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कैरवान गांव में त्रिवेंद्र की पहल ने दिखाई नई राह!

मनाया विश्व पर्यावरण दिवस

  • चार साल पहले लगाए पौधों से बना हराभरा जंगल तो बेहद खुश दिखे पूर्व सीएम
  • विश्व पर्यावरण दिवस पर पूर्व मुख्यमंत्री ने कैरवान गांव में किया पौधरोपण
  • कहा, वृक्षारोपण के लिए हरेक व्यक्ति को आगे आने की जरूरत, लगाएं एक पौधा

देहरादून। आज रविवार को विश्व पर्यावरण दिवस पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राजपुर के ग्राम सभा शेरा के कैरवान गांव में पौधरोपण किया। चार साल पहले मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने रिस्पना नदी के पुनर्जीवन के लिए कैरवान गांव में स्कूली बच्चों, वन विभाग और जन सहयोग से पौधरोपण किया था।

आज यहां सुंदर हरा-भरा जंगल विकसित होते देख त्रिवेंद्र काफी प्रफुल्लित हुए।इस मौके पर देवभूमि विकास संस्थान द्वारा कैरवान गांव में ही विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर ‘पृथ्वी पर बढ़ता तापमान एक चुनौती’ विषय पर आयोजित गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने प्रत्येक व्यक्ति का आह्वान किया कि आज वैश्विक पर्यावरण के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए एक पौधा जरूर लगाएं।

उन्होंने कहा कि कैरवान गांव में हमने चार साल पहले एक प्रयास शुरू किया था। सामुदायिक जंगल के लिए स्थानीय लोग, स्वयं सेवी संस्था और सरकार मिलकर किस तरह से सफलतापूर्वक कार्य कर सकते हैं कैरवान गांव में विकसित यह जंगल इसका जीता जागता प्रमाण है।उन्होंने कहा कि जब हमने कैरवान गांव की इस पहाड़ी पर पौधरोपण किया, उस समय यहां पर मिट्टी नहीं थी, पथरीली जमीन थी। पौधे उग नहीं हो रहे थे, लेकिन हमने मिलकर प्रयास किया, मिट्टी की व्यवस्था की, पौधों की निरंतर देखभाल की और आज यहां बहुत खूबसूरत हरा भरा जंगल लहलहा रहा है।

त्रिवेंद्र ने कहा कि हम सभी को आज गंभीरता से सोचने की जरूरत है कि पर्यावरण संरक्षण के लिए किस तरह से हमारा योगदान हो सकता है। उन्होंने कहा कि हर कार्य के लिए सरकार पर निर्भरता नहीं होनी चाहिए। जनसहभागिता, स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ मिलकर यदि हम कार्य करते हैं उसमें जरूर हमें सफलता मिलती है। उन्होंने घरों में बरसाती पानी के संग्रहण के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था पर भी जोर दिया। वृक्षों के लिए पानी का रोना रोने वाले के लिए उन्होंने जल गांव का उदाहरण दिया। जहां सप्ताह में केवल दो दिन पीने का पानी आता है बावजूद वहां दुनिया की तीन बड़ी इंडस्ट्री है। देश का 20 फीसद केले का उत्पादन जलगांव करता है।भारतीय वन अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. अरुण रावत ने सामुदायिक प्रयासों से विकसित कैरवान के हरे भरे जंगल को पर्यावरण संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास बताया।

उन्होंने कहा कि यह उसका उदाहरण है कि जनसहभागिता से सरकार कैसे कार्य कर सकती है। यूसैक के निदेशक एमपीएस बिष्ट ने कहा कि आज हर व्यक्ति को पर्यावरण को बचाने की न केवल चिंता करने की जरूरत है, बल्कि इसमें सहयोग देने के लिए आगे आने की भी आवश्यकता है। मसूरी की डीएफओ कहकशां नसीम, डीएवी कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर डॉ. प्रीतम सिंह नेगी ने भी पर्यावरण संरक्षण को लेकर विचार रखे।इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कैरवान गांव में पौधों की निरंतर देखभाल करने में सहयोगी वन विभाग, सिविल डिफेंस के लोगों को प्रोत्साहन हेतु सम्मानित किया। इससे पहले उन्होंने वहां पौधरोपण किया और हरे भरे जंगल का भ्रमण किया। कार्यक्रम में विधायक डोईवाला बृजभूषण गैरोला, मेयर देहरादून सुनील उनियाल गामा, मेयर ऋषिकेश अनिता ममगाईं, जिलाध्यक्ष भाजपा शमशेर सिंह पुंडीर, पूर्व राज्य मंत्री शमशेर सिंह सत्याल, पृथ्वीराज चौहान, राजेश शर्मा, जिला पंचायत सदस्य वीर सिंह चौहान, महानगर अध्यक्ष सीताराम भट्ट, उमेश्वर रावत आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन देवभूमि विकास संस्थान के महामंत्री सत्येंद्र नेगी ने किया।

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