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कहानी किस्मत की : करोड़पति निकला भीख मांगने वाला बच्चा!

देहरादून। किस्मत भी क्या क्या खेल दिखाती है। इसी तरह का मामला कलियर में सामने आया है। सहारनपुर के पंडोली गांव में रहने वाले मोहम्मद नावेद खेती-बाड़ी संभालते थे और मां इमराना अपने बेटे शाहजेब का ख्याल रखती थी। नागल में शाहजेब डीपीएस स्कूल में पढ़ाई कर रहा था।
इस बीच उनकी जिंदगी में एक मोड़ आया और शाहजेब के पिता मोहम्मद नावेद का इंतकाल हो गया। परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। इसके बाद इमराना भी वहां न रही और गांव छोड़कर मायके लौट गई और शाहजेब को साथ ले गई, जिसकी उम्र करीब छह साल रही होगी।
शाहजेब के दादा मोहम्मद याकूब बेटे के गुजरने, बहू व पोते के चले जाने से गहरे सदमे में आ गए और उनका भी इंतकाल हो गया। इमरान शाहजेब को लेकर कलियर में रहने लगी। कोरोना काल में वह संक्रमण का शिकार बनकर खुदा को प्यारी हो गई। इसके बाद शाहजेब लावारिस हो गया और जिंदगी की दुश्वारियां और बढ़ गईं। उसके पास न रहने को घर था और न खाने को दो वक्त की रोटी का कोई इंतजाम। 

हालात ने उसे होटलों में झूठे बर्तन धोने और सड़कों पर भीख मांगने वाला बना दिया। कोरोना से मां की मौत के बाद दो वक्त की रोटी के लिए सबके आगे हाथ फैलाने के लिए मजबूर दस साल का बच्चा करोड़ों की जायदाद का मालिक निकला। दरअसल उसके दादा ने मरने से पहले अपनी आधी जायदाद उसके नाम कर दी थी। 

वसीयत लिखे जाने के बाद से परिजन उसे ढूंढ रहे थे। कलियर में सड़कों पर घूमते वक्त गांव के युवक मोबिन ने उसे पहचाना। जियारत पर कलियर आए मोबिन ने उसे देखा और नाम-पता पूछा। तस्दीक होने पर परिजनों को बताया तो वे कलियर से वे बच्चे को अपने साथ घर ले गए। बच्चे के नाम गांव में पुश्तैनी मकान और पांच बीघा जमीन है।
शाहजेब के सबसे छोटे दादा शाह आलम ने कहा कि वह उसे पढ़ाएंगे। अभी वह परिवार और बच्चों के साथ माहौल में रमने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने बताया कि चूंकि जो दौर शाहजेब ने देखा, उससे बाहर निकलने में उसे थोड़ा वक्त लगेगा। इसके बाद वह उसका दाखिला कराएंगे।

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