दिया आदेश
- तीन महीने के भीतर दिल्ली-एनसीआर में 140 किमी लंबी रेल पटरियों के आसपास की 48,000 झुग्गी-झोपड़ियों को हटाया जाए
- कोई भी अदालत झुग्गी-झोपड़ियों को हटाने पर स्टे न दे और रेलवे लाइन के न आसपास अतिक्रमण हटाने के काम में लगाये अड़ंगा
नई दिल्ली। आज गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने तीन महीने के भीतर दिल्ली-एनसीआर में 140 किलोमीटर लंबी रेल पटरियों के आसपास की लगभग 48,000 झुग्गी-झोपड़ियों को हटाने का आदेश दिया है। इस आदेश में ये भी निर्देश दिया गया है कि कोई भी अदालत झुग्गी-झोपड़ियों को हटाने पर स्टे न दे। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही जोर देकर ये भी कहा कि रेलवे लाइन के आसपास अतिक्रमण हटाने के काम में किसी भी तरह के राजनीतिक दबाव और दखलंदाजी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा कि रेलवे लाइन के आसपास अतिक्रमण के संबंध में अगर कोई अदालत अंतरिम आदेश जारी करती है तो वो प्रभावी नहीं होगा। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने ये आदेश एमसी मेहता के मामले में दिया है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट साल 1985 के बाद से दिल्ली और उसके आसपास प्रदूषण से संबंधित मुद्दों पर समय-समय पर आदेश जारी करता रहता है। भारतीय रेलवे ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि दिल्ली-एनसीआर में 140 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन के साथ झुग्गीवासियों का अतिक्रमण है, इसमें से 70 किलोमीटर रेलवे लाइन के साथ बहुत ज्यादा है। यहां करीब 48000 झुग्गियां हैं।
रेलवे ने कहा कि एनजीटी ने अक्टूबर 2018 में आदेश दिया था, जिसके तहत इन झुग्गी बस्तियों को हटाने के लिए स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया गया था। हालांकि फिर राजनीतिक दखलंदाजी के चलते रेलवे लाइन के आसपास का ये अतिक्रमण अब तक हटाया नहीं जा सका। भारतीय रेलवे की तरफ से कहा गया कि इसमें से काफी अतिक्रमण तो रेलवे के सुरक्षा जोन में है जो कि बेहद चिंताजनक है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में कहा है कि इन झुग्गियों को हटाने के लिए चरणबद्ध तरीके से काम किया जाए और सबसे पहले रेलवे सुरक्षा जोन से अतिक्रमण हटाया जाए जो तीन महीने में पूरा हो जाना चाहिए।