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कार्तिक पूर्णिमा पर श्रद्धालु लगा रहे आस्था की डुबकी, हरिद्वार में उमड़ी भीड़

हरिद्वार। हिंदू धर्म में कार्तिक मास में पड़ने वाली पूर्णिमा का बड़ा महत्व है। कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा और गंगा स्नान आदि के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन स्नान और दान का भी खास महत्व बताया जाता है। आज शुक्रवार को हो रहे कार्तिक पूर्णिमा के गंगा स्नान पर धर्मनगरी हरिद्वार में हर की पैड़ी पर स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। कोरोना काल के बाद पहली बार श्रद्धालु किसी स्नान पर्व पर बिना रोकटोक स्नान कर रहे हैं। यहां तड़के से ही पवित्र स्नान का दौर जारी है। दूर-दूर से श्रद्धालुओं ने मां गंगा में आस्था की डुबकी लगाकर पुण्य कमा रहे हैं। वहीं ऋषिकेश और राज्य के अन्य क्षेत्रों में मौजूद नदियों में भी तड़के से ही श्रद्धालु स्नान कर रहे हैं। इस दौरान भक्तों ने गंगा स्नान के बाद दीपदान कर अपनों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की।

शहर के बाजारों श्रद्धालुओं की खूब दिखी भीड़ दिखाई दी। पार्किंग भी फुल रही। हरिद्वार में श्रद्धालुओं की भीड़ और सुरक्षा को लेकर पुलिस प्रशासन ने अपनी व्यवस्थाएं चाक चौबंद की हैं। सुरक्षा के लिहाज से समस्त मेला क्षेत्र को नौ जोन और 32 सेक्टर में बांटा गया है। करीब डेढ़ हजार का पुलिस बल मेले में लोगों की सुविधा और सुरक्षा के लिए लगाया गया है।  भीड़ पर नियंत्रण रखने के लिए घुड़सवार पुलिस की भी तैनाती की गई। स्नान के दौरान महत्वपूर्ण सूचना संकलित करने के लिए स्थानीय अभिसूचना इकाई के 12 अधिकारी व कर्मचारी नियुक्त किए गए हैं।

कार्तिक पूर्णिमा को लेकर श्रद्धालुओं का मानना है कि आज के दिन गंगा में स्नान करने से सुख सम्रद्धि आती है और पापों से मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि साल भर के बारह महीनों में कार्तिक मास को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इस महीनें में शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन से पूर्णिमा तक के पांच दिनों को काफी खास माना जाता है।

एकादशी के दिन को भगवान विष्णु शयन से बाहर आते हैं और इस दिन को देवोत्थान एकादशी कहा जाता है। इस दिन से शादी विवाह सहित सभी शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं। इन पांच दिनों को ज्योतिषाचार्य पंचक कहते हैं। कहा जाता है इन पांच दिनों तक व्रत रखकर गंगा स्नान करना चाहिए। पुराणों में भी कहा गया है कि जो व्यक्ति पूरे साल भर गंगा स्नान नही कर पाता है, वह कार्तिक की पूर्णिमा के केवल एक दिन भी गंगा में स्नान कर ले तो उसे उसे पूरे साल भर के गंगा स्नान के बराबर पुण्य फल प्राप्त होता है।

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