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ट्रायथलॉन विश्व कप में मिला पहली बार कांस्य पदक

देहरादून। विविधताओं से भरे देश भारत में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, यहां गांव-गांव में गुदड़ी के लाल भरे पड़े हैं बस जरूरत है उन्हें प्रोत्साहित करने वालों की। ऐसा ही एक शख्स महाराष्ट्र से सामने आया है। कृष्णा तानपुरे नाम के इस शख्स ने आबूदाबी में पैरा ट्रायथलॉन विश्व कप में पहले भारतीय के रूप में पदक पाया है। दो दिन पहले आबूदाबी में हुई इस प्रतियोगिता में कृष्णा ने बड़ा करिश्मा करते हुए भारत के लिए कांस्य पदक हासिल किया है। कृष्णा महाराष्ट्र राज्य में नासिक जिले के एक छोटे से गाँव का रहने वाला है। उसके पिता गाँव में ही खेती करके अपने परिवार का पालन पोषण करते है।

दिलचस्प बात यह है कि कृष्णा तानपुरे बचपन से शारीरिक रूप से इतना सक्षम नहीं था। जब वहां 11वीं कक्षा में पढ़ता था तो उसका वजन मात्र 28 किलो था कम वजन की वजह से उसके साथी उसका परिहास भी उड़ाते रहते थे, लेकिन उसके मन में देश के लिए कुछ करने का जज्बा था। उसके पिता ने उसको गांव के कुएं में तैराकी सिखाई, जिसके बाद वह गांव के तालाब में है तैराकी करने लग गया। कृष्णा तानपुरा को 2016 के पैरा ओलंपिक से पहले एक आर्टिकल पढ़ने को मिला जिसमें उसने किसी आयरन मैन के बारे में पढ़ा था उसे लगा कि उसे भी कुछ ऐसा ही करना चाहिए। उसके बाद उसने आयरन मैन के बारे में सर्च करना शुरू किया तो को पता चला कि आयरनमैन ट्रायथलॉन वर्ल्ड ट्रायथलॉन कॉरपोरेशन (डब्ल्यूटीसी) द्वारा आयोजित लंबी दूरी की ट्रायथलॉन दौड़ की एक श्रृंखला है, जिसमें 3.9 किमी तैराकी, 180.2 किमी साइकिलिंग और 42.22 मैराथन शामिल है। ट्रायथलॉन पैरालंपिंग के लिए उसका जुनून 17 साल की उम्र में शुरू तो हो गया था लेकिन शारीरिक रूप से वह बिलकुल भी फिट नहीं था। उसने पहले मानसिक तौर पर अपने आपको मजबूत किया और फिर अपनी फिटनेस की तैयारी में लग गया। उसको सुधारने के लिए धीरे-धीरे उसने दौड़ शुरू करने की ठानी लेकिन पहले दिन 100 मीटर दौड़ने में ही उसकी साँस फूल गई। कृष्णा ने हिम्मत जुटाई और निरंतर अपने अभ्यास में लगा रहा, आखिरकार वो दिन आया और उसने 48 किलोमीटर की मैराथन मैं भारत का परचम लहरा दिया। मजेदार बात यह है कि जिस प्रतियोगिता में उसने ओलंपिक स्तर पर भारत का नाम रोशन किया है उसका उसको ठीक से नाम भी याद नहीं था। उसने सिर्फ आयरन मैन बनने की ठानी थी, बाद में उसे पता चला कि इस प्रतियोगिता को ट्रायथलॉन कहते हैं और आयरन मैन उसका एक पार्ट है। इस खेल के प्रचलन में न होने के कारण उसे खुद ट्रायथलॉन के बारे में विभिन्न स्रोतों से जानकारी लेनी पड़ी और अपने परिवार को यह विश्वास दिलाना पड़ा कि यह एक ऐसा खेल है जिसे वह खेल सकता हैं।

वर्ष 2020 में उसने नासिक में आयोजित 29वें महाराष्ट्र राज्य खेल प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। उसके बाद सितंबर 2021 में उसने राष्ट्रीय चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक प्राप्त किया, अक्टूबर 2022 में पैरा ट्रायथलॉन के लिए अलान्या, टर्की में विश्व कप में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए 9वां स्थान हासिल किया। चूंकि वह शीर्ष 10 में था, इसलिए नवंबर 2022 में अबू धाबी में आयोजित विश्व ट्रायथलॉन फाइनल के लिए क्वालीफाई करने वाला पहला भारतीय खिलाड़ी बना। कृष्णा ने विश्व चैंपियन प्रतियोगिता में पदक जीतने के लिए अपने परिवार, मरोटी पवार, अनिरुद्ध, ध्यान, चंदन और खासकर दिल्ली स्थित लैंगमा स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज के निदेशक संजीव रावत का विशेष आभार जताया जिन्होंने इस प्रतियोगिता के लिए उसे पूरा सहयोग दिया और वह देश के लिए पदक जीत सका। कृष्णा आजकल पुणे महाराष्ट्र में ट्रेनिंग कर रहा हैं और 5-6 घंटे रोज अभ्यास करता है। अब उसका सपना 2024 में पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालिफाई करके देश के लिए स्वर्ण पदक जीतना है।

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