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सियासी रंगमंच पर अपने जीवन के सबसे कठिन रोल में दिखे हरक!

देहरादून। सियासत एक रंगमंच है और अन्य श्रेष्ठ राजनेताओं की तरह हरक सिंह रावत भी एक धुरंधर कलाकार हैं। हालांकि सियासी मंच पर उनके किरदार अक्सर बदलते रहते हैं, लेकिन सियासी संकट के सबसे कठिन समय में वह ‘रुदाली’ दांव अपने आखिरी हथियार के तौर पर इस्तेमाल करते हैं। भाजपा से बाहर का रास्ता दिखाये जाने के बाद उन्होंने फिर ‘रुदाली’ दांव चला है।
पिछले दो-तीन दिन से नई दिल्ली में डेरा जमाए हरक को एहसास नहीं था कि भाजपा उन्हें बाहर का रास्ता दिखा देगी। अचानक भाजपा से निकाले जाने के बाद हरक अभी अपने राजनीतिक जीवन के सबसे कठिन मोड पर खड़े दिख रहे हैं। हालांकि सियासत के सबसे बुरे दौर में जब-जब हरक फंसे उन्होंने रुदाली दांव से हालात बदलने की कोशिश की। वैसे अभी तक तो उनका यह रुदाली दांव कभी खाली नहीं गया है।
वर्ष 2012 का विधानसभा चुनाव इसका एक अच्छा उदाहरण है। कांग्रेस ने हरक सिंह को रुद्रप्रयाग विधानसभा सीट पर उनके साढू भाई मातबर सिंह कंडारी के खिलाफ उतार दिया था। इस सीट पर कंडारी खासे कद्दावर माने जा रहे थे, लेकिन हरक ने चुनावी दांवपेच के साथ ही निर्णायक वक्त में ऐसा रुदाली दांव चला कि चुनाव पलट गया। उनका यह विलाप उस दौरान खूब चर्चाओं में रहा।
चर्चित जैनी प्रकरण रहा हो या भाजपा सरकार पर राजनीतिक दबाव बनाने का अवसर, हरक अपनी छलछलाती आंखों से भावनाओं के तीर छोड़ने से नहीं चूके। मौजूदा सरकार में ही प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान सरकार के कई मंत्री हरक सिंह के इस रुदाली दांव के साक्षी रहे हैं। अपनी विधानसभा की मांगों को लेकर दबाव बनाने के लिए हरक सिंह जब कोपभवन में गए और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ रात्रिभोज से जब उनकी नाराजगी का अंत हुआ तब भी हरक की छलछलाती आंखों का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ।
कोटद्वार में मेडिकल कॉलेज के लिए 25 करोड़ की मंजूरी और विवादित मृत्युंजय मिश्रा को सरकार से अभयदान दिलाने के बाद यह लग रहा था कि हरक सिंह विधानसभा में भाजपा के टिकट से चुनाव मैदान में नजर आएंगे, लेकिन परिवार के लिए एक से अधिक टिकट को लेकर चली खींचतान की डोर इतनी अधिक खिंच गई कि वह आखिरकार टूट ही गई।
भाजपा इतना सख्त फैसला ले लेगी, हरक सिंह रावत ने शायद सोचा नहीं था। पार्टी ने उन्हें उनके कांग्रेस में जाने की संभावना के आधार पर बर्खास्त किया। हरक को शायद ही इस बात एहसास होगा। वह जानते हैं कि कांग्रेस भी उनके लिए दरवाजे खोल ही देगी। तब तक वह अपने सबसे मारक ‘रुदाली’ दांव को चल रहे हैं। अब यह समय बताएगा कि इस बार उनका यह दांव चुनाव पर क्या असर डालेगा?
भाजपा से निकाले गए हरक के आंसुओं पर सोशल मीडिया में अपने अपने अंदाज में लोगों ने बात रखी। बहू को टिकट दिलाने की जिद की बात सामने आई तो सबने यह भी कहा कि यह मौकापरस्त राजनीति करने वाले लोग हैं। हर चुनाव से पहले नेता रोते हैं, फिर पांच साल सोते हैं…।
सोमवार को हरक के निष्कासन की खबर के बीच जैसे ही उनके रोने की वीडिया वायरल हुई तो सोशल मीडिया में उनके आंसुओं पर घमासान मच गया। लोग तरह-तरह के कमेंट करने लगे। किसी ने कहा कि पहले नेता रोते हैं और जो उनके आंसुओं के झांसे में आता है, अगले पांच साल वह रोता है। एक पोस्ट में कहा गया कि मैं 25 साल से कांग्रेस में पोस्टर चिपकाने का काम कर रहा हूं, मुझे कभी कार्यकारिणी में शामिल नहीं किया गया लेकिन ऐसे धोखेबाजों को सीधे टिकट दे दिया जाता है।
आंसुओं पर सोशल मीडिया पोस्ट का सैलाब अभी थमा भी नहीं था कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का एक वीडियो सामने आने लगा। इसमें वह कह रहे थे कि जिन्होंने लोकतंत्र की हत्या की थी, उन्हें वापस आने के लिए माफी मांगनी पड़ेगी। इस पोस्ट के बाद लोगों की भावनाएं ज्यादातर पोस्ट में हरीश रावत के साथ नजर आई। लोग कहते नजर आए कि ऐसे बगावती और धोखेबाज नेताओं से दूर ही रहो। कई लोगों ने यह भी कहा कि कल तक तो भाजपा ठीक थी, अब वक्त बदल रहा है तो भाजपा में बुराई और कांग्रेस अच्छी हो गई।
सोशल मीडिया में भी अनुकृति गुसाईं को टिकट के मामले पर विरोध के सुर नजर आए। हरक के अपनी पुत्रवधू को टिकट दिलाने के बयान पर लोगों ने स्पष्टतौर पर विरोध जताते हुए कहा कि जो कार्यकर्ता इतने लंबे समय से पार्टी के लिए काम कर रहे हैं, उनके बजाए किसी अनजान सी लड़की को टिकट देना कहां की बात हुई। फेसबुक और ट्वीटर पर दिनभर हरक सिंह रावत और उनका निष्कासन छाया रहा।

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