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धामी सरकार में विजिलेंस ने 57 ट्रैप कर 68 भ्रष्टाचारियों को भेजा जेल

  • धामी सरकार में हर भ्रष्टाचारी की जगह जेल, छोटा हो या बड़ा किसी को नहीं देवभूमि में छूट
  • भ्रष्टाचारियों के लिए काल बना धामी सरकार का 1064 “भ्रष्टाचारमुक्त एप“
  • एप लांच के बाद भ्रष्टाचारियों के खिलाफ पीड़ितों की शिकायतों पर हो रही त्वरित कार्यवाही
  • विजिलेंस को एप पर मिली करीब 973 शिकायतें, भ्रष्टाचार से जुड़ी 38 पर चल रही जांच
  • 20 साल में महज 220 ट्रैप कर विजिलेंस ने गिरफ्तार किए थे 232 भ्रष्टाचारी

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की भ्रष्टाचारमुक्त शासन की मुहिम रिश्वतखोरों के लिए काल साबित हो रही है। महज तीन साल से कम समय में विजिलेंस ने रिकॉर्ड 57 ट्रैप कर 68 भ्रष्टाचारियों को जेल भेजा है। भ्रष्टाचारियों पर यह कार्रवाई ’भ्रष्टाचारमुक्त एप 1064’ की लांचिंग के बाद तेजी से हुई है। एप पर अब तक करीब 973 विजिलेंस और नॉन विजिलेंस की शिकायतों दर्ज हुई हैं। इनमें से भ्रष्टाचार से जुड़ी 38 शिकायतों पर विजिलेंस जांच गतिमान है। जबकि नॉन विजिलेंस से जुड़ी शिकायतें सम्बन्धित विभागों को भेजी गई हैं।

देवभूमि को भ्रष्टाचार के दानवों से मुक्ति को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार सख्त प्रशासक की भूमिका में कार्य कर रही है। खासकर मुख्यमंत्री धामी का साफ संदेश है कि भ्रष्टाचारी चाहिए बड़ा हो या छोटा, सब की जगह जेल में है। इस पर मुख्यमंत्री धामी सरकार ने आईएएस, आईएफएस समेत कई पॉवरफुल को जेल भेजकर पहले ही अपनी मंशा जगजाहिर कर दी थी। इसका परिणाम यह रहा कि 23 साल के उत्तराखंड में जहां भ्रष्टाचार से जुड़े 281 ट्रैप में कुल 303 गिरफ्तार हुए हैं। वहीं, अकेले धामी सरकार के तीन साल के कार्यकाल में रिकॉर्ड 57 ट्रैप कर विजिलेंस ने 68 भ्रष्टाचारियों को सलाखों के भीतर डाला है। विजिलेंस की इस कार्रवाई में 13 से ज्यादा सरकारी कर्मचारी और बड़े अधिकारी भी शामिल हैं।

इसके अलावा मुख्यमंत्री धामी ने अपने दूसरे कार्यकाल में भ्रष्टाचारियों पर कड़ी कार्रवाई की ठानी और “भ्रष्टाचार मुक्त उत्तराखंड“ की मुहिम को आगे बढ़ाया। इस मुहिम के लिए विजिलेंस ने भी “1064 एप“ पर मिली भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायतों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई कर भ्रष्टाचारियों को गिरफ्तार किया। अब यह एप न केवल विजिलेंस बल्कि आम नागरिक के लिए भी मददगार साबित हो रहा है। इस एप के मार्फत आम नागरिक बेझिझक रिश्वतखोरों, कामचोरों और बेवजह काम लटकाने वालों को सबक सीखा रहे हैं। यही नहीं पहले लोग विजिलेंस के पास जाने से न केवल डरते थे, बल्कि बचते भी थे। इसके पीछे सरकारें विजिलेंस को खुली छूट नहीं देती थी। इससे भ्रष्टाचारियों के हौसले बुलंद रहते थे। लेकिन अब ऑनलाइन शिकायत दर्ज होने के बाद विजिलेंस की भी मजबूरी है कि शिकायत को जिम्मेदारी के साथ समय पर निस्तारण करें। यही कारण है कि पिछले 20 सालों तक 220 ट्रैप में 232 गिरफ्तार हुए और अब 3 साल में ही रिकॉर्ड 57 ट्रैप कर 68 भ्रष्टाचारियों पर विजिलेंस ने बड़ी करवाई की है। जबकि इस साल अब तक रिकॉर्ड 23 ट्रैप कर 30 को जेल भेज दिया है।

8 माह में 23 ट्रैप कर 30 रिश्वतखोर भेजे जेल…

2022 में मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचारियों पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश का असर रहा कि विजिलेंस ने 14 ट्रैप और 15 गिरफ्तारी की। 2023 में विजिलेंस ने यह कार्रवाई आगे बढाते हुए 18 ट्रैप कर 20 भ्रष्टाचारियों को जेल भेजा है। जबकि 2024 में विजिलेंस भ्रष्टाचारियों पर ताबड़तोड़ कार्यवाई में जुटा है। अब तक 9 माह में विजिलेंस ने रिकॉर्ड 23 ट्रैप कर 30 रिश्वतखोरों को जेल भेजा है। यह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा।

सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति पर सख्त कार्रवाई के साथ कार्य कर रही है। भ्रष्टाचारी छोटा हो या बड़ा, सब की जगह जेल में हैं। देवभूमि में भ्रष्टाचारियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। इसके लिए सरकार ने विजिलेंस को पहले से ज्यादा संसाधन युक्त बनाकर भ्रष्टाचारियों पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। मेरे द्वारा स्वयं विजिलेंस के कार्यों की मॉनिटरिंग और समीक्षा की जा रही है।

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