लखनऊ
जैसे-जैसे उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव करीब आते जा रहे हैं, पूर्वांचल में सत्ता की जंग तेज होती दिख रही है। बीजेपी की तरफ से सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मोर्चा संभाल लिया है। अमित शाह आज वाराणसी में हैं, कल वह आजमगढ़ में रहेंगे और बस्ती भी जाएंगे। वहीं दूसरी तरफ अखिलेश यादव भी कल गोरखपुर से कुशीनगर तक रथयात्रा शुरू करेंगे, इसके बाद अन्य जिलों में दौरा करेंगे। वैसे बीजेपी और समाजवादी पार्टी ही नहीं कई ऐसे दल भी हैं, जिनकी पूरी सियासत ही पूर्वांचल के जिलों पर टिकी हुई है और ये सभी पूरा जोर लगाए हुए हैं।
यूपी चुनाव में बीजेपी जिन दो अहम मुद्दों पर मैदान में उतरने वाली है, वो दोनों ही राम मंदिर और विकास (पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे) इसी धरती पर है। यही नहीं पीएम नरेंद्र मोदी के साथ यूपी में सीएम योगी आदित्यनाथ से संबंधित जिले वाराणसी और गोरखपुर में भी पूर्वांचल का दिल मानते जाते हैं। खुद पीएम नरेंद्र मोदी लगातार कई पूर्वांचल आते रहे हैं, अगले एक महीने में उनके और भी दौरे होने हैं, इनमें 16 नवंबर को वह पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का उद्घाटन करेंगे और यही नहीं कई लगातार कई जिलों को सौगात देंगे। वैसे पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर समाजवादी पार्टी भी अपना दावा करती रही है। जाहिर है आने वाले चुनावों में एक्सप्रेसवे का मुद्दा पूर्वांचल की सियासत के केंद्र में रहने वाला है।
दरअसल बीजेपी के लिए पूर्वांचल में जीत सत्ता के द्वार तक पहुंचने से ज्यादा मायने रखती है। केंद्रीय मंत्रिमंडल में पूर्वी यूपी से पंकज चौधरी, महेंद्रनाथ पाण्डेय, स्मृति ईरानी मंत्री हैं। यही नहीं बीजेपी की सहयोगी अपना दल से अनुप्रिया पटेल (अपना दल) भी मोदी सरकार में मंत्री बनाई गई हैं, उनकी पार्टी भी पूर्वांचल की ही मानी जाती है। बीजेपी ने 2017 की प्रचंड जीत में पूर्वांचल की करीब 156 सीटों में से 106 पर कब्जा किया था, अब वह एक बार फिर जीत दोहराने के प्रयास में है। पूर्वांचल में कुल 26 जिले हैं.
दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी और बीएसपी का भी इस क्षेत्र में अच्छा प्रभाव रहा है, बीजेपी से पहले यहां की अधिकतर सीटों पर इन्हीं दो पार्टियों की जंग होती थी। ये भी वापसी की पुरजोर कोशिश कर रही हैं। 2017 में बीएसपी ने जो 19 सीटें जीती थीं, उनमें 12 पूर्वांचल से ही आई थी। इसी तरह से सपा की 47 सीटों में 18, अपना दल को 8, सुभासपा को 4, कांग्रेस को 4 और निषाद पार्टी को 1 सीट पर जीत मिली थी, जबकि 3 निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की थी।
कांग्रेस यहां अर्से से ज्यादा बेहतर प्रदर्शन नहीं कर सकी है, लेकिन अब प्रियंका गांधी ने प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के साथ मिलकर पूर्वांचल में पार्टी का जनाधार बढ़ाने पर तेजी से काम शुरू किया है। वह गोरखपुर में बड़ी जनसभा कर चुकी हैं इसके अलावा कांग्रेस की यात्रा भी कई जिलों से गुजर रही है।
वैसे पूर्वांचल इन बड़ी पार्टियों ही नहीं कई छोटे दलों की भी प्रयोगशाला मानी जाती है। इनमें अपना दल (एस), निषाद पार्टी, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और जनवादी पार्टी शामिल हैं. इस समय अपना दल और निषाद पार्टी बीजेपी खेमे में है। हाल ही में निषाद पार्टी के नेता संजय निषाद को बीजेपी ने एमएलसी बनाया है। 2017 के चुनाव में सुभासपा बीजेपी की सहयोगी पार्टी हुआ करती थी, अब वह सपा के साथ आ गई है।
समाजवादी पार्टी पूर्वांचल में कई नेताओं को जोड़ रही है, इनमें सबसे ज्यादा नुकसान उसने बीएसपी का किया है। अखिलेश यादव खुद आजमगढ़ से सांसद हैं। वहीं बीएसपी के लालजी वर्मा, राम अचल राजभर, राम प्रसाद चौधरी, रमाकान्त यादव, बालेश्वर यादव, इंद्रजीत सरोज, त्रिभुवन दत्त, अंबिका चौधरी आदि कई नेता पार्टी से जुड़ चुके हैं। वहीं बसपा की बात करें तो उसने अपने प्रबुद्ध सम्मेलन की शुरुआत ही अयोध्या से की थी। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पूर्वांचल के कई जिलों का दौरा कर चुके हैं।
ये भी पढ़ें..
पीएम मोदी एयरक्राफ्ट से एक्सप्रेसवे पर बनी खास एयर-स्ट्रीप पर उतरेंगे