सियासत की शतरंज
- भाजपा के वर्तमान सीएम, कांग्रेस और आप के भावी मुख्यमंत्री चुनाव हारे
- धूल में मिले पुष्कर सिंह धामी, हरीश रावत और कर्नल कोठियाल के सपने
देहरादून। आज गुरुवार को सुबह ही उत्तराखंड की सभी विधानसभा सीटों के रुझान आ गए हैं। इसमें भाजपा बढ़त बनाए हुए है। भाजपा 48 सीटों पर आगे चल रही हैं। वहीं कांग्रेस 20 सीटों पर आगे है, लेकिन उत्तराखंड की जनता ने एक बड़ा फेरबदल करते हुए भाजपा, कांग्रेस और आप के कैप्टनों के सपनों को चूर चूर करते हुए उन्हें पराजय का ‘जहर’ पिलाकर सीन से बाहर कर दिया है।
खटीमा विधानसभा क्षेत्र के नवें चरण में भाजपा प्रत्याशी पुष्कर सिंह धामी को 4079 और कांग्रेस के भुवन चंद्र कापड़ी को 4372 वोट मिले। भाजपा को कुल 37254 और कांग्रेस को 44479 वोट मिले हैं। इस तरह धामी करीब 7 हजार वोटों से हार गये हैं। इसे बहुत बड़ा उलटफेर बताया जा रहा है क्योंकि भाजपा ने एक तरह से धामी को ही अगला सीएम प्रोजेक्ट किया था। धामी की हार के बाद भाजपा खेमे में हलचल मच गई है और पार्टी के भावी सीएम की कुर्सी को लेकर मारामारी मचने के आसार बन गये हैं। उधर लालकुआं सीट से पूर्व सीएम और कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत को भी भाजपा के मोहन सिंह बिष्ट ने उन्हें 14 हजार वोटों से हराकर धूल चटा दी है।
गौरतलब है कि हरीश की यह दूसरी बड़ी हार है। गत चुनाव में भी उनको बड़ी पराजय का सामना करना पड़ा था। हालांकि लालकुआं सीट से किस्मत आजमा रहे पूर्व सीएम हरीश रावत अपनी जीत को लेकर आश्वस्त थे, लेकिन उन्हें इतनी बड़ी हार का सामना करना पड़ेगा, इसका उन्हें अंदाजा नहीं था। हरीश की इस हार के बाद भाजपाइयों ने कहा कि ये ‘हर दा’ नहीं ’हार दा’ हैं।
इस बार पहले हरीश रावत को कुमाऊं की ही रामनगर सीट से टिकट दिया गया था, लेकिन वहां से सक्रिय रहे कांग्रेस के रंजीत रावत और उनके समर्थकों के विरोध के कारण बाद में उनको लालकुआं से लड़ाया गया। हालांकि इस बार के चुनाव में भी कांग्रेस ने प्रदेश में मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया था, लेकिन कांग्रेस की सरकार बनने की दिशा में उन्हें ही मुख्यमंत्री का चेहरा माना जा रहा था। पिछले चुनाव में हरीश हरिद्वार और किच्छा दो विधानसभा सीटों से चुनाव लड़े थे और दोनों से ही हार का सामना करना पड़ा था।
उधर आम आदमी पार्टी के घोषित सीएम चेहरे कर्नल अजय कोठियाल को भी गंगोत्री सीट से हार का सामना करना पड़ा है। दिलचस्प बात यह है कि जहां पंजाब में आप ने धमाका करते हुए बंपर जीत हासिल की है, वहीं उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी का खाता भी नहीं खुल पाया है।