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ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन: रुद्रप्रयाग में गांव के अस्तित्व पर संकट

रुद्रप्रयाग। उत्तराखंड में रेल नेटवर्क को और बेहतर करने के लिहाज़ से ऋषिकेश-कर्णप्रयाग के बीच नई ब्रॉड गेज रेल लाइन का काम तेजी से आगे बढ़ रहा है। वास्तव में, चार धाम यात्रा को और आसान बनाने के लिए यह रेल लाइन प्रोजेक्ट को अहम है। रुद्रप्रयाग जिले में रेल लाइन 11 गांवों से होकर गुजर रही है। इन दिनों सभी क्षेत्रों में निर्माण कार्य जोरों पर है, लेकिन रेल लाइन निर्माण के लिए जिस तरह से विस्फोटकों का इस्तेमाल हो रहा है, उससे गांवों को नुकसान हो रहा है।

बता दें कि, जनपद में पिछले लंबे समय से ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना का निर्माण कार्य चल रहा है। परियोजना में अधिकांश स्थानों पर सुरंगों का निर्माण हो रहा है। गांवों के नीचे बन रही सुरंग से ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। हालत यह है कि अगस्त्यमुनि ब्लॉक की रानीगढ़ पट्टी के मरोड़ा गांव के अस्तित्व पर ही संकट आ खड़ा हुआ है। सुंरग निर्माण होने से आवासीय भवनों में दरारें पड़नी शुरू हो गई है। जिस कारण स्थानीय लोगों में खासा रोष बना हुआ है। ग्रामीणों ने कहा कि दरारें आने से भविष्य में कोई दुर्घटना घट सकती है और उन्हें जान माल का नुकसान भी हो सकता है। यहां रह रहे 40 परिवारों में से 19 परिवार सुरक्षा की खातिर अपने मकान छोड़कर अन्यत्र शरण ले चुके हैं। दरारों के लगातार बढ़ने से अन्य परिवार भी सुरक्षित स्थान पर जाने की तैयारी में हैं।

स्थानीय जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों का कहना है कि गांव में सभी आवासीय मकानों,  गोशालाओं और खेतों में गहरी व चौड़ी दरारें पड़ी हैं, जो दिनोंदिन बढ़ रही हैं, इस स्थिति में गांव में कभी भी किसी अनहोनी से इंकार नहीं किया जा सकता। आए दिन हो रहे विस्फोटों से लोग सहमे हैं। मकान और अन्य संपत्तियां कभी भी मलबे के ढेर में समा सकती हैं। उन्होंने रेलवे विकास निगम और जिला प्रशासन से गांव के पुनर्वास की मांग की है। दरारों से घर और गोशालाओं के जर्जर होने से लोग भयभीत हैं। पशुपालक अपने मवेशियों, गाय, भैंस, बैल, बकरियों को औने-पौने दामों पर बेचने को मजबूर हैं। कई परिवार अपने मवेशी बेच चुके हैं। मरोड़ा में बिगड़ते हालात के बीच जिला प्रशासन ने आरवीएनएल को ग्रामीणों को अन्यत्र सुरक्षित स्थानों पर बसाने के लिए कार्रवाई अमल में लाने को कहा है। साथ ही अन्यत्र शरण ले रहे परिवारों का किराया भुगतान के निर्देश भी दिए गए हैं।
विकास के नाम पर हो रही प्राकृतिक संसाधनों और प्रकृति की बनावट से छेड़छाड़ पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ है। ऐसे में भविष्य में कोई अनहोनी होती है तो मुआवजा ही सब कुछ नहीं होगा। खतरे की जद में आए इन गांवों को विस्थापित किया जाना अतिआवश्यक है। सड़कों से ऊपरी मिट्टी को पकड़ खराब व वनस्पति को भारी नुकसान, सुरंगों से पहाड़ो की स्थिरता को नुकसान और बांधों से प्रकृति व नदियों के जल स्तर को नुकसान के साथ इंसान जिस तरह के सपने सजा रहा है, परिणाम बेहद चिंता जनक होंगे।

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