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‘बाबाओं’ की उंगलियों पर नाचती रही हैं पीएम से लेकर बड़ी-बड़ी हस्तियां!

  • हिमालय के योगी की कठपुतली थीं एनएसई की पूर्व सीईओ तो इंदिरा, लालू, मुलायम के भी रहे हैं गुरु

मुंबई। देश के सबसे बड़े शेयर मार्केट में इन्वेस्टर्स को सुरक्षा देने वाली सरकारी संस्था का नाम सेबी ने दावा किया है कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी एनएसई की पूर्व सीईओ चित्रा रामकृष्णा ने हिमालय पर रहने वाले अपने आध्यात्मिक गुरु के साथ न केवल सीक्रेट बातें साझा की, बल्कि उसकी सलाह पर कई बड़े फैसले भी लिए।
चित्रा ने एनएसई बोर्ड के बैठकों का एजेंडा और सीक्रेट फाइलें भी बाबा को भेजी। चित्रा ने 2016 में अपने पद से इस्तीफा दिया था। अब सेबी ने कई अहम दस्तावेज इकट्ठा करने के बाद कहा है कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को कई सालों तक चित्रा नहीं, बल्कि ‘अदृश्य बाबा’ चला रहे थे। इस मामले में फिलहाल जांच जारी है। हालांकि चित्रा अकेली हस्ती नहीं है, जिसका कोई बाबा आध्यात्मिक गुरु है। अपने देश में तो प्रधानमंत्री से लेकर कई बड़ी राजनीतिक हस्तियां बाबाओं के चेले रहे हैं। बड़े बड़े नेता सलाह और आशीर्वाद लेने के लिए बाबाओं के पास जाते रहे हैं? कई बाबाओं ने कैसे राजनीतिक और सरकारी फैसले में भी अहम भूमिका निभाई है…

इंदिरा पीएम बनीं तो किसी मंत्री से कम नहीं थे बाबा धीरेंद्र ब्रह्मचारी : दिल्ली में रहने वाले इस योगी के पास कोई सरकारी पद नहीं था, लेकिन इसके बाद भी किसी मंत्री से ज्यादा पावर था। इस योगी का नाम था धीरेंद्र ब्रह्मचारी। 1960 के दशक में पहली बार जम्मू के शिकारगाह नाम के गेस्ट हाउस में धीरेंद्र और इंदिरा की मुलाकात हुई थी। इसके बाद दिल्ली में इंदिरा अक्सर धीरेंद्र से योग सीखने जाती थीं।
इसके बाद इंदिरा ने अपने दोस्त अमेरिकी फोटोग्राफर डोरोथी नार्मन को पत्र लिखकर कहा था कि धीरेंद्र बेहद आकर्षक योगी हैं, जिनसे वह योग सीख रही हैं।
1966 में जब इंदिरा प्रधानमंत्री बनीं तो धीरेंद्र बिना समय लिए सीधे उनसे मिलते थे। 1969 में इंदिरा ने धीरेंद्र को 3.3 एकड़ जमीन अशोक रोड पर योगा इंस्टीट्यूट खोलने के लिए दिया था। सीबीआई ने बाद में जांच में पाया कि योगी धीरेंद्र टैक्स दिए बिना गैरकानूनी तरीके से प्राइवेट एयरक्राफ्ट और विदेशी कार लेकर भारत आए थे। 1977 में बने शाह कमीशन ने कहा कि धीरेंद्र सरकारी फैसलों को भी प्रभावित करते थे।

देवराहा बाबा से सलाह लेकर अयोध्या मामले में राजीव ने लिया था फैसला : देवरिया के लार रोड के पास मइल गांव में देवराहा बाबा का आश्रम था। वो हमेशा पानी में 12 फुट ऊंचे मचान में रहते थे। राजीव गांधी जब परेशान होते थे तो देवराहा बाबा के आश्रम में शांति के लिए या किसी बड़े फैसले पर विचार करने के लिए जाते थे।
राजीव जब अयोध्या मामले में घिरे, तो 6 नवंबर 1989 को देवराहा बाबा से मिलने गए। बाबा ने कहा, ‘मंदिर बनना चाहिए। आप शिलान्यास करवाएं और शिलान्यास की जगह नहीं बदली जाए।’ इसके बाद ही 9 नवंबर 1989 को राजीव गांधी ने अयोध्या में राम मंदिर के लिए शिलान्यास की अनुमति दी थी, लेकिन सामने चुनाव था इसलिए वह कार्यक्रम में नहीं पहुंचे थे। साफ है कि 1989 में अयोध्या में शिलान्यास का फैसला दिल्ली में नहीं बल्कि देवरहा बाबा के सामने प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मौजूदगी में हुआ था।

नरसिम्हाराव के समय में सुपर पावर थे चंद्रास्वामी : तांत्रिक चंद्रास्वामी पूर्व पीएम नरसिम्हा राव के आध्यात्मिक गुरु थे। 1991 में जब नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री बने तो चंद्रास्वामी ने दिल्ली में एक आश्रम बनाया। नरसिम्हा राव के शासन के दौरान उनके पास बेशुमार शक्तियां थीं। उन्हें राव का भरोसेमंद सहयोगी और सलाहकार माना जाता था। हालांकि 1996 में उन्हें लंदन स्थित एक कारोबारी से जालसाजी के आरोप में गिरफ्तार किया गया। उन पर विदेशी मुद्रा विनियमन कानून का उल्लंघन करने के आरोप लगे थे। चंद्रास्वामी का नाम राजीव गांधी हत्याकांड की जांच में सामने आया था। हत्याकांड पर अपनी रिपोर्ट में जैन आयोग ने उनके शामिल होने पर एक चैप्टर लिखा था।
चंद्रास्‍वामी के भक्‍तों की सूची में ब्रूनई के सुल्तान, बहरीन के शेख इसा बिन सलमान अल खलिफा, हथियारों के सौदागर अदनान खशोगी, एक्ट्रेस एलिजाबेथ टेलर भी थीं।

chandra swami -Narsimha rao -kuchnaya.com | कुछ नया

करुणानिधि के राज में बढ़ा बाबा जग्गी वासुदेव का कद : वर्ष 1997 में तमिल साप्ताहिक पत्रिका ‘आनंद विकटन’ में जग्गी वासुदेव कॉलम लिखा करते थे। इससे वह तमिल लोगों में काफी लोकप्रिय हो गए। पत्रकार ए. कामराज सीएम करुणानिधि के दोस्त थे। उन्होंने ही 2006 में पहली बार वासुदेव और करुणानिधि की मुलाकात करवाई। इसके बाद वासुदेव और करुणानिधि की मुलाकात अक्सर होने लगी।
अब वह डीएमके के खास लोगों से जुड़ने में सफल हो गए तो इसके बाद उनकी पहुंच बड़े-बड़े लोगों तक हो गई। अब राजनेताओं के साथ ही सिनेमा के सितारे और बड़े कारोबारी भी अनुयायियों की तरह बाबा के दरबार में पहुंचने लगे। इसके बाद जग्गी वासुदेव ने कई मशहूर हस्तियों का इंटरव्यू लिया। एक बाबा को इंटरव्यू लेते देखना लोगों को अच्छा लगता था। इसने तमिलनाडु में सद्गुरु की स्थिति को और मजबूत किया।

बाबा राम रहीम के पैर छूकर आशीर्वाद लेते रहे सब दलों के नेता : हरियाणा के सिरसा में राम रहीम के डेरा सच्चा सौदा में भाजपा और कांग्रेस समेत सभी दलों के नेता न सिर्फ हाजिरी लगाते थे, बल्कि कई मंत्रियों ने डेरे को अनुदान भी दिया था। हरियाणा के 9 जिलों में करीब 3 दर्जन विधानसभा सीटों पर लाखों की संख्या में गुरमीत राम रहीम के भक्त हैं। इसी वजह से हर दल के नेता राम रहीम के दरबार में पहुंचते हैं।
2007 में राम रहीम ने पंजाब में कांग्रेस को सपोर्ट किया था और कांग्रेस चुनाव हार गई थी। 2014 लोकसभा चुनाव में हरियाणा और पंजाब के भक्तों से राम रहीम ने भाजपा के सपोर्ट में वोट करने के लिए कहा था। कहा जाता है कि 2014 हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा महासचिव और तब हरियाणा के चुनाव प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने राम रहीम से सहमति के बाद 44 उम्मीदवारों को पार्टी का टिकट दिया था।

The undeniable friendship between BJP and Gurmeet Ram Rahim Singh - Alt News

नरेंद्र गिरि की सपा-भाजपा नेताओं से थी गहरी नजदीकियां : अखाड़ों का राजनीतिक जुड़ाव किसी से छिपा नहीं है। देश के सबसे बड़े जूना अखाड़े की महामंडलेश्वर बनीं साध्वी निरंजना ज्योति मोदी सरकार में राज्यमंत्री हैं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महंत नरेंद्र गिरि का भी समाजवादी पार्टी से गहरा नाता रहा है। उन्हें मुलायम-अखिलेश परिवार का राजनीतिक गुरु भी कहा गया। हालांकि सत्ता परिवर्तन के बाद से उनकी नजदीकी भाजपा से हो गई। इन दोनों ही दलों के नेता कई मौके पर विचार विमर्श के लिए नरेंद्र गिरि के पास जाते थे।
यही वजह रही कि नरेंद्र गिरि और आनंद गिरि में विवाद बढ़ा था तो एसपी-भाजपा दोनों पार्टियों के नेता समझौता कराने में जुटे हुए थे। नरेंद्र गिरि राजनेताओं के लिए इतने खास थे कि मुलायम, अखिलेश से लेकर यूपी के मौजूदा सीएम योगी आदित्यनाथ जब भी प्रयागराज जाते तो महंत नरेंद्र गिरि का आशीर्वाद जरूर लेते थे।

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चपन से ही पागल बाबा के दरबार में मत्था टेकते रहे हैं लालू यादव : लालू यादव का बचपन से ही पागल बाबा से जुड़ाव था। मुख्यमंत्री बनने के बाद लालू पहली बार 1990 में यूपी के मिर्जापुर स्थित पागल बाबा के आश्रम में पहुंचे थे। तब मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि लालू यादव जब लंबे समय के बाद आश्रम आए तो पागल बाबा ने गुस्से में कहा था, ‘लालू तुझे घमंड है। तू मिट्टी में मिल जाएगा।’
लालू ने एक बार कहा था, ‘बाबाजी ने बचपन में मेरे जीवन की रक्षा तब की थी, जब परिजनों और डॉक्टरों ने उम्मीद छोड़ दी थी।’ 2013 में भी चारा घोटाला मामले में कोर्ट से राहत मिलने के बाद लालू यादव बाबा से आशीर्वाद लेने उनके आश्रम गए थे और उन्होंने पूजा-पाठ भी किया था। तब लालू ने कहा था कि वह पागल बाबा को अपना गुरु मानते हैं। बाबा उनके परिवार को हर तरह की समस्या से बचाते हैं।

Pagla Baba Gave Curse To Lalu Yadav - मिर्जापुर के पगला बाबा ने लालू यादव  को दिया था श्राप, तुझे घमंड है तू मिट्टी में मिल जाएगा - Amar Ujala Hindi  News Live

इंदिरा से माफी मंगवाने वाले जय गुरुदेव के भक्त थे मुलायम : इटावा के रहने वाले जय गुरुदेव का आश्रम आगरा में था। देश और दुनिया में जय गुरुदेव के करोड़ों भक्त थे, इसी वजह से तमाम दलों के नेता बाबा के आगे माथा टेकते थे। संत जय गुरुदेव को मुलायम सिंह यादव अपना आध्यात्मिक गुरु मानते थे। अटल बिहारी वाजपेयी और चंद्रशेखर भी बाबा के दरबार में सिर झुकाते थे।
आपातकाल का विरोध करने पर इंदिरा गांधी ने बाबा को गिरफ्तार करने के आदेश दिए। बाबा समर्थकों में अपने खिलाफ गुस्सा भांपते हुए इंदिरा ने बाद में उनसे माफी मांग ली थी। राजनीतिक मामलों में सलाह लेने के लिए भी कई बार मुलायम सिंह यादव बाबा गुरुदेव के आश्रम में जाते रहते थे। उनके निधन के बाद अखिलेश के साथ मुलायम आश्रम पहुंचे थे।
2016 में जय गुरुदेव की संपत्ति कब्जाने के लिए रामवृक्ष यादव के समर्थकों ने मथुरा के जवाहर बाग में सिटी एसपी और दारोगा की हत्या कर दी थी। इस मामले में तब के मंत्री शिवपाल यादव पर भी आरोप लगे थे।

दिग्विजय सिंह और कंप्यूटर बाबा का कनेक्शन : नामदेव दास त्यागी को तेज दिमाग की वजह से कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कंप्यूटर बाबा का नाम दिया। कंप्यूटर बाबा का नाम 2018 में पहली बार सुर्खियों में आया। जब 2018 विधानसभा चुनाव से पहले कंप्यूटर बाबा ने शिवराज सिंह चौहान की सरकार को नर्मदा किनारे किए गए पौधरोपण में हुए घोटाला के खुलासे की धमकी दी। इसके बाद 2018 विधानसभा चुनाव से पहले शिवराज सिंह चौहान की सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया गया था।
मंत्री बनाए जाने के बावजूद कंप्यूटर बाबा कांग्रेस में शामिल हुए और शिवराज सिंह चौहान का विरोध किया था। चुनाव में कांग्रेस की जीत होने के बाद कमलनाथ सरकार बनते ही एक बार फिर से कंप्यूटर बाबा को दोबारा कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया था।

कंप्यूटर बाबा फर्जी है: विधायक लक्ष्मण सिंह ने खरी-खोटी सुनाई | MP NEWS

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