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नहीं रहे ‘फोटो बाबा’ स्वामी सुंदरानंद, त्रिवेंद्र ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि

  • पूरा जीवन हिमालय के लिए समर्पित करने वाले सुंदरानंद जी को गंगोत्री स्थित उनकी तपोवन कुटी के पास दी जाएगी समाधि

उत्तरकाशी। फोटो बाबा के नाम से देश दुनिया में पहचाने जाने वाले स्वामी सुंदरानंद बुधवार रात देहरादून में उपचार के दौरान ब्रह्मलीन हो गए। वह 97 वर्ष के थे। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने स्वामी सुंदरानंद के ब्रह्मलीन होने पर श्रद्धांजलि अर्पित की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि परम पूज्य स्वामी सुंदरानंद सच्चे मायनों में हिमालय के योगी थे। उन्होंने हिमालय की दिव्यता, पवित्रता और सुंदरता को अपने कैमरे के माध्यम से दुनिया के सामने रखा।
उनके द्वारा स्थापित गंगोत्री स्थित तपोवनम हिरण्यगर्भ आर्ट गैलेरी और  पुस्तक ‘हिमालय : थ्रू ए लेंस ऑफ ए साधु’ (एक साधु के लैंस से हिमालय दर्शन) विश्व को एक अनुपम देन है। उनका पूरा जीवन हिमालय के लिए समर्पित रहा। वे हम सभी के लिये सदैव प्रेरणास्त्रोत बने रहेंगे।
लंबे समय से स्वामी सुंदरानंद की सेवा में जुटे देहरादून निवासी डा. अशोक लूथरा ने बताया कि स्वामी लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे। बुधवार रात को उन्होंने देहरादून स्थित अर्चना हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली। उन्होंने बताया कि स्वामी जी की इच्छा अपनी साधना स्थली गंगोत्री स्थित तपोवन कुटी के निकट समाधि लेने की थी।
आज गुरुवार को उनका पार्थिव शरीर उत्तरकाशी लाया जा रहा है। यहां उनके भक्तगण उजेली स्थित तपोवन कुटी आश्रम में उनके अंतिम दर्शन कर सकेंगे। शुक्रवार को ब्रह्मलीन स्वामी जी के पार्थिव शरीर को गंगोत्री ले जाकर तपोवन कुटी के निकट समाधि दी जाएगी। उनके पार्थिव शरीर के साथ आमोद पंवार, अभिनव आचार्य, राजेश, वीके माहेश्वरी, मुलायम असवाल आदि अनुयायी यहां पहुंच रहे हैं। स्वामी के निधन से देश दुनिया में उनके भक्तों में शोक व्याप्त है। स्वामी सुंदरानंद की शिष्या अमेरिका निवासी डेबरा मॉरिन(दयामयी) भी कोविड-19 महामारी के चलते भारत नहीं आ पा रही हैं।
बीते सात दशकों तक गंगोत्री हिमालय में साधना कर हिमालय एवं गंगा में आए बदलावों को अपने कैमरे में कैद करने वाले स्वामी सुंदरानंद जीवन पर्यंत इनके संरक्षण के लिए प्रयास करते रहे। आज गुरुवार को उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शनों के लिए उत्तरकाशी लाया जा रहा है। कल शुक्रवार को उन्हें गंगोत्री स्थित उनकी साधना स्थली तपोवन कुटी के निकट समाधि दी जाएगी।

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