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सैनिकों को साधने में जुटे राजनीतिक दल, उत्तराखंड की सियासत में क्या है इनका रोल?

देहरादून। उत्तराखंड की सियासत में सैनिकों का अहम रोल है। विधानसभा चुनाव में सैनिक वोट निर्णायक भूमिका में रहते हैं। जिसको देखते हुए सत्तारूढ़ बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां सैनिक और पूर्व सैनिकों को लुभाने में जुटी हुई है। जहां भाजपा ने प्रदेश में सैन्य धाम के जरिए सैन्य वोटरों को अपनी ओर आकर्षित करने की रणनीति अमल में ला रही है, तो वहीं कांग्रेस ने इसके जवाब में शहीद सैनिकों के स्वजन और पूर्व सैनिकों को सम्मानित करने की मुहिम छेड़ी है। साथ ही 16 दिसंबर को विजय दिवस के मौके पर कांग्रेस सैनिक सम्मान कार्यक्रम में राहुल गांधी को लाकर सैन्य वोटरों को अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है। वहीं, उत्तराखंड में अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रही आम आदमी पार्टी ने तो कर्नल अजय कोठियाल को सीएम फेस बनाकर फौजी वोट बैंक पर सेंध लगाने के लिए कदम बढ़ा दिए हैं।
उत्तराखंड के उत्तराखंड में तकरीबन हर परिवार से एक व्यक्ति सेना में है या फिर उसका सैन्य परिवार से संबंध है। राज्य में सैन्य परिवारों से संबंधित 12 फीसद मतदाता हैं, वहीं पूर्व सैनिकों की संख्या ढाई लाख से ज्यादा है। माना जाता है कि हर पूर्व सैनिक के परिवार में औसतन पांच वोटर होंगे, इसलिए साढ़े बारह लाख से ज्यादा वोटरों पर सभी की निगाहें हैं। इसके अलावा वर्तमान फौजियों के परिवार भी बड़ी संख्या में उत्तराखंड में रहते हैं। पूर्व फौजी उनके भी मतों पर असर डालते हैं। कई परिवार ऐसे भी हैं जिनमें पूर्व के साथ ही वर्तमान फौजी भी हैं। ये राजनीतिक दल का खेल बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते हैं। इसलिए इस बार सैनिक परिवारों पर सभी मेहरबान हैं। बाकायदा इन पार्टियों ने पूर्व सैनिक प्रकोष्ठ का गठन किया है, जिसमें सिपाही से लेकर लेफ्टिनेंट जनरल स्तर तक के अधिकारी भी शामिल किए गए हैं। यहां तक कि प्रदेश में पूर्व सैनिकों के कल्याण के लिए अलग मंत्रालय भी गठित है। प्रदेश सरकारें सैनिकों के कल्याण के लिए कुछ न कुछ कदम जरूर उठाती हैं। पार्टी के चुनाव घोषणा पत्र में भी सैनिक कल्याण की योजनाएं शामिल रहती हैं।
सर्जिकल स्ट्राइक, बालाकोट एयर स्ट्राइक जैसी घटनाओं से बीजेपी के पक्ष में माहौल बन सकता हैं। वहीं भाजपा कांग्रेस पर सैनिकों की उपेक्षा करने का भी आरोप लगाती है। भाजपा का कहना है कि सर्जिकल स्ट्राइक पर भी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष सबूत मांग रहे थे, जो सैनिकों का अपमान है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भाजपा ही सैनिकों और भूतपूर्व सैनिकों का सम्मान करती है। उधर कांग्रेस ने भी भाजपा पर सेना को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया। कांग्रेस का कहना है कि सैनिकों के लिए कांग्रेस ने काम किया, लेकिन कभी उसका राजनीतिक लाभ नहीं लिया। पुलवामा सहित सर्जिकल स्ट्राइक का लाभ लेने का काम भाजपा कर रही है। भाजपा सैनिकों के सहारे राजनीति कर रही है, जो ठीक नहीं है। कांग्रेस ने तो कभी ऐसा नहीं किया।
भाजपा और कांग्रेस पूर्व सैनिकों का सम्मान कर रही तो राज्य में नई नवेली पार्टी आप की नजर भी पूर्व सैनिकों पर है। पहाड़ के गांवों में पूर्व सैनिक और सैनिकों की संख्या अधिक है, जो मैदानों में जाकर भी बसे हैं, तभी राजनीतिक दल कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है। वैसे 2022 के चुनाव परिणाम ही बताएंगे कि उत्तराखंड के ये पूर्व सैनिक किसके साथ हैं।

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