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देहरादून में मौसम साफ, बुधवार को नदियों का जलस्तर हुआ कम

बुधवार को राजधानी देहरादून सहित अधिकतर इलाकों में मौसम साफ बना हुआ है। इससे लोगों ने राहत की सांस ली है। वहीं हल्द्वानी में आज भी मौसम खराब बना हुआ है। बुधवार को हरिद्वार में गंगा का जलस्तर कम हो गया है। वहीं हल्द्वानी में काठगोदाम में और गौला बैराज में गौला नदी का जलस्तर कम हो गया है।

 पश्चिमी विक्षोभ और दक्षिणी पूर्वी हवाओं का असर अब न के बराबर

मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के मुताबिक पश्चिमी विक्षोभ और दक्षिणी पूर्वी हवाओं का असर अब न के बराबर है। उत्तराखंड के मैदानी और पर्वतीय क्षेत्रों में इसका प्रभाव सिर्फ 48 घंटे के लिए ही था। बुधवार को अधिकतम तापमान 31 डिग्री रहेगा।

पहाड़ों की रानी मसूरी में हल्के बादल छाए रहे। जिससे मौसम में ठंड बढ़ गई है। बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग कई जगहों पर अवरूद्ध है। श्रीनगर में भी धूप खिली है। यहां अलकनंदा के जल स्तर में बढ़त है और गाद आने के कारण पेयजल आपूर्ति प्रभावित हो गई है।

वहीं मंगलवार को आदि कैलाश, ज्योलिंकांग, कालापानी और लिपुलेख में दो फुट से ज्यादा बर्फबारी होने की भी सूचना है।

कुमाऊं में इतिहास की सर्वाधिक बारिश दर्ज हुई 

कुमाऊं में बीते 24 घंटों में मिलीमीटर नहीं बल्कि फुट के हिसाब से पानी बरसा। नैनीताल में इस दौरान डेढ़ फुट तो चंपावत में दो फुट पानी बरसा। पूरे कुमाऊं में 24 घंटों में अब तक के इतिहास की सबसे ज्यादा बारिश हुई है। नैनीताल में 18 अक्तूबर की सुबह 8 बजे से 19 अक्तूबर सुबह 8 बजे के बीच 445 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई। इससे पहले 17 और 19 अक्तूबर को शाम तक जो बारिश हुई, वह इसके अलावा है। साल 2013 और 1993 में भी यहां भारी बारिश हुई थी, लेकिन 24 घंटे की अवधि में वह इस आंकड़े से कम ही थी।
 

कुमाऊं में बीते 24 घंटे में 200 मिमी औसत बारिश

आधिकारिक रूप से इससे पहले 24 घंटे के भीतर नैनीताल में सर्वाधिक बारिश 15 सितंबर 1957 को दर्ज की गई थी जो 314 मिमी थी। इसी तरह चंपावत में 27 सितंबर 1897 को 390 मिमी बारिश दर्ज हुई थी जबकि बीते 24 घंटों में 593 मिमी पानी बरसा है। हल्द्वानी में 11 जुलाई 1970 को 413 मिमी बारिश का रिकॉर्ड दर्ज है। हालांकि यह टूटा नहीं, लेकिन बीते 24 घंटे में यहां 325 मिमी बारिश हुई है। ये सभी आंकड़े सरकार की आधिकारिक एजेंसी भारतीय मौसम विभाग के हैं। नैनीताल में विभाग के अनुसार इस अवधि में 401 मिमी बारिश हुई, जबकि सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता केएएस चौहान के मुताबिक विभाग ने 445 मिमी यानी लगभग डेढ़ फुट बारिश दर्ज की है।

भारतीय मौसम विभाग देहरादून के निदेशक विक्रम सिंह ने बताया कि विभाग ने 1897 से विभिन्न स्थानों में मौसम केंद्र स्थापित कर बारिश का रिकॉर्ड दर्ज करना शुरू किया था। कुमाऊं में बीते 24 घंटे में 200 मिमी औसत बारिश हुई है जो भारी बारिश से भी बहुत ज्यादा है और 24 घंटे में इससे पहले इतनी बारिश कभी दर्ज नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि चंपावत में ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन में 593 मिमी बारिश दर्ज हुई। मुक्तेश्वर में मौसम केंद्र की स्थापना 1897 में हुई थी वहां अब तक सर्वाधिक बारिश का रिकॉर्ड 18 सितंबर 1914 को 255 मिमी का था, जबकि बीते 24 घंटे में वहां इससे 85 मिमी ज्यादा 340 मिमी पानी बरसा। पंतनगर में अब तक का रिकॉर्ड 10 जुलाई 1990 को 228 मिमी का था, जबकि इस बार वहां इससे लगभग दोगुना 403 मिमी पानी बरसा है।

बंगाल की खाड़ी से आई नमी और पश्चिमी विक्षोभ की टक्कर से हुई अतिवृष्टि

मौसम विभाग ने पहले ही उत्तराखंड में अतिवृष्टि की संभावना जताई थी। भारतीय मौसम विभाग के निदेशक विक्रम सिंह के अनुसार यह अतिवृष्टि बंगाल की खाड़ी से आई नमी, मध्य भारत के निम्न दबाव और पश्चिमी विक्षोभ के मिलेजुले प्रभाव के कारण हुई। बंगाल की खाड़ी से आई नमी कम दबाव के होने के कारण इधर को आ गई, लेकिन यहां पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होने के कारण उसे भारी प्रतिरोध मिला जिससे वह यहां बरस गई। यदि उसे प्रतिरोध न मिलता तो वह बगैर बरसे आगे निकल जाती।

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