अंकिता के परिजनों ने जड़े आरोप
- जांच में लापरवाही कर रही एसआईटी, सीबीआई से कराई जाए मामले की जांच
- इस मामले में शुरुआत से ही किसी वीआईपी को बचाना चाह रही है राज्य सरकार
- सबूत मिटाने के लिए बीते दिनों रिसॉर्ट से सटी फैक्ट्री को भी जला दिया गया
- सरकार ने किसी को बचाने के लिए जिलाधिकारी और एसएसपी तक को हटाया
- खुद उन पर भी इस केस को वापस लिए जाने का डाला जा रहा है दबाव
- एसआईटी ने अभी तक सार्वजनिक नहीं की अंकिता का पोस्टमार्टम की रिपोर्ट
- जिस दिन अंकिता का शव मिला, उसी दिन शाम को उनके तोड़ा अंकिता का कमरा
- पुलिस ने बिना किसी महिला की उपस्थिति में अंकिता के शव का पोस्टमार्टम
नैनीताल। देशभर के बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड में उसके परिजनों की ओर से दायर याचिका आज गुरुवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। मामले में वरिष्ठ न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा की एकलपीठ ने एसआईटी से पूछा कि बुलडोजर चलने के बाद घटनास्थल से आपने क्या-क्या सबूत इकट्ठे किए? हाईकोर्ट ने एसआईटी से शपथ पत्र के माध्यम से 11 नवंबर तक जवाब पेश करने के आदेश दिए। मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर को होगी।
आज नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान में अंकिता भंडारी की माता सोनी देवी और पिता बीरेंद्र सिंह ने अपनी बेटी को न्याय दिलाने व दोषियों को फांसी की सजा दिए जाने को लेकर याचिका में अपना प्रार्थना पत्र दिया। जिसमें कहा गया कि एसआईटी जांच में लापरवाही कर रही है, इसलिए इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए। सरकार इस मामले में शुरुआत से ही किसी वीआईपी को बचाना चाह रही है।
उनके प्रार्थनापत्र में ये भी कहा गया है कि सबूत मिटाने के लिए बीते दिनों रिसॉर्ट से सटी फैक्ट्री को भी जला दिया गया। जबकि वहां पर कई सबूत मिल सकते थे। स्थानीय लोगों के मुताबिक फैक्ट्री में खून के धब्बे देखे गए थे। सरकार ने किसी को बचाने के लिए जिलाधिकारी और एसएसपी तक को हटा दिया।
याचिकाकर्ता का कहना है कि उन पर भी इस केस को वापस लिए जाने का दबाव डाला जा रहा है। उन पर क्राउड फंडिंग का आरोप भी लगाया जा रहा है। अंकिता के परिजन की ओर से आशुतोष नेगी ने याचिका दायर कर कहा है कि पुलिस और एसआईटी इस मामले के महत्वपूर्ण सबूतों को छुपा रहे हैं। एसआईटी की ओर से अभी तक अंकिता का पोस्टमार्टम की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई। जिस दिन उसका शव बरामद हुआ था, उसी दिन शाम को उनके परिजनों की सहमति के बिना अंकिता का कमरा तोड़ दिया गया। जब अंकिता का मेडिकल हुआ था तो पुलिस ने बिना किसी महिला की उपस्थिति में उसका मेडिकल कराया। जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि मेडिकल कराते समय एक महिला का होना आवश्यक था जो इस केस में पुलिस ने नहीं किया। जिस दिन उसकी हत्या हुई थी, उस दिन 6 बजे पुलकित उसके कमरे में था और अंकिता रो रही थी। याचिका में ये भी कहा गया है कि अंकिता के साथ दुराचार हुआ है। जिसे पुलिस नहीं मान रही है। पुलिस इस केस में लीपापोती कर रही है। इसलिए इस केस की जांच सीबीआई से कराई जाए।
गौरतलब है कि पौड़ी जिले के नांदलस्यू पट्टी के श्रीकोट की रहने वाली अंकिता भंडारी (19) ऋषिकेश के बैराज चीला मार्ग पर गंगा भोगपुर में स्थित वनंत्रा रिसोर्ट में रिसेप्शनिस्ट की नौकरी करती थी। अंकिता इस रिजॉर्ट में 28 अगस्त से नौकरी कर रही थी और वो बीती 18 सितंबर को रहस्यमय तरीके से लापता हो गई थी। जिसके बाद रिजॉर्ट के मालिक पुलकित आर्य ने राजस्व पुलिस चौकी में उसकी गुमशुदगी दर्ज कराई। 22 सितंबर तक अंकिता का कुछ पता नहीं चला तो मामला लक्ष्मणझूला थाना पुलिस को ट्रांसफर कर दिया गया। वहीं जब पुलिस ने जांच की तो वनंत्रा रिसोर्ट के मालिक भाजपा नेता विनोद आर्य के बेटे पुलकित आर्य और उसके मैनेजरों को इस हत्याकांड में गिरफ्तार कर लिया गया।