नई दिल्ली। आज मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘अग्निपथ’ योजना के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक संपत्तियों को हुए नुकसान की जांच एक विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराने की मांग वाली याचिका को सुनवाई के लिए तब सूचीबद्ध किया जाएगा, जब प्रधान न्यायाधीश इस संबंध में निर्णय ले लेंगे। इससे पहले केंद्र की ‘अग्निपथ’ योजना के खिलाफ सोमवार को उच्चतम न्यायालय में एक अन्य याचिका दायर की गई, जिसमें आरोप लगाया गया है कि सरकार ने सशस्त्र बलों के लिए वर्षों पुरानी चयन प्रक्रिया को रद्द कर दिया है, जो संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत है और इसके लिए संसद की मंजूरी भी नहीं ली गई है।
अग्निपथ योजना को लेकर देश के कई हिस्सों में हिंसक विरोध-प्रदर्शन हुए, जिसके बाद सरकार ने 2022 में भर्ती के लिए ऊपरी आयु सीमा बढ़ाकर 23 वर्ष कर दी। केंद्र सरकार ने आज मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट अर्जी दाखिल कर सरकार से रक्षा बलों के लिए ‘अग्निपथ’ भर्ती योजना को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने से पहले अपना पक्ष रखने की याचिका दायर की है। कैविएट आवेदन इस बाबत दायर किया जाता है कि बिना सुने उसके खिलाफ कोई प्रतिकूल आदेश पारित ना किया जाए।
अधिवक्ता विशाल तिवारी ने न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की अवकाशकालीन पीठ से मामले को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया। इस पर अवकाश के दौरान मामलों को सूचीबद्ध किए जाने की व्यवस्था का जिक्र करते हुए पीठ ने कहा कि यह मामला प्रधान न्यायाधीश के समक्ष रखा जाएगा और वह इस पर फैसला करेंगे।
जनहित याचिका में केंद्र और उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, हरियाणा एवं राजस्थान की सरकारों को हिंसक विरोध-प्रदर्शनों पर एक स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है। तिवारी ने अपनी याचिका में ‘अग्निपथ’ योजना और राष्ट्रीय सुरक्षा एवं सेना पर इसके प्रभाव की जांच के लिए शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का निर्देश दिए जाने का भी आग्रह किया है।
उन्होंने याचिका में उच्चतम न्यायालय के 2009 के एक फैसले में निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार केंद्र और राज्य सरकारों को दावा आयुक्त नियुक्त करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया है। उल्लेखनीय है कि 14 जून को घोषित ‘अग्निपथ’ योजना के तहत सशस्त्र बलों में साढ़े 17 वर्ष से 21 वर्ष की आयु के युवाओं को संविदा के आधार पर चार साल के लिए भर्ती करने का प्रावधान किया है। इनमें से 25 प्रतिशत युवाओं को नियमित सेवा में बरकरार रखा जाएगा।
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