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समा जाएगा जोशीमठ! 50 मीटर तक गहरी है दरारें, कभी भी धंस सकता है 30 फीसदी हिस्सा

जोशीमठ। भू-धंसाव का सामना कर रहे जोशीमठ का एक बड़ा हिस्सा खोखला हो चुका है। पानी के साथ भारी मात्रा में मिट्टी बह गई है। जोशीमठ को लेकर बड़ी रिपोर्ट सामने आई है। दावा किया जा रहा है कि जोशीमठ के नीचे जमीन खोखली हो चुकी है। आशंका है कि जोशीमठ कभी भी जमीन में समा सकता है। इस रिपोर्ट के बाद जोशीमठ बचाने में जुटे वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के माथे पर चिंता की लकीरें साफ नजर आने लगी है। जोशीमठ आपदा का अध्ययन कर रही टीमों ने दावा किया है कि सतह के नीचे काफी मिट्टी पानी के साथ बह गई है। साढ़े चार सौ से अधिक स्थानों पर जमीन पर पड़ी दरारें 50 मीटर तक गहरी हैं।

वहीं जोशीमठ का ढलानदार पहाड़ मलबे के ढेर पर बना है, जो मिट्टी बोल्डरों को बांधे थी, वह पानी के साथ बह चुकी है। बोल्डरों के नीचे का हिस्सा खोखला हो चुका है। इसलिए भार सहने की क्षमता धीरे-धीरे खत्म हो रही है। वहीं, सीबीआरआई ने विस्थापन के लिए तीन साइट देख ली है।

आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा के मुताबिक जोशीमठ के मारवाडी क्षेत्र में अज्ञात भूमिगत स्रोत से हो रहा पानी का रिसाव को 181 लीटर प्रति मिनट दर्ज किया गया। लेकिन शुरुआत में छह जनवरी को पानी का रिसाव 540 लीटर प्रति मिनट दर्ज किया गया था। उन्होंने बताया कि नगर में सर्वेक्षण का कार्य चल रहा है और दरार वाले भवनों की संख्या (863) में को बढ़ोतरी नहीं हुई। उन्होंने बताया कि इसमें भी बड़ी दरारों वाले भवनों की संख्या केवल 505 है, जबकि बाकी में केवल मामूली दरारें हैं। उन्होंने बताया कि अब तक 286 परिवार सुरक्षा के दृष्टिगत अस्थायी रूप से विस्थापित किये गये हैं। जिनके सदस्यों की संख्या 957 है। इसके अलावा अब तक 307 प्रभावित परिवारों को अंतरिम राहत के रूप में 3.77 करोड रुपये की धनराशि वितरित की गयी है।

उधर, जोशीमठ में उद्यान विभाग की भूमि पर निर्माणाधीन मॉडल प्री फैब्रिकेटेड शेल्टर पूर्ण होने के चरण में है, जबकि चमोली के ढाक गांव में भी प्री फैब्रिकेटेड शेल्टर के निर्माण की प्रक्रिया जारी है। जैसे ही यह शेल्टर तैयार हो जाएंगे, अस्थाई तौर पर प्रभावित परिवारों को यहां पुनर्वासित करने का प्रयास किया जाएगा। इस बीच, जोशीमठ में असुरक्षित घोषित दो होटलों, लोक निर्माण विभाग के निरीक्षण भवन और तीन निजी भवनों को तोड़े जाने का कार्य भी केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान की तकनीकी निगरानी में किया जा रहा है।

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