Thursday , April 25 2024
Breaking News
Home / उत्तराखण्ड / सीएजी की रिपोर्ट ने दिखाया आईना : बताया-विकास में क्यों पिछड़ा उत्तराखंड! 

सीएजी की रिपोर्ट ने दिखाया आईना : बताया-विकास में क्यों पिछड़ा उत्तराखंड! 

  • रिपोर्ट के अनुसार, 11 महीने बजट पर कुंडली मारे बैठे रहे विभाग और केवल मार्च में खर्च की 69 फीसद रकम

देहरादून। हजारों करोड़ रुपये का आम बजट वित्तीय वर्ष की शुरुआत यानी अप्रैल से ही लागू हो जाता है, लेकिन अपने उत्तराखंड में उलटी गंगा बहाई जाती रही है। यहां की तमाम सरकारें और सरकारी विभाग वित्तीय वर्ष के आखिरी महीने यानी मार्च में बजट खर्च करने में माहिर हैं। इस बार विधानसभा के बजट सत्र के दौरान सदन में पेश हुई कैग की रिपोर्ट ने ऐसा ही खुलासा किया है।
कैग की रिपोर्ट के अनुसार राज्य के 20 विभागों में कुल बजट का 69 फीसद से ज्यादा खर्च केवल मार्च के महीने में किया गया है। उत्तराखंड बजट मैनुअल के अनुच्छेद 183 के मुताबिक वित्तीय वर्ष की समाप्ति में सरकार और सरकारी विभागों को खर्च में तेजी से बचना चाहिए, लेकिन उत्तराखंड की सरकार ने 2020-21 में 20 मुख्य विभागों में 50 प्रतिशत से अधिक बजट केवल वित्तीय वर्ष के अंतिम महीने यानी मार्च में खर्च किया। इससे पता चलता है कि उत्तराखंड की सरकार और सरकारी विभाग विकास कार्यों में बजट खर्च करने के नाम पर जनता के खून पसीने की कमाई को किस तरह ठिकाने लगाते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार शहरी विकास विभाग ने अपने बजट का 82.77 प्रतिशत, अनुसूचित जाति-जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने 67.92 प्रतिशत हिस्सा वित्तीय वर्ष के अंतिम महीने यानी मार्च में खर्च किया। इनके साथ ही सूचना विभाग ने 57.19 प्रतिशत, प्राकृतिक आपदा से राहत में 68.81 प्रतिशत और मत्स्य पालन विभाग ने 50.84 प्रतिशत बजट का हिस्सा मार्च में ही खर्च किया।
अन्य महकमे भी इसमें पीछे नहीं रहे। खाद्य भंडारण और गोदाम का 57.35 प्रतिशत, सहकारी विभाग का 63.43 प्रतिशत, पुलिस पर पूंजीगत व्यय का 50.24 प्रतिशत, लोक निर्माण विभाग में पूंजीगत व्यय का 72.01 प्रतिशत, चिकित्सा और लोक स्वास्थ्य में 72.42 प्रतिशत, आवास का 70.52 प्रतिशत, अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक कल्याण का पूंजीगत व्यय का 67.95 प्रतिशत हिस्सा साल भर सोने के बाद मार्च महीने में खर्च किया गया। मत्स्य पालन पर पूंजीगत व्यय का 67.67 प्रतिशत, वानिकी और वन्य जीव पर पूंजीगत व्यय का 77.15 प्रतिशत, मुख्य सिंचाई पर पूंजीगत व्यय का 51.74 प्रतिशत, बाढ़ नियंत्रण परियोजना पर पूंजीगत व्यय का 66.52 प्रतिशत, ऊर्जा परियोजनाओं पर पूंजीगत व्यय का 75.55 प्रतिशत बजट भी मार्च के महीने में खर्च किया गया।
दिलचस्प बात यह है कि दो विभाग ऐसे भी हैं, जिनका पूरा यानी 100 फीसद बजट केवल मार्च के महीने में ही खर्च किया गया। ऊर्जा विभाग का 11 करोड़ 38 लाख रुपये का बजट था। इसे सालभर की आखिरी तिमाही के आखिरी महीने में पूरा खर्च किया गया। दूरसंचार और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग पर पूंजीगत परिव्यय का दो करोड़ 86 लाख रुपये केवल मार्च के महीने में ही खर्च किया गया।
रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड 22 साल बाद भी अपनी उम्मीदों और राज्य आंदोलनकारियों के सपनों का राज्य ऐसे ही बेतुके फैसलों के चलते नहीं बन सका है। सीएजी रिपोर्ट ने बताया कि राज्य के कर्ताधर्ताओं ने ही उसके विकास की रफ्तार भटका दी है। अगर विकास योजनाओं के लिए आया पैसा ही सही समय पर खर्च नहीं होगा तो फिर राज्य विकास कैसे करेगा। सीएजी की इस रिपोर्ट ने तथाकथित विकास का ढिंढोरा पीटने वाले बयानवीरों की पोल खोल कर रख दी है।

About team HNI

Check Also

चुनावी मौसम में जनता को राहत, कमर्शियल गैस सिलेंडर हुआ सस्ता…

नई दिल्ली। ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने 19 किलोग्राम वाले कमर्शियल सिलेंडर की कीमत में कटौती …

Leave a Reply