जीरो टॉलरेंस सरकार का गजब रवैया
- विस में मनमाने तरीके से की गई नियुक्तियों को निरस्त स्पीकर ऋतु खंडूड़ी ने अब सीएम के पाले में डाली गेंद
- इस चर्चित और विवादित मामले में प्रेमचंद को धामी के क्लीन चिट देने से सवालों के घेरे में आई भाजपा सरकार
देहरादून। विधानसभा में बैक डोर भर्ती को लेकर गठित उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट के आधार पर स्पीकर ऋतु खंडूड़ी ने विस में 228 नियुक्तियों को निरस्त करने की बात कहकर सबको चैंका दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी उनके इस फैसले का स्वागत करते हुए स्पीकार को बधाई दी है, ऋतु खंडूड़ी ने इतनी जल्दी और साफगोई के साथ एक झटके में ‘गेंद‘ धामी के पाले में डाल दी है। इस मामले में सबसे अहम सवाल यह है कि पूर्व स्पीकर गोविंद सिंह कुंजवाल और प्रेमचंद अग्रवाल पर कोई एक्शन क्यों नहीं लिया जा रहा। क्या इन दोनों ने मनमानी नियुक्तियां करके युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ नहीं किया है। दूसरी ओर सीएम के प्रेमचंद के प्रति ‘साॅफ्ट काॅर्नर‘ से उनके जीरो टाॅलरेंस पर भी सवालिया निशान लग गया है।
विधानसभा में बैक डोर से हुई भर्तियों को निरस्त करने के मामले में भले ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी हो, लेकिन भर्तियों को लेकर सबसे ज्यादा विवादों में रहे वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल को धामी ने क्लीन चिट देकर सरकार की ‘नीयत‘ को कठघरे में खड़ा कर दिया है। मीडिया द्वारा मुख्यमंत्री से पूछे गए सवाल के जवाब में धामी का एक तरह से प्रेमचंद का बचाव करते हुए यह कहना कि अब भर्तियां निरस्त हो चुकी है, लिहाजा वित्त मंत्री को लेकर पूछे गए सवाल का कोई औचित्य नहीं है, सरकार को ही शक के दायरे में लाता है कि बैक डोर भर्ती के ‘सरताज‘ का ताज बरकरार रहेगा।
हालांकि इस मामले में सरकार के वित्त मंत्री प्रेमचंद सोशल मीडिया से लेकर विपक्ष तक के निशाने पर है, लेकिन भाजपा सरकार उनको लेकर कुछ स्पष्ट स्थिति नहीं बना पा रही है और इसलिए मुख्यमंत्री ने प्रेमचंद के इस्तीफे के सवाल पर कन्नी काट दी। दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने भी मीडिया के इस सवाल से कन्नी काट ली कि धामी सरकार प्रेमचंद पर क्या कार्रवाई करने जा रही है। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने ‘जीरो टाॅलरेंस‘ की नीति पर कायम रहते हुए मीडिया से एक बातचीत में साफ कहा कि नियम विरुद् कार्य करने वाला चाहे कितना ही पावरफुल क्यों न हो, उस पर भी विधि सम्मत कार्रवाई होनी ही चाहिये।
इससे पहले आज शुक्रवार सुबह स्पीकर ऋतु खंड़ूड़ी ने प्रेस कांफ्रेंस में साफ कहा कि 2016, 2020 और 2021 में हुईं नियुक्तियों को उन्होंने रद्द करने का फैसला किया है। दिलचस्प बात यह है कि स्पीकर ऋतु ने इस मामले में सीधे धामी सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए दो टूक कहा कि इन नियुक्तियों को सरकार का अनुमोदन है। लिहाजा अनुमोदन निरस्त करने का वह सरकार से आग्रह कर रही है। इस तरह धामी सरकार अब दोराहे पर आ खड़ी हुई है। एक तरफ तो वह स्पीकर के फैसले का स्वागत कर रही है तो दूसरी तरफ प्रेमचंद का बचाव कर अपनी नीयत पर खुद ही सवाल खड़े कर रही है।
सोशल मीडिया से लेकर आम जनता के बीच अब एक यह सवाल तेजी से उठाया जा रहा है कि स्पीकर ने एक झटके में 228 लोगों को बेरोजगार कर दिया, लेकिन इनके भविष्य से खिलवाड़ करने वाले दोनों पूर्व स्पीकर कुंजवाल और अग्रवाल पर धामी सरकार कोई एक्शन लेने से क्यों कन्नी काट रही है? इस मामले में सियासत के पंडितों का कहना है कि ‘हमाम में सब नंगे हैं‘। अगर प्रेमचंद पर आंच आई तो वह अकेले विलेन नहीं बनेंगे, बल्कि कई और बड़े नेताओं को भी साथ ले डूबेंगे। अब देखना यह है कि धामी सरकार इस अग्नि परीक्षा में कैसे अपने आपको खरी साबित करेगी?