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13 महीने एक साथ 25 स्कूलों में पढ़ाया और कमाये एक करोड़!

अजीबोगरीब कारनामा

  • यूपी के मैनपुरी की निवासी अनामिका कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में 13 जगहों पर बतौर शिक्षिक नियुक्त
  • शिक्षकों का डाटाबेस तैयार करते वक्त सामने आई यह सनसनीखेज कहानी, हाजिरी की रियल टाइम मॉनिटरिंग को दिखाया ठेंगा

लखनऊ। यूपी के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में विज्ञान पढ़ाने वाली एक शिक्षिका ने एक ही साथ 25 स्कूलों में कथित तौर पर ‘पढ़ाकर’ 13 महीनों में एक करोड़ रुपये की सैलरी उठाई है। शिक्षकों का डाटाबेस तैयार करते वक्त यह सनसनीखेज गड़बड़झाला सामने आया। प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों के हाजिरी की रियल टाइम मॉनिटरिंग के बावजूद अनामिका शुक्ला नाम की यह शिक्षिका ऐसा कर पाने में सफल रही।
अब इस शिक्षिका के 25 जगहों पर ‘पढ़ाने’ और 13 महीनों के दौरान एक करोड़ रुपये कमाने के मामले में यूपी सरकार ने सफाई दी है। सरकार ने आज शुक्रवार को कहा कि ‘अभी तक कुछ भी कन्फर्म नहीं हुआ है।’ मैनपुरी की निवासी अनामिका ने जिन स्कूलों में ‘काम’ किया है, उनके रेकॉर्ड के अनुसार वह पिछले एक साल से भी अधिक समय से नियुक्त है। स्कूली शिक्षा महानिदेशक विजय किरन आनंद के अनुसार इस शिक्षिका के मामले की जांच शुरू कर दी गई है। उन्होंने कहा, ‘जब सभी शिक्षकों को प्रेरणा पोर्टल पर ऑनलाइन अपनी उपस्थिति दर्ज करनी है तो फिर कैसे एक टीचर कई जगहों पर हाजिरी दर्ज करा सकती है। इस संबंध में विस्तृत जांच की जरूरत है।’
मार्च में अनामिका शुक्ला के खिलाफ शिकायत पर विजय ने बताया,’ अधिकारियों को इस मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं। लॉकडाउन की वजह से टीचर के रेकॉर्ड नहीं मिल सके हैं। मैंने 26 मई को अधिकारियों को रिमाइंडर भेज दिया है। अगर टीचर के बारे में जानकारी सही पाई गई तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।’
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के प्रयागराज, अंबेडकरनगर, अलीगढ़, सहारनपुर, बागपत जैसे जिलों के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों में अनामिका की पोस्टिंग पाई गई है। इन स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर होती है और हर महीने 30 हजार रुपये की तनख्वाह मिलती है। जिले के हर ब्लॉक में एक कस्तूरबा गांधी स्कूल है। समाज के कमजोर तबके से आने वाली लड़कियों के लिए इन स्कूलों में आवासीय सुविधा भी होती है।
उन्होंने कहा, ‘अभी तक अनामिका की मूल पोस्टिंग के बारे में हमें कुछ पता नहीं चला है। शिकायत में दर्ज हर जिले से वेरिफाई करवाया जा रहा है। अगर शिकायतों को सही पाया गया तो एफआईआर दर्ज होगी। वह सभी स्कूलों में एक ही बैंक अकाउंट यूज करती थी या नहीं इस पर अभी जांच चल रही है।’
मिली जानकारी के अनुसार अनामिका को इसी साल बीती फरवरी तक रायबरेली के केजीबीवी में कार्यरत पाया गया, जब यह मामला प्रकाश में आया। रायबरेली के बेसिक शिक्षा अधिकारी आनंद प्रकाश के अनुसार सर्व शिक्षा अभियान की तरफ से छह जिलों में लेटर भेजकर केजीबीवी में अनामिका शुक्ला नाम की टीचर के बारे में चेक करने को कहा गया। रायबरेली का नाम हालांकि उस लिस्ट में नहीं था, लेकिन हमने क्रॉस चेक किया और पाया कि महिला हमारे केजीबीवी में भी काम करती है। उसे एक नोटिस भेज दिया गया।
प्रकाश ने बताया, ‘अनामिका को रिपोर्ट करने को कहा लेकिन वह नहीं आई। उसके कागजात को ऊपरी लेवल पर जांच के लिए भेज दिया गया है। सैलरी भी फौरन रोक दी गई है।’ रायबरेली के जिला कोऑर्डिनेटर (बालिका शिक्षा) अनिल त्रिपाठी ने अनामिका शुक्ला के केजीबीवी में पढ़ाने की पुष्टि की। लेकिन और कहां-कहां पढ़ाती थीं, इस पर उन्होंने अनभिज्ञता जाहिर की। इस पूरे प्रकरण से शिक्षा विभाग के सिस्टम पर सवालिया निशान लग गया है।

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