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इसरो : आसमान में लगाई ‘जादुई आंख’, रात को भी करेगी भारत की सीमाओं की रखवाली!

  • इस साल इसरो से पहली लॉन्चिंग कामयाब रही, रडार इमेजिंग उपग्रह समेत 10 सैटेलाइट एकसाथ भेजे

श्रीहरिकोटा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्‍पेस सेंटर से शनिवार को अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट-1 (EOS-1) की लॉन्‍चिंग की। यह रडार इमेजिंग सैटेलाइट है। PSLV-C49 रॉकेट के जरिए देश के EOS-1 के साथ ही 9 विदेशी उपग्रह भी भेजे गए। लॉन्चिंग में तय समय (दोपहर 3 बजकर 2 मिनट) से 10 मिनट की देरी हुई।
रडार इमेज‍िंग सैटेलाइट का सिंथेटिक अपरचर रडार बादलों के पार भी देख सकता है। यह दिन-रात और हर मौसम में फोटो ले सकता है। इसके जरिए मिलिट्री सर्विलांस यानी आसमान से देश की सीमाओं पर नजर रखने में मदद मिलेगी। साथ ही एग्रीकल्चर-फॉरेस्ट्री, मिट्टी की नमी पता करने और डिजास्टर मैनेजमेंट में भी सपोर्ट करेगा।
हालांकि इसी साल 17 जनवरी को इसरो का GSAT सैटेलाइट भी लॉन्च किया गया था, लेकिन यह लॉन्चिंग फ्रेंच गुयाना से हुई थी। इसरो के चेयरमैन डॉ. के सिवान ने EOS-1 की सफल लॉन्चिंग पर वैज्ञानिकों से कहा कि दिवाली से पहले ही आपने रॉकेट लॉन्च कर दिया, जश्न अब शुरू होगा। स्पेस से जुड़ी चीजें हम वर्क फ्रॉम होम में नहीं कर सकते। हमारा हर इंजीनियर लैब में मौजूद होता है। जब हम किसी मिशन की बात करते हैं तो हर टेक्नीशियन, हर एम्प्लॉई एक साथ काम करता है।
आज शनिवार की लॉन्चिंग के साथ इसरो के विदेशी सैटलाइट भेजने का आंकड़ा 328 हो गया है। यह इसरो का 51वां मिशन था। इसरो ने अपनी वेबसाइट, यूट्यूब चैनल, फेसबुक और ट्विटर पेज पर लाइव टेलीकास्ट भी किया। विक्रम साराभाई स्पेस रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर एस सोमनाथ ने बताया था कि PSLV-C49 के बाद दिसंबर में PSLV-C50 लॉन्च करने की योजना है। एक लॉन्च के बाद दूसरे के लिए तैयारी करने में करीब 30 दिन का वक्त लगता है।

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