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विनोद कुमार को कांस्य पदक मिलने पर हुई अर्चन

बीएसएफ के 41 साल के जवान ने 19.91 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो से तीसरा स्थान हासिल किया|  वह पोलैंड के पियोट्र कोसेविज (20.02 मीटर) और क्रोएशिया के वेलिमीर सैंडोर (19.98 मीटर) के पीछे रहे, जिन्होंने क्रमश: स्वर्ण और रजत पदक अपने नाम किए |

पहाड़ी से गिरने के कारण 10 साल तक बिस्तर पर रहने वाले चक्का फेंक (डिस्कस थ्रो) एथलीट विनोद कुमार ने रविवार को टोक्यो पैरालंपिक में एशियाई रिकॉर्ड के साथ पुरुषों की एफ52 स्पर्धा में कांस्य पदक जीता, लेकिन उनके विकार के क्लासिफिकेशन पर विरोध के कारण वो जीत का जश्न नहीं मना पाए |

बीएसएफ के 41 साल के जवान ने 19.91 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो से तीसरा स्थान हासिल किया| वह पोलैंड के पियोट्र कोसेविज (20.02 मीटर) और क्रोएशिया के वेलिमी सैंडोर (19.98 मीटर) के पीछे रहे, जिन्होंने क्रमश: स्वर्ण और रजत पदक अपने नाम किए|  हालांकि विरोध किसी अन्य प्रतिस्पर्धी द्वारा किया गया है, जिसने एफ52 के उनके क्लासिफिकेशन पर आपत्ति जताई है|  विरोध का आधार अभी स्पष्ट नहीं है क्योंकि क्लासिफिकेशन की प्रक्रिया 22 अगस्त को पूरी हुई थी |

एफ52 स्पर्धा में वो एथलीट हिस्सा लेते हैं जिनकी मांसपेशियों की क्षमता कमजोर होती है और उनके मूवमेंट सीमित होते हैं, हाथों में विकार होता है या पैर की क्षमता कमजोर होती है और उनके मूवमेंट सीमित होते हैं, हाथों में विकार होता है या पैर की लंबाई में अंतर होता है, जिससे खिलाड़ी बैठकर प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लेते हैं| रीढ़ की हड्डी में चोट वाले या ऐसे खिलाड़ी जिनका कोई अंग कटा हो, वे भी इसी वर्ग में हिस्सा लेते हैं|

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