देहरादून। अगले साल 2022 के विधानसभा चुनावी की रणभेरी करीब-करीब बज ही गयी है। राजनीतिक दल एक दूसरे को पटखनी देने के लिए खूब बल्लेबाजी कर रहे हैं। चुनावी पिच में गैरसैंण पर जबरदस्त चैके-छक्के लग रहे हैं। मैदान में उतरे खिलाडियों की बाडी लैंग्वेज देखकर बड़ा मजा आ रहा है। हालांकि अभी दर्शक दीर्घा से चैके या छक्के की डिमांड नहीं हुई है, लेकिन बल्लेबाज हैं कि गेंद बल्ले पर आये या न आये वे बल्ले को पूरी ताकत से घुमाने का पूरा अभ्यास कर रहे हैं।
पहले भारतीय जनता पार्टी की त्रिवेन्द्र सरकार ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने का श्रेय लेकर खुद को पहाड़ की सबसे बड़ी हितैषी पार्टी के रूप में साबित करने की कोशिश की, हालंाकि मार्च में नए मुख्यमंत्री के रुप में शपथ लेने वाले तीरथ रावत के पास ग्रीष्मकालीन राजधानी से सरकार चलाने का अवसर था लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि गैरसैंण क्षेत्र का संसद में प्रतिनिधि होने के बावजूद भी वह गैरसैंण की कोई सुध नहीं ले पाए और पूरे चार महीने फोटो खिंचवाने में व्यस्त रहे। भाजपा के इस मास्टर स्ट्रोक के बाद भला कांग्रेस कहां पीछे रहती। प्रदेश कांग्रेस चुनाव संचालन समिति के अध्यक्ष हरीश रावत ने भी लगे हाथ गैरसैंण पर छक्का लगा दिया। उन्होंने कहा भाजपा ने तो सिर्फ ग्रीष्मकालीन राजधानी बनायी है वहां एक दिन भी सरकार नहीं चलायी, लेकिन कांग्रेस सरकार बनने पर दो साल के भीतर गैरसैंण को राज्य की स्थायी राजधानी ही बना देगी। यह सुनकर लोगांे को ऐसा लगा कि राज्य के दोनों ही प्रमुख दलों को आखिर बीस साल बाद ही सही इस पहाड़ी राज्य के पहाड़ी क्षेत्र की चिंता तो होने लगी। पहाड़ बचाने के सपने देखने वालों के लिए यह अच्छी खबर भी थी कि राजनीतिक दल अब गैरसैंण को लेकर इस चुनाव में बड़ी-बड़ी बातें करने वाले हैं। नई सरकार बनने के बाद कुछ नहीं तो त्रिवेेंद्र सरकार द्वारा बनायी गयी ग्रीष्मकालीन राजधानी में कुछ दिन सरकार चलने का सपना तो पहाड़ी लोग देखने ही लग गये थे। सत्तारुढ भाजपा सरकार ने गैरसैंण में दो दिवसीय सत्र की घोषणा की थी जिससे पहाड़ की जनता नए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा चुनावी बयार में कुछ बड़ी घोषणाओं की उम्मीद पाले बैठे थी मगर नींद खुलते ही पहाडियों का वह सपना टूट गया जो वह गैरसैंण के लिए देख रहे थे। अखबार के पन्नों पर खबर आई कि नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह व संसदीय कार्यमंत्री बंशीधर भगत ने विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल से गैरसैंण में दो दिन का सत्र न करने का आग्रह कर दिया था इसलिए अब सत्र देहरादून में ही होगा। गैरसैंण के साथ आखिर कितनी विडंबना है कि पहले तब की नेता प्रतिपक्ष व कांग्रेस की बुजुर्ग नेत्री (अब स्वर्गीय इंदिरा हृदयेश) गैरसैंण में ठंड लगने की वजह चल रहे सत्र को जल्दी खत्म करने या वहां न करने के लिए कहती थी और अब कांग्रेस से मुख्यमंत्री पद के लिए प्रबल दावेदारी दिखा रहे नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह भीेें गैरसैंण में सत्र नहीं चाहते। उन्होंने इसके लिए संसदीय कार्यमंत्री के साथ अपना काम कर भी दिया है। दुर्भाग्य है पहाडियों का जिनसे वादा तो किया जाता है गैरसैंण को राजधानी बनाने का, लेकिन दो दिन के सत्र में भाग लेने के लिए वो विधायक भी तैयार नहीं होते, जिन्हें पहाड़वासियों ने अपना भाग्य विधाता बना दिया है।
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