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उत्तराखंड: बच्चे मॉडल मदरसे में नहीं करेंगे फौकानिया और तहतानिया की पढ़ाई, ये पाठ्यक्रम होगा लागू

देहरादून। उत्तराखंड का पहला आधुनिक मदरसा बनकर तैयार हो चुका है। देहरादून में रेलवे स्टेशन के निकट मुस्लिम कॉलोनी में करीब 50 लाख रूपये से विकसित किए गए इस आधुनिक मदरसे का नाम ‘डॉ एपीजे अब्दुल कलाम मॉडर्न मदरसा’ रखा गया है। उत्तराखंड में वक्फ बोर्ड के मदरसों में आगामी शिक्षा सत्र से बच्चे तहतानिया और फौकानिया की पढ़ाई नहीं करेंगे। उन्हें मुंशी और मौलवी भी नहीं पढ़ाया जाएगा। राज्य के सरकारी विद्यालयों की तरह मदरसों में भी उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद का पाठ्यक्रम लागू होगा।

वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने कहा, बोर्ड ने राज्य का पहला मॉडल मदरसा देहरादून में स्थापित किया है। इसमें संस्कृत एक वैकल्पिक विषय के रूप में शामिल होगा। उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष के मुताबिक, राज्य में वक्फ बोर्ड के 117 मदरसे हैं। इन सभी में उत्तराखंड विद्यालयी शिक्षा परिषद का पाठ्यक्रम लागू होगा। उन्होंने कहा, देहरादून रेलवे स्टेशन के पास मुस्लिम कॉलोनी में लगभग 50 लाख रुपये की लागत से एक मॉडल मदरसा स्थापित किया गया है।

पूर्व सैनिक इस मदरसे में छात्र-छात्राओं को शारीरिक शिक्षा का प्रशिक्षण देंगे ताकि उनमें देशभक्ति की भावना पैदा की जा सके। वहीं, संस्कृत के लिए भी शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी। बच्चों को सही दिशा और शिक्षा मिले इसके लिए यह किया जा रहा है। आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार आगामी फरवरी में इस मदरसे की तैयारियों का निरीक्षण करेंगे। मार्च में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शुभारंभ करेंगे।

उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स के मुताबिक, राज्य में कई मदरसे अवैध रूप से चल रहे हैं। इस तरह के मदरसों को बंद किया जाना चाहिए। कहा कि इनमें पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है।

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