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…और प्रवासी युवक ने तलवाड़ी बाजार में खोला ‘प्रवासी ढाबा’

रिवर्स पलायन का आया जमाना

  • कोरोना के चलते पिंडर घाटी में भी अपने घरों को लौटे प्रवासी युवकों की संख्या हजारों में
  • इस घाटी के थराली, देवाल व नारायणबगड़ ब्लॉक के सभी गांवों में लौट आये हैं प्रवासी युवक
  • अब पहाड़ में ही रहकर अपनी आजीविका की गाड़ी खींचने के लिये स्वरोजगार में जुटे

थराली से हरेंद्र बिष्ट।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के अथक प्रयासों के चलते क्षेत्र में आये प्रवासियों में स्वरोजगार का शंखनाद हो चुका है। इसी क्रम में कोरोना महामारी के कारण प्रवासी बनकर घर लौटे तमाम प्रवासी युवा अब पहाड़ में ही रह कर अपनी आजीविका की गाड़ी खींचने के लिये स्वरोजगार में जुट गये हैं। इस ब्लाक के अंतर्गत तलवाड़ी के एक युवक ने ‘प्रवासी ढाबा’ नाम से तलवाड़ी बाजार में एक भोजनालय खोला है।
गौरतलब है कि कोरोना के चलते पूरे उत्तराखंड में अपने घरों को लौटे लाखों प्रवासियों में से पिंडर घाटी में भी प्रवासी युवकों की संख्या हजारों में है। इस घाटी के तीनों ब्लाकों थराली, देवाल व नारायणबगड़ का कोई भी गांव ऐसा नहीं है जहां प्रवासी न आये हों। हकीकत यह है कि बिना किसी कामकाज के समय जिंदगी की गाड़ी चलाना बेहद मुश्किल है। लघु एवं कुटीर उद्योगों से लगभग महरूम इस बेहद मनोरम घाटी में अब तक रोजगार के कोई भी पुख्ता इंतजाम न होने के कारण ही भारी संख्या में युवाओं को रोजगार की तलाश में परदेश जाने के लिए मजबूर होना पड़ता रहा हैं।
ताजा घटनाक्रम में कोरोना महामारी के चलते तमाम बड़े नगरों एवं विदेशों में भी उद्योग धंधों, होटलों, कल-कारखानों के बंद हो जाने के बाद सभी प्रवासियों को मजबूरन अपने घरों को लौट आना पड़ा। ऐसे प्रवासी युवाओं के सामने अब आजीविका चलाने का संकट खड़ा हो गया हैं। पिछले करीब दस वर्षों से अधिक समय से दिल्ली के होटलों में काम करने वाले गुड़म स्टेट के एक युवक गजेन्द्र सिंह ने अब गांव के पास के मुख्य बाजार तलवाड़ी स्टेट में एक ढाबा खोल लिया है। जिसका नाम प्रवासी ढाबा रखा है।
इसका उद्घाटन तलवाड़ी की ग्राम प्रधान दीपा देवी, पूर्व जिला पंचायत सदस्य महेश त्रिकोटी, पूर्व क्षेपंस सुभाष पिमोली, खिलाप सिंह, पूर्व प्रधान गोपाल सिंह फर्स्वाण, बलवंत सिंह रौथाण, वीरेंद्र सिंह फर्स्वाण आदि की मौजूदगी में किया गया। इस मौके पर लोगों ने स्वरोजगार की इस पहल की सराहना की और प्रवासियों से भी अपेक्षा की कि वे भी यहां पर स्थायी रूप से अपने मनपसंद क्षेत्रों में स्वरोजगार चुनने का प्रयास करेंगे। ढाबा खोलने वाले युवक का कहना हैं की वह अब यहीं रह कर अपनी आजीविका चलाने का प्रयास करेगा। इस तरह के स्वरोजगार के संकल्पों के चलते ही क्षेत्र के पलायन पर विराम लग सकता है।

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