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रुद्रप्रयाग: शीतकाल के लिए बंद हुए द्वितीय केदार मद्महेश्वर के कपाट

ऊखीमठ/रुद्रप्रयाग। पंच केदारों में द्वितीय केदार के नाम से विश्व विख्यात मद्महेश्वर भगवान के कपाट शीतकाल के लिए आज सुबह विधि-विधान से बंद हो गये हैं। भोर में सुबह चार बजे मंदिर के पट खुलने के बाद भक्तजनों ने भगवान मद्महेश्वर के निर्वाण दर्शन किये। इसके पश्चात पुजारी ने भगवान मद्महेश्वर को समाधि पूजा शुरू की तथा भगवान को भस्म, भृंगराज फूल, बाघांबर से ढक दिया गया। इस तरह से पूरे विधिविधान से भगवान मद्महेश्वर को समाधिरूप दिया गया। इसके पश्चात भगवान मद्महेश्वर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। इस दौरान मंदिर प्रशासनिक अधिकार तथा वन विभाग सहित प्रशासन के प्रतिनिधि मौजूद रहे। बाबा मद्महेश्वर की चल उत्सव विग्रह डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर के लिए प्रस्थान करते हुए पहले पड़ाव गौंडार पहुंचेगी।

21 नवंबर को डोली छह माह की शीतकालीन पूजा अर्चना के लिए ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान हो जाएगी। इस वर्ष यात्राकाल में मद्महेश्वर भगवान के दर्शनों के लिए आठ हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए हैं। द्वितीय केदार की चल उत्सव विग्रह डोली मद्महेश्वर से शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ के लिए प्रस्थान करेगी और रात्रि प्रवास के लिए पहले पड़ाव गौंडार पहुंचेगी।
वहीं 19 को रांसी में प्रवास होगा और 21 नवंबर को डोली ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में छह माह के लिए विराजमान हो जाएगी। मद्महेश्वर की डोली के आगमन को लेकर श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति ने ओंकारेश्वर मंदिर को भव्य रूप से सजाया है।

मंदिर के पुजारी शिव शंकर लिंग ने बताया कि बाबा मद्महेश्वर की डोली मंदिर की परिक्रमा व अपने भंडार और पात्रों का निरीक्षण भी करेगी। श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के कार्याधिकारी रमेश चंद्र तिवारी ने बताया कि मद्महेश्वर डोली आगमन के लिए ओंकारेश्वर मंदिर को भव्य रूप से सजाया जा रहा है। डोली आगमन पर मनसूना में तीन दिवसीय मेला का आयोजन होगा।

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