खड़े 4 किसानों की मौत हो गई थी।

मुद्दा 4 : बच्चों की हेल्थ पर कोई ऐलान नहीं : घोषणा पत्र में महिलाओं और बुजुर्गों के स्वास्थ्य की तो बात है, लेकिन नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य पर कोई वादा नहीं किया गया है।
हकीकत : चाइल्ड राइट्स एंड यू यानी सीआरवाई-2020 की रिपोर्ट यूपी में शिशु मृत्यु दर सभी राज्यों से ज्यादा है। यहां हर 1000 में से 32 नवजात शिशुओं की मौत 5 साल से पहले हो जाती है। यूनिसेफ इंडिया ने 2018 में बच्चों पर सर्वे किया था। इसके मुताबिक उचित इलाज न मिलने से यूपी में हर रोज 5 साल से कम उम्र के करीब 700 बच्चों की मौत होती है।
मुद्दा 5: मस्जिदों के विकास पर कोई वादा नहीं : घोषणा पत्र में सांस्कृतिक विरासत और पर्यटन विकास पर कई वादे किए गए। इनमें महर्षि वालमीकि आश्रम, सीतामढ़ी स्थल के नवीनीकरण। गोस्वामी तुलसीदास अवधी अकादमी, सूरदास ब्रज भाषा अकादमी और संत कबीर दास भोजपुरी अकादमी बनाने की बात कही गई, लेकिन प्रदेश में मस्जिद और मदरसों का जिक्र नहीं हुआ।
हकीकत : सशस्‍त्र सीमा बल ने 2021 में एक रिपोर्ट जारी की थी। इसमें यूपी में साल 2018 तक 738 मस्जिदें थीं। साल 2021 में इनकी संख्या बढ़कर 1,000 हो गई थी। इसी तरह मदरसे 500 से बढ़कर 645 हो गए। यानी इन तीन सालों में मस्जिदों और मदरसों के निर्माण में 26% का इजाफा हुआ। इनसे प्रदेश की कुल 19.3% मुस्लिम आबादी वास्ता है। 

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