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मां नंदा राजराजेश्वर का उत्सव डोला सिद्धपीठ कुरूड के लिये रवाना

थराली से हरेंद्र बिष्ट।

छह माह नंदा सिद्धपीठ देवराड़ा-थराली में प्रवास के बाद मां नंदा राजराजेश्वर का उत्सव डोला पौष पूर्णिमा के पावन पर्व पर सिद्धपीठ कुरूड (घाट) के लिए रवाना हो गई। विदाई के मौके पर भारी संख्या में देवी भक्तों ने अपनी कुल देवी नंदा को अश्रुपूरित विदाई दी।विदाई के मौके पर कई महिलाओं एवं पुरुषों पर नंदा भगवती के साथ ही अन्य देवी-देवता भी अवतारित हुए। विदाई के मौके पर लंबे समय बाद हो रही बारिश से मौसम भी काफी खुशगवार बना था। इसे देवी भक्त मां की कृपा मान रहे हैं।

नंदा लोक राजजात यात्रा की वेदनी में बीते वर्ष 25 अगस्त को  लोक जात संपन्न होने के बाद 1 सितंबर को राजराजेश्वर नंदा भगवती का उत्सव डोला थराली  के अंतर्गत नंदा सिद्धपीठ देवराड़ा मंदिर के गर्भगृह में विराजमान हो गया था। यहां पर 6 माह प्रवास के बाद आज रविवार को पौष मास की पूर्णिमासी के पावन पर्व पर अगले 6 माह के प्रवास के लिए कुरूड़ स्थित नंदा सिद्धपीठ के लिए रवाना हो गई हैं।
आज प्रात: करीब 6 बजे सिद्धपीठ के मंदिर के गर्भगृह में पूजा-अर्चना शुरू की गई। उसके बाद करीब 9 बजें देवी के जयकारों के साथ उत्सव डोले को गर्भगृह से बाहर निकाल कर मंदिर के प्रांगण में रखा गया। जहां पर क्षेत्र के तमाम गांव के देवी भक्तों ने नंदा की पूजा-अर्चना कर मनौतियां मांगीं। इसके बाद करीब 10 बजे देवी का उत्सव डोला अपने पहले पड़ाव भेटा के लिए रवाना हुई। डोली के गर्भगृह से निकलने एवं देवराड़ा से अगले पड़ाव के लिए रवाना होने के दौरान कई नंदा भक्तों पर देवी अवतरित भी हुई।
इस दौरान  कुरूड़ मंदिर समिति के अध्यक्ष मंशाराम गौड़, बची राम गौड़, धनी राम गौड़, योगंबर गौड़, अनसूया प्रसाद गौड़, देवराड़ा मंदिर समिति के अध्यक्ष भूवन हटवाल, लोल्टी तुंगेश्वर के मंदिर समिति के अध्यक्ष धनराज सिंह रावत, थराली के अध्यक्ष संदीप रावत, शौर्य प्रताप सिंह रावत, सुरेंद्र खाती, हर सिंह गुसाईं, प्रेम बुटोला, अनिल देवराड़ी आदि ने पूजा-अर्चना में योगदान किया। इसके बाद देवी का उत्सव डोली की यात्रा दोपहर के भोजन पर सिनाई पहुंची और यात्रा अपने पहले पड़ाव भेटा गांव के लिए रवाना हुई।  आगामी 13 जनवरी को घाट विकासखंड के सेंती गांव में लक्ष्मीनारायण मंदिर में पूजा अर्चना के बाद उत्सव डोली की यात्रा शिव मंदिर घाट होते हुए उसी दिन कुरूड़ गांव पहुंचेगी। जहां पर पूरे विधि-विधान के साथ नंदा की डोली 6 माह के प्रवास के लिए यहां स्थित नंदा देवी के सिद्धपीठ में विराजमान हो जाएगा। यहीं से एक बार पुनः नंदा देवी लोक राजजात यात्रा 2021 में शुरू होगी।

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