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राज्य हित में देवस्थानम बोर्ड का रहना जरूरी

  • पंडा पुरोहितों और हक-हकूकधारियों के अधिकार सुरक्षित रखे जाएंगे : ध्यानी
  • ध्यानी को उच्चस्तरीय समिति का अध्यक्ष बनाए जाने की आ रही है खबरें
  • धामों के बेहतर प्रबंधन और यात्रियों के बढ़ते दबाव के चलते सरकार ने बनाया है बोर्ड

देहरादून। देवस्थानम बोर्ड के विवाद को शांत करने के लिए बनाई जा रही हाईपावर कमेटी की घोषणा के बाद एक बार फिर इस बोर्ड की प्रासंगिकता को ताकत मिली है। उच्च स्तरीय समिति के संभावित अध्यक्ष के रूप में सामने आए पूर्व राज्यसभा सांसद और बद्री केदार मंदिर समिति की पूर्व अध्यक्ष मनोहर कांत ध्यानी ने साफ किया है की बोर्ड भांग नहीं होगा। ध्यानी ने कहा है तीर्थ पुरोहितों और पंडो की जो आपत्तियां हैं उनका निस्तारण किया जाएगा लेकिन बोर्ड भांग नहीं हो सकता।
राज्यसभा के पूर्व सांसद मनोहर कांत ध्यानी का एक बयान सामने आया है , जिसमें उन्होंने कहा कि देवस्थानम बोर्ड भंग नहीं होगा। चुनावी वर्ष में विपक्ष द्वारा देवस्थानम बोर्ड को मुद्दा बनाए जाने की पुरजोर कोशिशें हो रही है। मीडिया का एक तबका भी इस मामले को हवा देने में है पूरी ताकत झोंक रहा है। माना जा रहा है कि पंडे पुरोहितों ने बोर्ड को भंग करने के लिए मीडिया के भीतर भी ठीक-ठाक घुसपैठ कर ली है। यही वजह है कि कि पंडे पुरोहितों के मामूली विरोध को भी कुछ समाचार पत्रों में ऐसे प्रकाशित किया जा रहा है कि मानव जैसे कोई बहुत बड़ा बवाल हो गया हो। उल्लेखनीय है कि चारों धामों में जो तीर्थ पुरोहित या पंडा समाज की बात हो रही है उनकी संख्या महज 500 से 600 ही बताई जा रही हैं जो सीधे-सीधे धामों से या मंदिरोंरों से जुड़े हुए हैं।
इसके विपरीत मीडिया में ऐसा प्रचारित किया जा रहा है कि जैसे राज्य का एक बहुत बड़ा तबका देवस्थानम बोर्ड से प्रभावित हो रहा है और इससे भाजपा को चुनाव में जबरदस्त नुकसान पहुंच सकता है जबकि वास्तविकता में ऐसा कुछ भी नहीं है। महज 500- 600 लोग चुनाव में किसको फायदा और किसको नुकसान पहुंचा सकते हैं इसका अंदाजा हर कोई लगा सकता है। कुछ समय पूर्व तक देवस्थानम बोर्ड का विरोध करने वाले पंडे भी अब शांत हो गये क्यों कि उन्हें बोर्ड में मेंबर बना दिया गया है। वह भी अब शांत होकर के बोर्ड में काम कर रहे हैं।
बताया जा रहा है पंडा समाज के नाम पर देवस्थानम बोर्ड के विरोध को हवा देने वाले कुछ पंडों के नेता भी अब इस कोशिश में लगे हैं कि जैसे तैसे उन्हें भी बोर्ड की सदस्यता मिल जाए और छुट्टी पाये। यही कारण है कि उन्होंने पिछले एक-दो महीने से विरोध को हवा देने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है। एक और बात यह भी सामने आ रही है कि देवस्थानम बोर्ड के बनने से किसी भी तरह का हक हुकूक पर असर नहीं पड़ा है। इसलिए उच्चस्तरीय समिति देवस्थानम बोर्ड का विरोध कर रहे हैं पांडे और पुरोहितों से उनकी आपत्ति के कारण मांग सकती है। समिति विरोध करने वालों से यह पूछ सकती है कि आखिर बोर्ड बनने से पहले उनके हक़ हुकूक क्या थे और बोर्ड बनने के बाद उनके किस हक हुकूक में कटौती हुई।
बताया जा रहा है कि ऋषिकेश में पंडा पुरोहित समाज के लोगों ने देवस्थानम बोर्ड को लेकर पूर्व राज्यसभा सांसद मनोहरकांत ध्यानी से मुलाकात की। ध्यानी ने साफ कर दिया है कि देवस्थानम बोर्ड समाप्त नहीं होगा, पंडा पुरोहितों और हक-हकूकधारियों के अधिकार सुरक्षित रखे जाएंगे। ध्यानी ने कहा कि देवस्थानम बोर्ड को लेकर बदरीनाथ के निवासियों , हक-हकूकधारियों के हितों पर अतिक्रमण नहीं किया जाएगा, उनके अधिकार सुरक्षित रखे जाएंगे। मास्टर प्लान के अंतर्गत जिन लोगों की भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा , उन्हें दूसरे स्थान पर भूमि आवंटित करने की बात रखी जाएगी। बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमनोत्री की जो पंचायतें हैं उन समितियों की बैठक बुलाकर उनकी राय ली जाएगी। सभी को साथ लेकर देवस्थानम बोर्ड को लेकर सकारात्मक निर्णय लिया जाएगा।
सूत्रों का कहना है कि प्रदेश सरकार की ओर से पंडे पुरोहितों की बात सुनने के लिए जो हाई पावर कमिटी बनाई जानी है उसके अध्यक्ष के लिए मनोहर कांत ध्यानी का नाम भी सामने आ रहा है। इसलिए ध्यानी का यह बयान महत्वपूर्ण हो जाता है कि देवस्थानम बोर्ड को बंद नहीं किया जाएगा।
उल्लेखनीय है की दो 2018 में त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने बद्री, केदार, यमुनोत्री व गंगोत्री में लगातार बढ़ रहे तीर्थयात्रियों की संख्या को देखते हुए इन तीर्थों में बेहतर प्रबंधन की आवश्यकता महसूस की। उसके बाद ही सरकार ने कई दूसरे धामों की तरह एक बेहतर प्रबंधन करने के लिए देवस्थानम बोर्ड का गठन करने का निर्णय लिया। बोर्ड को लेकर विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के सभी सदस्यों ने ध्वनि मत से इसको पारित भी किया। चार धामों को राज्य के बड़े एसेट्स के रूप में बेहतर प्रबंधन करके सरकार की मंशा यह थी की धामों के बेहतर विकास के साथ ही यात्रियों को अच्छी सुविधाएं भी दी जाए। ताकि आने वाले वर्षों में जब तक ऋषिकेश करणप्रयाग रेलवे लाइन बनकर तैयार हो जाए और पूरी ऑल वेदर रोड बेहतर बन जाए तो तब यात्रियों के दबाव को झेलने में आसानी हो। अनुमान है कि वर्तमान में इन चारों धामों में है यात्रियों की जो संख्या है वह 25 से 30 लाख तक अधिकतम है लेकिन कर्णप्रयाग रेल लाइन और ऑल वेदर रोड का कार्य पूर्ण होने के बाद यह संख्या एक से डेढ़ करोड़ तक पहुंच सकती है जो इस राज्य की आर्थिकी मैं बड़ा परिवर्तन लाएगा। यही सोच कर देवस्थानम बोर्ड का गठन किया गया है।

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