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विजय माल्या, नीरव मोदी समेत कई लोगों को भारत लाने की तैयारी, सरकार ने उठाया ये कदम…

  • विजय माल्या, नीरव मोदी, संजय भंडारी जैसे भगोड़ों पर कसा शिकंजा
  • भारत सरकार ने ब्रिटेन भेजने के लिए बनाई केंद्रीय एजेंसियों की एक टीम

नई दिल्ली। सरकार ने भारत में करोड़ों-अरबों का घपला करके विदेश भागने वालों की जल्दी वापसी की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। घोटालेबाजों की फौज जो ब्रिटेन में बैठी है, उसे वापस भारत लाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों की एक टीम गठित की गई है। सरकार केंद्रीय जांच अभिकरण (सीबीआई), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से बने एक उच्च स्तरीय दल को जल्द ही ब्रिटेन रवाना कर रही है। इसका लक्ष्य भारत के मोस्ट वॉन्टेड भगोड़ों को वापस लाने की प्रक्रिया को तेज करना है, जिनमें हथियार डीलर संजय भंडारी, हीरा व्यापारी नीरव मोदी और किंगफिशर एयरलाइंस के प्रमोटर विजय माल्या शामिल हैं। इसके अलावा, टीम भगोड़ों की अवैध कमाई का पता लगाने की भी कोशिश करेगी, जो उन्होंने ब्रिटेन और अन्य देशों में संपत्ति खरीदने पर खर्च की है।

सूत्रों का कहना है कि इस दल की अगुवाई विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी कर रहे हैं। लंदन में भारतीय उच्चायोग ने यूके के अधिकारियों के साथ बैठकें तय की हैं। इन बैठकों में वही सबूत जुटाए जाएंगे जिनसे मालूम चले कि भगोड़ों ने लंदन में कितनी संपत्ति हथिया ली है और उनके बैंक खातों में क्या लेनदेन हुए हैं। हथियार डीलर भंडारी 2016 में फरार हो गया था। इससे पहले आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय ने यूपीए सरकार के दौरान हुए कई रक्षा सौदों की जांच शुरू की थी। ईडी के मुताबिक, भंडारी ने लंदन और दुबई में संपत्ति हथिया ली थी, जिन्हें बाद में कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा के सहयोगी माने जाने वाले सीसी थंपी के नियंत्रण वाली कंपनियों के नाम कर दिया गया था।

भंडारी, मोदी और माल्या का प्रत्यर्पण फिलहाल यूके में अटका हुआ है क्योंकि उन्होंने भारत वापसी के खिलाफ उच्च अदालतों में अपील कर रखी है। ईडी ने पहले ही भारत में उनकी संपत्तियों को जब्त कर ली है। विजय माल्या और नीरव मोदी की हजारों करोड़ की संपत्ति बेचकर बैंकों का बकाया चुकाया जा चुका है। लंदन जाने वाला दल लंबित सूचनाओं के आदान-प्रदान पर बातचीत करने वाला है जो आपसी कानूनी सहायता संधि (एमएलएटी) के तहत काफी समय से यूके के अधिकारियों के पास लंबित है। भारत और यूके दोनों ही एमएलएटी के हस्ताक्षरकर्ता हैं और आर्थिक अपराधियों और अन्य से जुड़े आपराधिक मामलों की जांच के लिए सूचना साझा करने के लिए बाध्य हैं। एनआईए की टीम इस समय खालिस्तानी आंदोलन में शामिल कई आतंकवादी संदिग्धों की जांच कर रही है।

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