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त्रिवेंद्र ने दागी ‘मिसाइल’ : छावला गैंगरेप केस में धामी को नहीं, बलूनी को दिया आरपी का क्रेडिट!

देहरादून। उत्तराखंड की बेटी के साथ बर्बरता के साथ दिल्ली में छावला गैंगरेप केस में पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए देशभर से तमाम प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। उधर दिल्ली के उपराज्यपाल ने अब पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की मंजूरी दे दी है। दिल्ली में पीड़ित परिवार से मिलकर देहरादून पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस पुनर्विचार याचिका को लेकर उम्मीद जगाने के लिए राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी को इसका श्रेय दिया है। उनके इस बयान से भाजपा में सन्नाटा छा गया है और अब त्रिवेंद्र के धामी के सामने खुलकर ‘मिसाइल’ दागने के रूप में देखा जा रहा है।
इस बयान की खास बात यह है कि पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए धामी की भूमिका पर बोलने से त्रिवेंद्र बचते नजर आए या उन्हें किनारे कर दिया। धामी और त्रिवेंद्र के बीच की लड़ाई अब सार्वजनिक हो चुकी है और रही सही कसर त्रिवेंद्र ने यह बयान देकर पूरी कर दी। हालांकि पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार त्रिवेंद्र और बलूनी के इस गठजोड़ के कई निहितार्थ हैं और इससे पहले बलूनी भी सीएम की कतार में शामिल रहे हैं। इस नये समीकरण से धामी गुट के सामने परेशानी खड़ी हो सकती है। इस बाबत आलाकमान बिल्कुल भी नहीं चाहेगा कि मिशन 2024 के रास्ते में कोई अड़चन आये। अगर भाजपा में गुटबाजी की आग सुलगती रही तो कहीं ऐसा न हो कि उसका खुद का आशियाना न जल जाये।  

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हालांकि इस मामले पर न तो पार्टी संगठन कुछ बोल रहा है और न ही धामी सरकार की तरफ से कोई खुले रूप में बयान सामने आया है। सब ‘वेट एंड वाच’ की स्थिति में हैं। ऐसे में अब त्रिवेंद्र के इस नए बयान ने राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया है। इन दिनों सरकार के साथ ही विपक्षी दल और प्रदेश से लेकर देशभर के लोग दिल्ली में छावला गैंगरेप केस को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। दिल्ली से लेकर देहरादून तक सड़कों पर पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए विपक्षी दल और आम लोग भी सड़क पर नजर आ रहे हैं। यह जनभावनाओं से जुड़ा मुद्दा है और जो भी नेता पीड़िता को न्याय दिलाने में कामयाब होगा तो आने वाले चुनाव में उसके पक्ष में जो ‘हवा’ रुख बदलेगी, वह उत्तराखंड में कुर्सी के भी समीकरण बदल सकती है।
इस क्रम में त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दिल्ली में पीड़िता के परिवार से मुलाकात की। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने भी परिवार से बात की है। त्रिवेंद्र ने दिल्ली से देहरादून पहुंचते ही पुनर्विचार याचिका के दाखिल होने की उम्मीद जगाने के लिए अनिल बलूनी को श्रेय दे दिया और धामी का नाम तक नहीं लिया। रावत ने कहा कि पीड़िता के मामले में पूरा देश कोर्ट के निर्णय से हतप्रभ है। जिस तरह से अनिल बलूनी ने इस मामले में प्रयास किए हैं, उसके लिए वह उन्हें धन्यवाद देना चाहते हैं। बलूनी ने इस पूरे मामले में ठोस पहल की है और पुनर्विचार याचिका के लिए सराहनीय प्रयास किया है।
उन्होंने इस पूरे प्रकरण में लोगों से और भी ज्यादा आवाज बुलंद करने के लिए गुजारिश की। दिलचस्प बात यह है कि इस पूरे बयान में उन्होंने धामी सरकार या मुख्यमंत्री के प्रयासों पर कोई बात नहीं कही। जिस तरह धामी और त्रिवेंद्र के बीच की दूरियां दिखाई दी है, उनके इस बयान को इसी रूप में देखा जा रहा है और अपनी ही सरकार के प्रयासों को नजरअंदाज करने से जोड़ा जा रहा है।
गौरतलब है कि दिल्ली में छावला गैंगरेप व हत्या के मामले में उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने तीन आरोपियों को बरी करने के खिलाफ दिल्ली सरकार द्वारा एक पुनर्विचार याचिका दायर करने की मंजूरी दे दी है। अब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता इस सनसनीखेज मामले में सरकार का पक्ष रखेंगे।
बीती 7 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में दिल्ली के छावला गैंगरेप मामले में अपना फैसला सुनाया था। शीर्ष अदालत ने तीनों आरोपी रवि, राहुल और विनोद को बरी कर दिया। शीर्ष अदालत ने दिल्ली हाईकोर्ट और निचली अदालत के उस फैसले को भी पलट दिया, जिसमें दोषियों के लिए फांसी की सजा सुनाई गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अभियोजन पक्ष पर्याप्त सबूत पेश नहीं कर पाया। इस फैसले के खिलाफ पूरे देश में एक आक्रोश की लहर है।

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