गोमुख के पास मलबा है जमा
उत्तरकाशी। गंगोत्री ग्लेशियर अन्य ग्लेशियरों के मुकाबले तेजी से पिघल रहा है। वर्ष 2017 में ग्लेशियर टूटने से आया भारी मलबा गोमुख के आसपास जमा है, जो कभी भी भारी बारिश या ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने पर आपदा की स्थिति पैदा कर सकता है। नदी एवं पर्यावरण संरक्षण अभियान में जुटे पर्यावरणविद् सुरेश भाई ने पत्रकार वार्ता में कहा कि हिमालय में जलवायु परिवर्तन के बहुत सारे कारक हमारे नियंत्रण से बाहर हैं, लेकिन संवेदनशील हिमालय पर जिस तरह का विकास थोपा जा रहा है, वह जानलेवा साबित हो रहा है। ऋषिगंगा में मची तबाही इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।
मैदानी मानकों की तर्ज पर हिमालयी क्षेत्र में किए जा रहे निर्माण त्रासदी का कारण बनते जा रहे हैं। सुरेश भाई ने कहा कि परियोजना निर्माण से पूर्व पर्यावरण एवं सामाजिक प्रभाव आकलन रिपोर्ट बनाई जाती है। अंग्रेजी भाषा में तैयार की जा रही रिपोर्ट को ग्रामीण समझ नहीं पाते, जिससे तमाम दुष्प्रभावों के बावजूद परियोजनाओं को स्वीकृति मिल जाती है।
केदारनाथ आपदा के बाद सुप्रीम कोर्ट ने विशेषज्ञ समिति बनाई थी। वर्ष 2014 में आई इस समिति की रिपोर्ट पर अपने हिसाब से गलत बयानबाजी कर बांध निर्माता बेधड़क आपदा को न्योता देने वाले बांध, सुरंग आदि बना रहे हैं।