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पीएम में चीन का नाम लेने तक की हिम्मत नहीं : राहुल

  • राहुल के ‘हमले’ के बाद रक्षा मंत्रालय ने चीनी सैनिकों के ‘अतिक्रमण’ से जुड़ा दस्तावेज वेबसाइट से हटाया
  • रिपोर्ट में पहली बार आधिकारिक रूप से माना था कि मई में चीनी सैनिकों ने की भारतीय सीमा में घुसपैठ
  • किया ट्वीट, चीन के भारतीय सीमा में होने से नकारने और वेबसाइट से रिपोर्ट हटाने से नहीं बदलेंगे तथ्य  

नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर जारी तनाव के मुद्दे पर मोदी सरकार के खिलाफ लगातार आक्रामक रुख अपनाए राहुल गांधी ने रक्षा मंत्रालय के एक हालिया दस्तावेज के हवाले से सवाल किया है कि प्रधानमंत्री आखिर झूठ क्यों बोल रहे हैं। हालांकि राहुल के ‘हमले’ के बाद अब उस दस्तावेज को रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट से हटा लिया गया है।
गौरतलब है कि रक्षा मंत्रालय के इस दस्तावेज में पहली बार आधिकारिक तौर पर यह स्वीकार किया गया था कि चीनी सैनिकों ने मई में पूर्वी लद्दाख में भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की थी और मौजूदा गतिरोध अभी और लंबा खिंचेगा। वेबसाइट से दस्तावेज हटाए जाने के बाद राहुल गांधी ने एक बार फिर ट्वीट कर प्रधानमंत्री मोदी पर हमला बोला है।
रक्षा मंत्रालय के उस दस्तावेज से जुड़ी खबर को ट्वीट करते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने लिखा, ‘प्रधानमंत्री झूठ क्यों बोल रहे हैं?’ दरअसल गत माह गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई खूनी झड़प के बाद मोदी ने कहा था कि न तो कोई भारतीय क्षेत्र में घुसा था और न ही कोई अभी घुसा हुआ है। मोदी के इसी बयान को लेकर राहुल उन पर झूठ बोलने का आरोप लगा रहे हैं। गलवान घाटी में हुए खूनी संघर्ष में भारत के 21 जवान शहीद हुए थे जबकि चीन के कम से कम 45 सैनिक मारे गए थे। हालांकि, चीन ने अपने सैनिकों के मारे जाने की बात तो कबूली थी लेकिन आधिकारिक तौर पर उसने यह कभी नहीं बताया कि उसके कितने सैनिक मारे गए।

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दो दिन बाद ही रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट से चीनी ‘अतिक्रमण’ से जुड़े दस्तावेज को हटाए जाने पर राहुल  ने एक और ट्वीट कर सीधे-सीधे प्रधानमंत्री पर तीखा हमला बोला। उन्होंने लिखा, ‘चीन के खिलाफ खड़े होने की बात तो भूल ही जाइए, भारत के प्रधानमंत्री में उनका नाम लेने तक की हिम्मत नहीं है। चीन के हमारे इलाके में होने को नकारने और वेबसाइट से डॉक्युमेंट हटा लेने से तथ्य नहीं बदल जाएंगे।’
उल्लेखनीय है कि मंगलवार को रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड हुए दस्तावेज में पहली बार आधिकारिक तौर पर चीनी सैनिकों के भारतीय क्षेत्रों के अतिक्रमण की बात स्वीकार को किया गया था। डॉक्युमेंट में लिखा था, ‘चीनी पक्ष ने 17-18 मई को कुगरांग नाला (हॉट स्प्रिंग्स के उत्तर में पेट्रोलिंग पॉइंट 15 के पास), गोगरा (पेट्रोलिंग पॉइंट 17 ए) और पैंगोंग सो के उत्तरी किनारे पर अतिक्रमण किया था।’
भारत लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर ‘घुसपैठ’ के लिए ‘ट्रांसग्रेशन’ यानी ‘अतिक्रमण’ शब्द का इस्तेमाल करता रहा है। हालांकि, 5-6 मई को पैंगोंग सो इलाके में दोनों देशों के सैनिकों के बीच पहली झड़प के बाद से जारी सैन्य गतिरोध के बाद भारत के किसी भी आधिकारिक बयान या डॉक्युमेंट में ‘ट्रांसग्रेशन’ शब्द का जिक्र नहीं है। डॉक्युमेंट में कहा गया था कि मौजूदा गतिरोध लंबा चल सकता है और जो हालात पैदा हो रहे हैं, उन पर त्वरित कार्रवाई की जरूरत हो सकती है।
इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मई के आखिर में अपने एक टीवी इंटरव्यू में कहा था कि चीन के सैनिक बड़ी संख्या में ‘उस इलाके में अंदर तक आए थे, जहां वे पहले नहीं आया करते थे।’ हालांकि बाद में आधिकारिक तौर पर यह स्पष्ट किया गया कि बयान का यह गतल मतलब न निकाला जाए कि जैसे चीनी सैनिक एलएसी पर भारतीय क्षेत्र में घुस आए हैं।

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