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कृषि कानून रद्द कर मोदी ने एक तीर से साधे कई निशाने!

देहरादून। यूपी, उत्तराखंड सहित 5 राज्योंत में साल 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले करीब एक साल से अधिक समय से विवादों में घिरे तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर तुरूप की चाल चली है। पीएम मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान तो किया ही लेकिन साथ ही कृषि कानूनों को किसानों के हित में ही बताया। मोदी ने कहा कि उनकी सरकार तीन नए कृषि कानून के फायदों को किसानों के एक वर्ग को समझाने में नाकाम रही। उन्होंने तीनों कानूनों को वापस लेने का ऐलान करते हुए प्रदर्शनकारी किसानों से आंदोलन खत्म कर घर लौटने की भी अपील की।
कृषि कानूनों को वापस लेने के ऐलान की यह समय बहुत कुछ स्पष्ट कर देता है। दरसअल कृषि कानूनों के चलते पश्चिम उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के किसान दिल्ली-यूपी और दिल्ली-हरियाणा बॉर्डरों पर पिछले एक साल से आंदोलन कर रहे थे। इन्हीं कानूनों को लेकर सरकार पिछले साल-डेढ़ साल से विपक्ष के निशाने पर थी। वहीं कृषि कानून पर किसानों का आंदोलन उत्तर प्रदेश में भाजपा की सत्ता में वापसी के रास्ते पर एक बड़ा रोड़ा बना हुआ था। बीजेपी के खिलाफ पश्चिमी यूपी में खासकर जाट समुदाय में जबरदस्त गुस्सा था जो विधानसभा चुनाव में पार्टी को महंगा पड़ सकता था। ऐसे में बीजेपी ने चुनाव से पहले कृषि कानूनों को वापस लेकर पश्चिमी यूपी को साधने की कोशिश की है। बता दें कि यूपी में पिछले तीन चुनावों 2014 लोकसभा, 2017 विधानसभा और 2019 लोकसभा चुनाव में पश्चिम यूपी से बीजेपी को बड़ी जीत मिली थी। लेकिन किसान आंदोलन के बाद से स्थितियां काफी कुछ बदल गई थीं। वहीं बात अगर उत्तराखंड की करें तो यहां हरिद्वार जिले की नौ विधानसभा सीटों को मतदाता के रूप में किसान सीधे तौर पर प्रभावित करते हैं। दरअसल, हरिद्वार जिले की राजनीति हमेशा ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश से प्रभावित रही है। पश्चिमी यूपी में कई जगह भाजपा नेताओं का विरोध हुआ तो उसका असर मंगलौर विधानसभा में भी देखने को मिला।
विधानसभा के हिसाब से देखा जाए तो मंगलौर, झबरेड़ा, भगवानपुर, कलियर, ज्वालापुर, खानपुर, लक्सर, रानीपुर और हरिद्वार ग्रामीण में अच्छी संख्या में किसान मतदाता हैं। और उत्तराखंड में इन विधानसभा क्षेत्रों में ही कृषि कानूनों को लेकर सबसे अधिक धरना-प्रदर्शन देखने को मिला है। मंगलौर और कलियर विधानसभा से जुड़े किसान तो दिल्ली के आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं। ऐसे में भाजपा के तमाम बड़े पदाधिकारी के माथे पर चिंता की लकीरे साफ दिखने लगी थीं। 2022 में होने वाले चुनाव में किसान आंदोलन बड़ा मुद्दा बनता नजर आ रहा है। इसे भुनाते हुए ही विपक्षी दल भी सक्रिय हो गए हैं। लेकिन बीजेपी ने कानून वापसी का ऐलान कर न सिर्फ मास्टरस्ट्रोक चला है बल्कि पीएम मोदी ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। एक ही झटके में विपक्ष को निहत्था कर साल-डेढ़ साल से सरकार को घेरने के लिए बनी और बनाई जा रहीं विपक्ष की रणनीतियों, चक्रव्यूह को तहस-नहस कर दिया है।

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