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आइये जनाब, मिलिये ‘मदर उत्तराखंड’ से!

  • पति की मौत के बाद कौशल्या ने ‘मदर इंडिया’ की राधा की तरह बच्चे पालने के लिये संभाला ‘हल’

पौड़ी। यदि आपने सुनील दत्त और नरगिस की ‘मदर इंडिया’ फिल्म देखी है तो आप उस मां को नहीं भूल पायेंगे जो अपने पति के घर छोड़ जाने के बाद अपने बच्चों की बेहद कठिन परिस्थितियों में परवरिश करती है। आइये आज हम आपको ‘मदर उत्तराखंड’ से मिलवाते हैं जो अपने पति की मौत के बाद अपने चार बच्चों की परवरिश करने के साथ ही उनका भविष्य भी संवारने में लगी है।
पति की मौत के बाद कौशल्या के सामने अपने बच्चों का पेट भरने का सवाल खड़ा हो गया था। आखिरकार इन सवालों का हल उन्हें ‘हल’ में नजर आया।

कौशल्या बताती हैं कि उनके पति की आठ साल पहले मौत हो गई थी। वह भी गांव में मजदूरी करते थे। वह परिवार में अकेले कमाने वाले थे। उनकी मौत के बाद उसके और उनके बच्चों के सामने भूखों मरने की नौबत आ गई थी। उसके सामने अपने बच्चों की परवरिश करने की बहुत बड़ी जिम्मेदारी आ गई थी।

वह बताती है कि उसने गांव वालों की परवाह किए बगैर हल जोतने को ही अपनी आजीविका का साधन बना लिया। इस वक्त कठूड़ गांव की कौशल्या खेतों में हल जोतने से पुरुष वर्चस्व को तोड़ नारी शक्ति की प्रतीक बनी हैं।
इस समय कौशल्या कोई एक दो नहीं, बल्कि आठ गांवों के करीब 15 परिवारों के खेतों को जोत रही हैं। कौशल्या क्षेत्र के कंडोल, गैर, नवन, श्रीखोन, स्यालंगी, घुड़दौड़ी, खडेत, पंचूर, पाबौ, फलस्वाड़ी आदि गांवों में हल चलाती दिख जाएंगी। कौशल्या बताती हैं कि शुरुआत में वह सामाजिक रूप से काफी असहज महसूस करती थीं, लेकिन अब सभी लोगों ने उसकी मेहनत को स्वीकार लिया है। अब अपनी मेहनत के बलबूते बच्चों को पढ़ाकर कौशल्या उनका भविष्य संवार रही हैं। उनकी तीन बेटियां और एक बेटा है। बड़ी बेटी इंटर पास कर चुकी है। दूसरी बेटी 12वीं, तीसरी 10वीं और बेटा 7वीं कक्षा में पढ़ रहा है।

कौशल्या बताती हैं कि कोरोना संक्रमण काल में उनकी आय बढ़ी है। जो प्रवासी गांवों में लौटे हैं, वे खेती में रुचि ले रहे हैं। अब वह उनके खेतों में भी हल जोत रही हैं। आजकल कौशल्या सोशल मीडिया पर भी छाई हुई हैं। सामाजिक कार्यकर्ता सरिता नेगी ने अपने फेसबुक पेज पर कौशल्या के हल जोतते हुए वीडियो बीती दो जुलाई को पोस्ट की है। उसे 14 दिन में ही एक लाख से अधिक लोगों ने देखा है। अब तक साढ़े चार सौ से ज्यादा लोग इस वीडियो को साझा कर चुके हैं। सरिता नेगी के अनुसार त्रिवेंद्र सरकार को कौशल्या को सम्मानित करना चाहिए। उन्होंने कौशल्या के लिए मदद की भी मांग की है। ग्राम प्रधान दीपक रावत का कहना है कि हल जोतने के कार्य में पुरुषों का एकाधिकार तोड़ने वालीं कौशल्या गांव ही नहीं, पूरे उत्तराखंड के लिए प्रेरणास्रोत हैं। वह शक्ति की प्रतीक हैं। सच कहा जाए तो वह आज की ‘मदर उत्तराखंड’ हैं।

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